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बाजार खोजने भारतीय कारोबारी ईरान में

१० मार्च २०१२

अमेरिका भले ही भारत पर ईरान के खिलाफ प्रतिबंध लगाने का दबाव बढ़ रहा हो, ईरान गए भारतीय कारोबारियों के एक दल ने कहा है कि पारस्परिक कारोबार बढ़ाने से भारत और ईरान के रिश्ते बेहतर होंगे.

तस्वीर: Fotolia/Carlson

पांच दिन के दौरे की शुरुआत पर भारतीय कारोबारियों के दल ने कहा है कि भारत से निर्यात बढ़ाने पर ईरान के साथ व्यापार संतुलन ठीक होगा साथ ही दोनों देशों के संबंध गहरे बनेंगे. सरकार समर्थित इंडियन एक्सपोर्टर महासंघ के अध्यक्ष रफीक अहमद ने कहा है, "नई दिल्ली ईरान को निर्यात बढ़ाना चाहती है और व्यापार में वृद्धि को गहराते संबंधों का संकेत मानती है." ईरानी समचार एजेंसी इरना की रिपोर्टों के अनुसार उन्होंने कहा कि भारत तेहरान के साथ संबंध बढ़ाने को बहुत महत्व देता है.

सरकारी और गैर सरकारी कंपनियों के 70 अधिकारियों वाला यह प्रतिनिधिमंडल ईरान में कारोबार बढ़ाने की व्यापक क्षमता का पता लगाने गया है. यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब पश्चिमी देशों के आर्थिक प्रतिबंधों के कारण ईरान को दूसरे बाजारों से काटा जा रहा है. भारत तेहरान से हर साल 14 अरब डॉलर का तेल खरीदता है, लेकिन बदले में इस समय उसे सिर्फ 2.7 अरब डॉलर का माल बेचता है. अमेरिकी आर्थिक प्रतिबंधों के कारण उसे तेल की कीमत चुकाने में मुश्किल आ रही है. इसकी भरपाई वह तेहरान को दूसरे माल बेचकर करना चाहता है.

ईरान ने तेल की कीमत का 45 फीसदी हिस्सा डॉलर के बदले रुपए में लेने की बात मान ली है. इससे ईरानी कारोबारियों के भारतीय माल खरीदने की संभावना बढ़ गई है. भारत के वाणिज्य सचिव अरविंद मेहता का कहना है, उच्चस्तरीय और सस्ते कृषि उत्पादों के अलावा दवाओं और हॉस्पिटल सेवा के क्षेत्र में ईरान भारत के सहयोगियों से लाभ उठा सकता है. तेहरान वाणिज्य मंडल के महासचिव मोहम्मद मेहदी रासेक ने कहा है कि वे भी भारतीय सप्लायरों के लिए संभावनाएं देखते हैं. उन्होंने कहा, "भारत की क्षमताएं खाद्य, मेडिकल, मेटल और कार के पुर्जों के क्षेत्र में हैं, जबकि ईरान की प्लास्टिक, पोलिमर और रसायन में क्षमता है."

भारत भले ही ईरान के साथ कारोबार बढ़ाना चाहता है, लेकिन उसे अमेरिका के साथ बढ़ते रिश्तों के साथ भी संतुलन बनाना होगा और इस्राएल के साथ अच्छा संबंध रखना होगा जो उसका महत्वपूर्ण हथियार सप्लायर है. भारतीय दल से जुड़े एक सदस्य ने स्वीकार किया है कि कंपनियों को इस बात की चिंता है कि अमेरिका क्या कार्रवाई करेगा. अमेरिकी सांसदों के इस्राएल समर्थक गुटों ने भारत पर आरोप लगाया है कि वह तेहरान को अलग थलग करने और उस पर परमाणु कार्यक्रम रोकने के लिए दबाव बनाने के पश्चिमी प्रयासों को कमजोर कर रहा है.

नई दिल्ली में एक इस्राएली राजनयिक की पत्नी पर हुए हमले ने मामले को और उलझा दिया है. इस्राएल ने इस हमले के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया है और नई दिल्ली में ईरानी मीडिया के लिए काम करने वाले एक पत्रकार को इस सिलसिले में गिरफ्तार भी किया गया है.

ईरान सउदी अरब के बाद भारत का सबसे बड़ा तेल सप्लायर है. भारत ने पिछले सालों में ईरान पर से निर्भरता कम करने के लिए तेल की खरीद दूसरी जगहों से भी शुरू की है, लेकिन नई दिल्ली का कहना है कि ईरानी तेल के लिए दूसरा खरीदार ढूंढना 'वास्तव में विकल्प' नहीं है.

रिपोर्ट: एएफपी/महेश झा

संपादन: एन रंजन

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