यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर के रिसर्चरों ने जितनी नदियों के नमूनों की जांच की उन सभी में प्लास्टिक के कण मिले. यहां तक कि गांवों से बह कर आने वाली धाराओं में भी प्लास्टिक की भारी मौजूदगी दिखाई पड़ी. मंगलवार को नेचर जियोसाइंस जर्नल में छपी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है.
सिर्फ एक वर्ग मीटर इलाके में ही 5 लाख 17 हजार से ज्यादा प्लास्टिक के कण मिले हैं और यह सभी कण शहरी प्रदूषण की वजह से नदियों के पानी में आए हैं. राशे, हर्ले के नेतृत्व में रिसर्च टीम ने उत्तर पश्चिमी इंग्लैंड के करीब 40 जगहों से नदी की तलछट के नमूने जमा किए. उन्होने देखा कि सभी जगहों से मिले नमूनों में प्लास्टिक मौजूद था यहां तक कि मैनेचेस्टर की टेम्स नदी के नमूने में भी. टेम्स नदी के नमूने में तो अब तक का सबसे ज्यादा माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण दर्ज किया गया है. भारी बाढ़ के बाद नदी में माइक्रोप्लास्टिक के कणों में करीब 70 फीसदी की कमी आई है.
महासागरों में प्लास्टिक के कचरे के द्वीप बन रहे हैं. और यह प्लास्टिक इन 10 नदियों से बहता हुआ सागरों में समा रहा है.
तस्वीर: Imago/Xinhua/Guo Chenदक्षिण पूर्वी एशिया की यह नदी वियतनाम समेत छह देशों की जीवनधारा है. मेकॉन्ग डेल्टा पर करीब दो करोड़ लोग रहते हैं. मेकॉन्ग में हर साल 80 लाख टन प्लास्टिक बहता है. और अंत में यह समंदर में पहुंचता है.
तस्वीर: Imago/Xinhuaनाइजर पश्चिमी अफ्रीका की मुख्य नदी है. इस नदी पर करीब 10 करोड़ लोग निर्भर है. अंटलांटिक में गिरने से पहले ये नदी पांच देशों से गुजरती है. इसमें प्लास्टिक और बड़ी मात्रा में तेल घुला रहता है.
तस्वीर: Getty Imagesपूर्वोत्तर चीन की यह नदी जब तक पहाड़ों में रहती है, तब तक साफ बनी रहती है. रूस और चीन की सीमा को बांटने वाली यह नदी प्लास्टिक के कचरे के मामले में आठवें नंबर पर है.
तस्वीर: picture-alliance/Zumapress/Chu Fuchaoचीन की पर्ल नदी गंदगी के लिए बदनाम है. इस नदी के किनारे अथाह शहरीकरण हुआ और फिर कूड़ा व सीवेज पर्ल में समाता गया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Goh Chai Hinभारत में मां कहकर पुकारी जाने वाली गंगा नदी 60 करोड़ से ज्यादा लोगों को जीवन देती है. लेकिन औद्योगिक कचरे, प्लास्टिक और सीवेज ने गंगा को बीमार कर रखा गया. यह दुनिया की सबसे दूषित नदियों में से एक है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Kanojia11 देशों और 36 करोड़ लोगों को पालने वाली नील नदी करोड़ों टन प्लास्टिक समंदर तक ले जा रही है. प्लास्टिक बहाव के मामले में यह पांचवें नंबर पर है.
तस्वीर: Imago/Zumapressचीन की एक और नदी हाई इस मामले में चौथे नंबर पर है. यह दुनिया के दो सबसे ज्यादा आबादी वाले शहरों में शुमार बीजिंग और तियानजिन को जोड़ती है.
तस्वीर: Imago/Zumapress/Feng Junएशिया की सबसे लंबी नदियों में शामिल सिंधु नदी भी प्लास्टिक की वजह से बुरी तरह दूषित है. जर्मनी के हेल्महोल्ज सेंटर ऑफ एनवॉयरन्मेंट रिसर्च के मुताबिक महासागरों तक जाने वाला 90 फीसदी प्लास्टिक इन्हीं 10 नदियों में बहता है.
तस्वीर: Asif Hassan/AFP/Getty Imagesचीन की पीली नदी में अब मछलियों की कई प्रजातियां नहीं मिलतीं. ये प्रजातियां प्रदूषण के कारण खत्म हो चुकी हैं. पीली नदी के पानी में भारी मात्रा में प्लास्टिक मिला है. इसका पानी सिंचाई के लायक भी नहीं है.
तस्वीर: Teh Eng Koon/AFP/Getty Imagesएशिया की सबसे लंबी और विश्व की तीसरी लंबी नदी यांगत्से प्लास्टिक के कचरे के मामले में पहले नंबर पर है. आलोचकों के मुताबिक चीन के अंधाधुंध आर्थिक विकास की कीमत इन नदियों और महासागरों ने चुकायी है. (रिपोर्ट: जेनिफर कॉलिंस/ओएसजे)
तस्वीर: Imago/VCG स्टडी में कहा गया है, "इससे पता चलता है कि बाढ़ की घटनाएं शहर की नदियों से बड़ी मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक लेकर उसे सागर में उड़ेल रही हैं." रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, "वैश्विक स्तर पर माइक्रोप्लास्टिक से जूझने का सिर्फ एक ही तरीका है कि नदियों में प्लास्टिक पहुंचने के स्रोतों पर असरदार तरीके से नियंत्रण किया जाए."
कुछ माइक्रोप्लास्टिक जानबूझकर कॉस्मेटिक उद्योग के लिए तैयार किए जाते हैं जबकि बाकी बड़े प्लास्टिकों के टूटने से बनते हैं. समंदर में पहुंचने वाला करीब 90 फीसदी माइक्रोप्लास्टिक धरती से जाता है हालांकि इसमें नदियों का योगदान कितना है इसके बारे में अभी पक्की जानकारी नहीं है.
एनआर/ओएसजे (डीपीए)