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बाबरी केस: आडवाणी और ठाकरे को नोटिस

४ मार्च २०११

सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद मामले में बीजेपी नेता एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शिव सेना नेता बाल ठाकरे सहित 21 लोगों के खिलाफ नोटिस जारी किया. सीबीआई ने हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें ये नेता बरी हुए.

तस्वीर: UNI

बीजेपी और संघ नेताओं पर आरोप है कि उन्होंने बाबरी मस्जिद ढहाने की आपराधिक साजिश रची. सुप्रीम कोर्ट सीबीआई के इस आरोप पर इन नेताओं का रुख जानना चाहती है. नोटिस का जवाब देने के लिए चार हफ्तों का समय दिया गया है.

सोलिसिटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम ने पिछले साल मई में आए इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले की वैधानिकता पर सवाल उठाया. इस फैसले में बीजेपी नेताओं के खिलाफ बाबरी विध्वंस मामले में आपराधिक साजिश के आरोपों को खारिज किया गया है. जी सुब्रह्मण्यम सीबीआई की ओर से इस केस में पैरवी कर रहे हैं.

20 मई, 2010 के हाई कोर्ट फैसले को चुनौती देते हुए सीबीआई ने अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. इलाहाबाद हाई कोर्ट वरिष्ठ बीजेपी नेताओं और संघ परिवार के बड़े नेताओं को बाबरी मस्जिद ढहाए जाने में आपराधिक साजिश के आरोप से बरी कर चुकी है.

तस्वीर: picture alliance / dpa

इन नेताओं में एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विनय कटियार, विष्णु हरि डालमिया, साध्वी ऋतम्भरा, उमा भारती और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह और महंत अवैद्य नाथ शामिल हैं. सीबीआई इन आरोपों को लेकर फिर से केस शुरू करना चाहती है.

सीबीआई याचिका में कहा गया है कि हाई कोर्ट के फैसले से न्यायिक प्रक्रिया को ठेस पहुंची है और इससे ठोस जांच और चार्जशीट का उल्लंघन हुआ है और मुकदमे की कार्रवाई प्रभावी तरीके से नहीं हुई.

पिछले साल मई में हाई कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई स्पेशल कोर्ट के जिस फैसले को चुनौती दे रही है उसमें कोई दम नहीं है. सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने इन नेताओं के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोपों को खारिज किया जिसके बाद सीबीआई ने हाई कोर्ट का रुख किया.

हाई कोर्ट ने सीबीआई स्पेशल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और अब सीबीआई इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रही है. इस मामले में दो आरोप लगाए गए हैं. एक आरोप आडवाणी सहित उन नेताओं के खिलाफ है जो दिसंबर 1992 में बाबरी ढहाए जाने के समय राम कथा कुंज के मंच पर मौजूद थे. जबकि दूसरा केस उन अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ जो उस समय विवादित मस्जिद के आसपास जमा थे. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि निचली अदालत के फैसले के खिलाफ कुछ नहीं पाया गया है.

अयोध्या में 6 दिसंबर 1992 को राम मंदिर आंदोलन के दौरान बाबरी मस्जिद को कारसेवकों ने ढहा दिया. आडवाणी सहित बीजेपी के कई नेता उस दिन अयोध्या में ही मौजूद थे और उन पर आरोप है कि मस्जिद को ढहाने की साजिश पहले से रची गई थी. मस्जिद विध्वंस के बाद भारत के कई राज्यों में दंगे भड़क उठे थे जिनमें जान माल का भारी नुकसान हुआ.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य

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