बाल्टिक सागर में रूसी जेट का अमेरिकी वॉरशिप के इतने करीब आना अमेरिका को बेहद नागवार गुजरा है. रूस ने दी सफाई.
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अमेरिका ने दावा किया है कि रूस के दो फाइटर जेट बाल्टिक सागर में यूएस नेवी के वॉरशिप के बेहद करीब आ गए थे. अमेरिकी मीडिया में लिखा गया है कि इस मंगलवार को एक रूसी सैनिक हैलिकॉप्टर 30 फीट से भी कम ऊंचाई से कई बार अमेरिकी वॉरशिप के चक्कर लगाते हुए उड़ा और उसकी तस्वीरें लीं. व्हाइट हाउस ने रूस की इस हरकत पर कड़ा एतराज जताते हुए इसे एक उकसाने वाला कदम बताया.
वहीं रूस का कहना है कि इस हफ्ते सोमवार और मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय जल सीमा में अपने सुकोई सू-24 जेट के अभ्यास के लिए वे पहले से ही सभी सुरक्षा नियमों के अनुसार अनुमति लेकर वहां थे. यह बात इंटरफैक्स न्यूज एजेंसी ने रूसी मेजर जनरल इगोर कोनाशेंकोव के हवाले से लिखी है.
अमेरिकी पेंटागन के अनुसार रूसी विमान ने सोमवार और मंगलवार को अमेरिकी जहाजों के बहुत पास से काफी "आक्रामक" उड़ानें भरीं. अमेरिकी डिस्ट्रॉयर जहाज डोनाल्ड कुक के कमांडिंग अफसर का मानना है कि रूसी कार्रवाई "असुरक्षित और गैरपेशेवर" थी.
इस आरोप को रद्द करते हुए रूसी मेजर जनरल कोनाशेंकोव ने कहा, "अमेरिकी साथियों की ओर से आ रही ऐसी सताने वाली प्रतिक्रिया का कारण, हमारी तो समझ से बाहर है." जिस समय रूसी जेट यूएसएस डोनाल्ड कुक के ऊपर से गुजरे थे, अमेरिकी जहाज रूसी नेवल बेस से केवल 70 किलोमीटर की दूरी पर था.
शीतकाल के बाद से रूस और पश्चिमी देशों के बीच संबंधों में सबसे ज्यादा गिरावट 2014 में क्रीमिया को यूक्रेन से अलग किए जाने पर आई थी. रूस पर यूक्रेन के पूर्वी हिस्से में अलगाववादियों को समर्थन देने के आरोप भी लगते रहे हैं.
इस घटना में रूस अपने सू-24 विमानों की हरकत को केवल टेस्ट फ्लाइट बता रहा है, वहीं व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉश अर्नेस्ट ने इन उड़ानों को "अंतरराष्ट्रीय जल और वायु सीमा में सैनिक कार्रवाइयों के लिए तय पेशेवर नियमों से पूरी तरह असंगत" बताया है.
आरपी/आईबी (डीपीए, एएफपी)
रूस के इन हथियारों से सहम जाती है दुनिया
शीत युद्ध के बाद से रूस को सैन्य रूप से कमजोर माना जाने लगा. लेकिन सीरिया के संघर्ष ने साफ कर दिया है कि रूस सैन्य रूप से बहुत ताकतवर है. रूस के पास ऐसे कई हथियार हैं जो मॉस्को को फिर से सुपरपावर बना सकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
टी-14 टैंक
यह पांचवीं पीढ़ी का टैंक है. रूस ने इसे 2015 में लॉन्च किया. इस टैंक को रोबोटिक कॉम्बैट व्हीकल में भी बदला जा सकता है. हाल ही में रूस ने इस पर 152 एमएम की तोप लगाने का एलान किया है. रूसी उपप्रधानमंत्री दिमित्रि रोगोजिन के मुताबिक, यह तोप "एक मीटर मोटी स्टील की चादर को भेद सकती है."
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युद्धपोत प्योत्र वेलिकी
अटलांटिक महासागर में रूस के उत्तरी बेड़े का यह सबसे घातक युद्धपोत है. परमाणु ऊर्जा से चलने वाला यह युद्धपोत किरोव क्लास युद्धपोतों का हिस्सा है. नाटो इसे "विमानवाही पोतों का हत्यारा" कहता है. यह बैलेस्टिक मिसाइल को भी नष्ट कर सकता है.
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सुखोई टी-50
रूस का यह लड़ाकू विमान अमेरिका के हर तरह के लड़ाकू विमानों पर भारी पड़ता है. 2010 में पहली उड़ान के बाद रूस और भारत ने इसे साथ बनाने का फैसला किया. रणनीतिक साझीदारी के तौर पर रूस और भारत 2017 से इसे बड़े पैमाने पर बनाएंगे. लेकिन इस योजना पर वित्तीय मतभेद भारी पड़ रहे हैं.
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एस-400 मिसाइल
रफ्तार 17,000 किलोमीटर प्रति घंटा और 400 मीटर के दायरे में किसी भी लक्ष्य को भेदने की क्षमता के चलते पायलट इससे घबराते हैं. सीरिया के उडारान खामेमिम बेस में जब रूस ने इन मिसाइलों को तैनात किया तो अमेरिका को अपने लड़ाकू विमान वहां से हटाने पर मजबूर होना पड़ा. अब रूस एस-400 को और बेहतर कर रहा है.
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सुखोई एसयू-35
रूस का यह लड़ाकू विमान अमेरिका के एफ-16 पर भारी पड़ता है. इसका मुकाबला करने के लिए अमेरिका ने एफ-35 बनाया. लेकिन हाल ही में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के मुताबिक एफ-35 भी सुखोई से कमतर है. सुखोई एसयू-35 की तेज रफ्तार और जबरदस्त चपलता को टक्कर देना बहुत मुश्किल है.
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हाइपरसोनिक रॉकेट वाईयू-71
रूस काफी समय से परमाणु हथियारों के लिए हाइपरसोनिक मिसाइल बनाना चाहता था. "प्रोजेक्ट 4204" नाम के सीक्रेट कोड के साथ रूस ने वाईयू-71 बनाया. इसकी रफ्तार 12,000 किलोमीटर प्रतिघंटा है. जैन्स इंटेलिजेंस रिव्यू के मुताबिक यह मिसाइल आराम से नाटो के डिफेंस सिस्टम को भेद सकती है.
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लड़ाकू हेलीकॉप्टर एमआई-28एन
अमेरिकी कंपनी बोइंग के अपाचे लॉन्गबो लड़ाकू हेलीकॉप्टर रफ्तार और हथियारों की क्षमता के मामले में इससे पीछे हैं. रूस का यह हेलीकॉप्टर टैंक, बख्तरबंद गाड़ियों पर हमला कर सकता है. यह रात में भी उड़ता है.
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विमानवाही एडमिरल कुजनेत्सोव
एडमिरल कुजनेत्सोव दुनिया का अकेला विमानवाही पोत है जो कई तरह की एंटी बैलेस्टिक हथियारों और पनडुब्बी से लैस है. 1990 में पेश किया गया यह पोत अमेरिकी विमानवाही पोतों से उलट अकेला समंदर का सफर कर सकता है. वैसे 1991 में सोवियत संघ के विघटन के वक्त यह पोत यूक्रेन के हाथ लगने वाला था.
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Tupolev Tu-160M
टीयू-160एम इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा और भारी बमवर्षक है. रूसी पायलट इसे "सफेद हंस" कहते हैं. 2014 में आधुनिकीकरण के बाद टीयू-160एम की युद्ध क्षमता दोगुनी कर दी गई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
परमाणु पनडुब्बी यूरी डोग्लोरुकी
बीते दशक में रूस ने बड़ी पनडुब्बियों के बजाए छोटी पनडुब्बियां बनानी शुरू कीं लेकिन यह जानलेवा साबित हुआ. यूरी डोग्लोरुकी के साथ रूस ने इस तकनीकी बाधा को दूर किया. साउंडप्रूफ होने की वजह से समंदर में इसका पता लगाना बहुत ही मुश्किल है. इसमें परमाणु हथियार लगाए जा सकते हैं.