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बाल यौन शोषण पर वैटिकन की निंदा

५ फ़रवरी २०१४

संयुक्त राष्ट्र ने बच्चों के यौन शोषण को न रोक पाने के लिए वैटिकन की निंदा की है और उन पादरियों को हटाने की मांग की है जिनपर बच्चों के साथ बलात्कार या छेड़छाड़ करने का संदेह है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

बच्चों के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र की समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कैथोलिक गिरजे में विश्व भर में दसियों हजार बच्चों का सालों से व्यवस्थित रूप से यौन शोषण किया गया है. समिति ने वैटिकन से बच्चों का यौन शोषण करने वाले सभी ज्ञात और संदिग्ध लोगों को उनके पदों से हटाने और मामले को जांच तथा जरूरी कार्रवाई के लिए संबंधित कानूनी अधिकारियों को सौंपने की मांग की है.

वैटिकन ने इस रिपोर्ट को असंतुलित कहा है. आर्चबिशप सिलवानो टोमासी ने समलैंगिकता, गर्भपात और गर्भ निरोध पर चर्च के नजरिए का बचाव करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र चर्च से उम्मीद नहीं कर सकता कि वह अपनी नैतिक सीखों में बदलाव लाए.'

सिलवानो टोमासीतस्वीर: picture alliance/dpa

अपराध स्वीकारे वैटिकन

एक सख्त रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र की समिति ने कहा है कि रोम कैथोलिक चर्च पादरियों और अन्य अधिकारियों द्वारा किए जा रहे यौन शोषण को रोकने की अपनी घोषित प्रतिबद्धता पर खरा नहीं उतरा है. "समिति को इस बात पर गहरी चिंता है कि वैटिकन ने अपराध के आयाम को स्वीकार नहीं किया है, बच्चों के यौन शोषण को रोकने और उन्हें सुरक्षा देने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाया है और इस तरह की नीतियां अपनाई हैं जिससे यौन शोषण और ऐसा करने वालों का दंड से बचना जारी है."

संयुक्त राष्ट्र की बाल अधिकार समिति ने अपराध को छुपाने और अपराधियों को बचाने के लिए यौन शोषण करने वालों का देश के अंदर या सीमा पार तबादला करने की प्रथा की निंदा की है. "अपराधियों की आवाजाही , जिसकी वजह से बहुत से पादरियों का बच्चों के साथ संपर्क में रहना और उनका शोषण करना संभव होता है, अभी भी बहुत से देशों में बच्चों को यौन शोषण के जोखिम में डाल रहा है, क्योंकि दर्जनों अपराधियों के बच्चों के संपर्क में होने की खबर है."

सुनवाई का असर

यह रिपोर्ट पिछले महीने हुई ऐतिहासिक सुनवाई के बाद आई है जिसमें दुनिया भर के 10 स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों से बनी समिति के सदस्यों ने वरिष्ठ धार्मिक नेताओं से पूछताछ की थी और वैटिकन की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाए थे. बच्चों के अधिकारों पर 1989 में हुई संधि पर दस्तखत करने वाले अन्य देशों की तरह वैटिकन भी समिति की जांच के दायरे में आता है. वह पिछली बार 1995 में समिति के सामने पेश हुआ था, लेकिन तब तक पादरियों द्वारा व्यवस्थित रूप से स्कूलों और दूसरे संस्थानों में बच्चों के व्यापक यौन शोषण का मामला सामने नहीं आया था.

बाल अधिकारों की मांगतस्वीर: picture-alliance/ dpa

कैथोलिक गिरजा 2001 से दुनिया भर के यौन शोषण के मामलों को अंदरूनी तौर पर वैटिकन के कानूनी विभाग के जरिए निबटाता है. संयुक्त राष्ट्र की बाल अधिकार समिति ने शिकायत की है कि उसे कानून विभाग द्वारा तय मामलों या उसमें दी गई सजा के बारे में कोई डाटा नहीं मिला है. उसने यौन शोषण के मामलों का निबटारा बंद कमरे के पीछे करने के लिए चर्च की आलोचना की है और कहा है कि इससे अपराधियों को कानूनी प्रक्रिया से भागने का मौका मिलता है.

बाध्य नहीं है वैटिकन

समिति ने यह शिकायत भी की है कि चर्च के विद्रोहियों को निष्कासित, पदावनत या बर्खास्त कर दिया गया है, जबकि चुप रहने वाले पादरियों को बधाई दी गई है और शोषण के शिकारों को चुप रहने की शर्त पर हर्जाना दिया गया है. इस सिलसिले में संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक कानूनी स्तर पर बाध्य नहीं हैं लेकिन 2005 से 2013 तक पोप रहे बेनेडिक्ट सोलहवें कैथोलिक गिरजा के पहले प्रमुख थे जिन्होंने शोषण के शिकारों से माफी मांगी और इस तरह के मामलों में शून्य सहनशीलता की वकालत की.

आलोचकों का कहना है कि पोप बेनेडिक्ट केवल वादों तक सीमित रहे और इसका वास्तव में असर देखने को नहीं मिला. पोप फ्रांसिस ने कहा है कि कैथोलिक समुदाय को शर्म महसूस करनी चाहिए. उन्होंने पिछले साल दिसंबर में यौन अपराधों की जांच करने के लिए एक आयोग का गठन किया है जो पी़ड़ितों की भी देखरेख का काम करेगा.

एमजे/एमजी (एएफपी, रॉयटर्स)

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