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बाढ़ के कारण सागर में पहुंचे प्लास्टिक के अरबों कण

१३ मार्च २०१८

नदी नालों के पानी के साथ आ रहे प्लास्टिक की भारी मात्रा ने सागर में प्रदूषण को खतरनाक स्तर तक पहुंचा दिया है. वैज्ञानिकों की एक नई रिसर्च के नतीजे में यह जानकारी सामने आई है.

Hawaii Plastikmüll in den Ozeanen
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/NOAA Pacific Islands Fisheries Science Center

यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर के रिसर्चरों ने जितनी नदियों के नमूनों की जांच की उन सभी में प्लास्टिक के कण मिले. यहां तक कि गांवों से बह कर आने वाली धाराओं में भी प्लास्टिक की भारी मौजूदगी दिखाई पड़ी. मंगलवार को नेचर जियोसाइंस जर्नल में छपी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है.

सिर्फ एक वर्ग मीटर इलाके में ही 5 लाख 17 हजार से ज्यादा प्लास्टिक के कण मिले हैं और यह सभी कण शहरी प्रदूषण की वजह से नदियों के पानी में आए हैं. राशे, हर्ले के नेतृत्व में रिसर्च टीम ने उत्तर पश्चिमी इंग्लैंड के करीब 40 जगहों से नदी की तलछट के नमूने जमा किए. उन्होने देखा कि सभी जगहों से मिले नमूनों में प्लास्टिक मौजूद था यहां तक कि मैनेचेस्टर की टेम्स नदी के नमूने में भी. टेम्स नदी के नमूने में तो अब तक का सबसे ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण दर्ज किया गया है. भारी बाढ़ के बाद नदी में माइक्रोप्लास्टिक के कणों में करीब 70 फीसदी की कमी आई है.

स्टडी में कहा गया है, "इससे पता चलता है कि बाढ़ की घटनाएं शहर की नदियों से बड़ी मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक लेकर उसे सागर में उड़ेल रही हैं." रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, "वैश्विक स्तर पर माइक्रोप्लास्टिक से जूझने का सिर्फ एक ही तरीका है कि नदियों में प्लास्टिक पहुंचने के स्रोतों पर असरदार तरीके से नियंत्रण किया जाए."

कुछ माइक्रोप्लास्टिक जानबूझकर कॉस्मेटिक उद्योग के लिए तैयार किए जाते हैं जबकि बाकी बड़े प्लास्टिकों के टूटने से बनते हैं. समंदर में पहुंचने वाला करीब 90 फीसदी माइक्रोप्लास्टिक धरती से जाता है हालांकि इसमें नदियों का योगदान कितना है इसके बारे में अभी पक्की जानकारी नहीं है.

एनआर/ओएसजे (डीपीए)

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