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बायर्न की झलक के लिए दिल्ली तैयार

१० जनवरी २०१२

हाल के दिनों में भारत में फुटबॉल की पूछ बढ़ी है. लीवरपूल, बायर्न म्यूनिख जैसी टीमों ने यहां रुचि दिखाई. पर फुटबॉल की कुल स्थिति भारत में अच्छी नहीं कही जा सकती. 1996 में 92वीं फीफा रैंकिंग वाला भारत अब162वें नंबर पर है.

तस्वीर: DW

दुनिया के मशहूर जर्मन क्लब बायर्न म्यूनिख को दिल्ली में खेलते देखने के लिए खेल प्रेमियों में उत्साह तो है लेकिन अफसोस यह भी है की एक तो यह दोस्ताना मैच है और साथ ही एक तरफा होगा. भारत के मुकाबले बायर्न बहुत ही तगड़ी टीम है और मैच में दो टीमो के मुकाबले से ज्यादा आकर्षण होगा दुनिया के कुछ चुनिंदा खिलाडियों का दिल्ली के नेहरु स्टेडियम पर खेलना. चार बार की यूरोपीयन चैम्पियन टीम में कप्तान फिलिप लाम और स्टार मिडफील्डर बास्टियान श्वाइनश्टाइगर के अलावा गोल कीपर मानुएल नॉयर, मिडफील्डर फ्रांक रिबेरी, आर्यन रोबन और थोमास म्यूलर तथा मारिओ गोमेज जैसे दिग्गज खिलाडी हैं. ऐसी टीम के खिलाफ भारत के मैच में स्कोरलाइन की बात करना कुछ अटपटा है.  इसी लिए जब सोमवार शाम दोहा से दिल्ली पहुंच कर बायर्न टीम भारतीय मीडिया से मुखातिब हुई तो सबसे बड़ा सवाल टीम के सामने था की वो भारत पर कितने गोल दागेंगे?

तस्वीर: AP

दोहा में 13-0 से जीतने के बाद भारत में यह सवाल स्वाभाविक ही था. लेकिन खचाखच प्रेस कॉन्फ्रेंस में करीब 300 टीवी और अख़बारों के पत्रकारों को लाम ने गोल की संख्या बताने से इनकार किया और कहा कि टीम मैच को गंभीरता से लेगी.

बायर्न के कोच जप हेंक्स ने कहा की बायर्न यूरोप के ऊंचे स्तर की टीम है और उसकी गिनती दुनिया के टॉप के 5 क्लबों में होती है. ``हम चाहेंगे की भारतीय फुटबाल प्रेमियों को हम उस किस्म के फुटबाल की एक झलक दिखला सके.''

तस्वीर: DW

क्रिकेट से फुटबॉल तक

लाम ने अपनी पहली भारत यात्रा के बारे में बोलते हुए कहा की जहां तक भारत में खेलों का सवाल है तो उन्होंने सिर्फ क्रिकेट के बारे में ही सुना था लेकिन अब फुटबॉल को भी जानेंगे. "भारत में भूटिया जैसे खिलाडी के फेयरवेल मैच में खेलना हमारे लिए सम्मान की बात है.''

कंधे की चोट से उबरते श्वाइनश्टाइगर ने कहा की उनके लिए यह मैच यादगार से कम नहीं होगा क्योंकि इससे उनकी फिटनेस का पता चलेगा. साथ ही जब उनसे यह पूछा गया कि क्या वो मसालेदार भारतीय खाना खा पाएंगे तो उन्होंने तालियों के बीच कहा की "खाने से ज्यादा मुझे भारतीय लड़कियां अच्छी लगी हैं''. उन्होंने यह भी कहा की वो अलग अलग देशों में खेलना पसंद करते हैं और क्योंकि आजकल भारत की पहचान दुनिया भर में है तो वो चाहेंगे की वो यहां नए दोस्त बनाकर लौटे.

क्या भूटिया वापस मैदान में आयेंगे?

भारतीय मीडिया के लिया शायद यह पहला मौका था जब उनके सामने उनका लाडला भूटिया था और अपने आखिरी मैच के लिए तैयार था. लेकिन सवाल सब बायर्न टीम को ही किये जा रहे थे. फिर भी जब भूटिया से पुछा गया की क्या वो वापस मैदान में आ सकते हैं तो भूटिया ने कहा कि "अगर देश को मेरी ज़रूरत हो तो मैं इस बारे में सोच सकता हूँ लेकिन मुझे यकीन है की ऐसी स्थिति नहीं आएगी क्योंकि भारत में कई युवा खिलाडी बहुत अच्छा खेल रहें हैं.''

बायर्न टीम जर्मन कार कंपनी आउडी के सौजन्य से भारत के दौरे पर है. और प्रेस कॉन्फ्रेंस में आउडी के मैनेजिंग डाइरेक्टर माइकल पर्श्के ने कहा की उन्हें यकीन है कि जर्मन फुटबाल टीम का दौरा यहीं तक सीमित नहीं रहेगा. "हम चाहेंगे की टीम हर साल भारत में खेले जिससे भारत के युवा खिलाडियों का हौसला बढ़े.''

भूटिया को बायर्न का आश्वासन

इस मैच का एक मुख्य उद्देश्य सिक्किम के भूचाल पीड़ितों के लिए पैसा इकट्ठा करना भी था और उसके लिए चोटी के खिलाडियों के सामान की नीलामी भी थी. लेकिन भूटिया ने यह फैसला लिया कf यह नीलामी अब अगले महीने होगी. फिर भी जर्मन कार कंपनी आउडी और बायर्न क्लब के खिलाडियों ने भूटिया को आश्वासन दिया की वो भी उनकी इस मुहिम में उनका भरपूर साथ देंगे.

रिपोर्टः नॉरिस प्रीतम, नई दिल्ली

संपादनः आभा एम

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