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मंथन 58 में खास

१८ अक्टूबर २०१३

पर्यावरण को बचाने के लिए पेड़ों को बचाना जितना जरूरी है, उतना ही प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करना भी है. ऑर्गेनिक ईको फ्रेंडली थैलियां एक हल के रूप में उभरी हैं.

तस्वीर: Fotolia/jamiga- images

कचरे के मैनेजमेंट में जर्मनी का जवाब नहीं. अलग कचरों के लिए अलग डिब्बे. पीला डिब्बा प्लास्टिक का, नीला कागज का और काला दुनिया भर के तमाम कचरों का. बैटरी और इलेक्ट्रॉनिक कचरे की अलग जगह है. शीशे अलग फेंके जाते हैं, वह भी रंग के हिसाब से. यहां प्लास्टिक को भले ही कागज और दूसरी चीजों के साथ मिलने ना दिया जाए, लेकिन यह बात तो चिंता की है ही कि प्लास्टिक की थैलियों को अपघटित होने में कम से कम 10 से 20 साल का वक्त लग जाता है. पर अब यहां ऐसी थैलियां बनाई जा रही हैं जो कुछ दिन में ही गल सकती हैं. इन्हें ऑर्गेनिक या फिर बायो प्लास्टिक का नाम दिया गया है. कैसे बनती हैं ये ईको फ्रेंडली थैलियां, क्या है इनका दाम, जानिए इस शनिवार मंथन में.

पर्यावरण की बात करते हुए जर्मनी से ले चलेंगे आपको ताजिकिस्तान के जंगलों में. 80 लाख की आबादी वाला ताजिकिस्तान जंगलों को बचा कर पर्यावरण को भी फायदा पहुंचा रहा है और आर्थिक फायदे की राह पर भी है. सोवियत दौर में ताजिकिस्तान में बिजली और कोयला मुफ्त था. लेकिन सोवियत संघ के टूटने के साथ ही मुफ्त की ऊर्जा बंद हो गई और लोग जंगलों पर टूट पड़े. जर्मनी की अंतरराष्ट्रीय सहयोग संस्था जीआईजे़ड की मदद से इसे बदला जा रहा है.

बदलती तकनीक

टीवी, फ्रिज, कैमरे सब दिन पर दिन और हाई टेक होते जा रहे हैं. तकनीक तो यहां तक पहुंच गयी है कि उदास चेहरे को भी मुस्कुराता हुआ दिखा दे. अब आप टीवी और कंप्यूटर में फर्क नहीं बता सकते. बर्लिन के ईफा शो में नई तकनीक की झलक देखने को मिलती है. मंथन में आपको बताएंगे कि इस साल ईफा में कौन से गैजेट्स ने धूम मचाई.

लेकिन तकनीक अपने साथ निर्भरता भी लाती है. तकनीक एक के औजार की तरह है, जिसके जरिए हम रोजमर्रा के काम करते हैं. घर में, कम्यूनिकेशन में या मेडिकल साइंस में देखें तो तकनीक ने इंसान का जीवन बेहतर बनाया है. लेकिन दूसरी तरफ तकनीक के गड़बड़ाते ही हम लाचार से हो जाते हैं. हम लापरवाह और आलसी भी हो रहे हैं. ऐसे में जरूरत है अच्छे संतुलन की. तकनीक और उसकी चुनौतियों पर इस बार मंथन में होगी चर्चा.

साथ ही ले चलेंगे आपको बर्लिन की एक अनोखी प्रदर्शनी में जहां तकनीक और कला का संगम हो रहा है. इसे देख कर आप दंग रह जाएंगे. यह प्रदर्शनी आर्ट प्लस कॉम की 25वीं सालगिरह के लिए तोहफे की तरह है. इसके पीछे प्रोफेसर जाउटर का दिमाग है. उनकी कला को कई बार पुरस्कार भी मिल चुके हैं.

प्रदर्शनी के साथ साथ मंथन में आपको बर्लिन के स्टेशन भी देखने को मिलेंगे जहां इलेक्ट्रो मोबिलिटी का इस्तेमाल हो रहा है. वैज्ञानिक बर्लिन में इंटेलीजेंट इलेक्ट्रिक नेट से समस्या खत्म करना चाहते हैं. इसके लिए स्मार्ट एनर्जी बनाई जा रही है. क्या है यह आइडिया समझाएंगे आपको विस्तार से शनिवार सुबह 10.30 बजे डीडी-1 पर.

आईबी/एएम

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