बिहार में बाल विवाह जैसी कुप्रथा को जड़ से समाप्त करने के लिए सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एक मोबाइल ऐप तैयार किया है. यह ऐप न केवल बाल विवाह को रोकने में बल्कि दहेज और अन्य कुप्रथाओं के खिलाफ लड़ने में भी मदद करेगा.
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'बंधन तोड़' एक खास तरह का ऐप है, जिसका मकसद है समाज में लैंगिक बराबरी लाना. इस ऐप को जेंडर एलायंस ने तैयार किया है. जेंडर एलायंस बिहार में लिंग समानता स्थापित करने के लिए 270 चैरिटी संस्थाओं का संयुक्त प्रयास है. इस ऐप को हाल ही में राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने लॉन्च किया.
बिहार के इस कदम को संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष की ओर से भी मदद मिल रही है. बाल विवाह के मामले में भारत दुनिया भर में बदनाम है. यूनिसेफ की एक रिपोर्ट मुताबिक पूरी दुनिया की तुलना में सबसे अधिक बाल विवाह भारत में होते हैं.
बंधन तोड़ का अर्थ इसके नाम से ही जाहिर होता है, बंधनों को तोड़ने वाला. इसमें बाल विवाह, दहेज और अन्य सभी कुप्रथाओं से जुड़े बंधनों को तोड़ने की पैरवी की गयी है. इस ऐप में एक एसओएस बटन है जो सक्रिय होने पर पूरी टीम को सूचित करता है. जेंडर एलायंस के प्रमुख प्रशांती तिवारी बताती हैं, "यह ऐप बाल विवाह को रोकने में हमारी कोशिशों में कारगर साबित होगा." प्रशांती मानती हैं कि "शिक्षा देना अच्छी बात है लेकिन जब किसी लड़की पर कानूनी उम्र के पहले ही शादी का दवाब बनाया जा रहा हो तो उस स्थिति में लड़कियों के लिए यह ऐप मददगार साबित हो सकता है."
बाल विवाह एक अपराध है लेकिन पारंपरिक रूप से भारतीय समाज में यह प्रथा चलती आ रही है. इसलिए बाल विवाह के खिलाफ शिकायतें कम ही दर्ज होती हैं. कार्यकर्ता कहते हैं कि बाल विवाह के चलते लड़कियां पढ़ाई पूरी नहीं कर पातीं और साथ ही यौन शोषण और घरेलू हिंसा के कई मामले सामने आते हैं. चैरिटी संस्थान 'ऐक्शन ऐड' (भारत) ने इस साल अपनी रिपोर्ट में कहा था कि तमाम कानूनी प्रयासों के बावजूद अब भी बाल विवाह जैसी कुप्रथा समाज में जमी है.
प्रशांती ने बताया, "ऐप का एसओएस जैसे ही सक्रिय होगा, आसपास स्थित एनजीओ को पता चल जाएगा और वे मामले को सुलझाने की कोशिश करेंगे, लेकिन अगर बात नहीं बनेगी तो वह पुलिस को सूचित करेंगे."
क्या है बाल विवाह की कीमत
कम उम्र में बच्चों की शादी की कुप्रथा के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास ही प्रभावित नहीं होता बल्कि इससे पूरे समाज और देश की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ता है. देखिए समाज को कितना महंगा पड़ता है बाल विवाह.
घट सकती है गरीबी
भारत जैसे विकासशील देशों को बाल विवाह के कारण सन 2030 तक कई खरब डॉलर का नुकसान उठाना होगा. विश्व बैंक के अनुसार, यह कुप्रथा गरीबी मिटाने के वैश्विक प्रयासों की राह में एक बहुत बड़ी रुकावट है. केवल इसे रोकने भर से राष्ट्रीय आय में औसतन एक फीसदी की बढ़ोत्तरी हो सकती है.
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हर 2 सेकंड में, 1 बालिका वधू
इंटरनेशनल सेंटर फॉर रिसर्च ऑन वीमेन के अनुसार, हर साल 1.5 करोड़ लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में हो रही है. यानि हर दो सेकंड में एक नाबालिग लड़की की शादी होती है. नाइजर में 77 फीसदी जबकि बांग्लादेश में 59 फीसदी है बाल विवाह का आंकड़ा.
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सुधरेगा लड़की का जीवन
बाल विवाह पर रोक से तेजी से हो रही जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण करने में मदद मिलेगी. इससे लड़कियों का स्कूल छूटने में कमी आयेगी और उनकी कमाई के स्तर में भी सुधार आ सकता है. बाल विवाह के कारण महिलाओं की आय औसतन 9 फीसदी कम हो जाती है.
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काफी नहीं है गिरावट
जागरुकता और सक्रिय प्रयासों के चलते विश्व भर में बाल विवाह की दर में कमी तो आयी है. लेकिन चूंकि जनसंख्या उससे भी ज्यादा तेज दर से बढ़ती जा रही है, इसलिए बाल वधुओं की संख्या भी बढ़ी है. जनसंख्या दर में कमी आने से देश के शिक्षा बजट में भी 5 फीसदी से अधिक की बचत होगी.
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बच्चों की पैदाइश
जिन महिलाओं की शादी जल्दी होती है उनके बच्चे भी जल्दी पैदा होने की संभावना रहती है. बांग्लादेश का उदाहरण लें, तो केवल बाल विवाह रोकने भर से देश की प्रजनन दर 18 फीसदी कम की जा सकती है.
कम जनसंख्या वृद्धि का सीधा संबंध विकासशील और गरीब देशों की जीडीपी में बढ़ोत्तरी और समृद्धि से पाया गया है. अगर 2015 में बाल विवाह रुक गया होता, तो नेपाल जैसे देश को हर साल करीब एक अरब डॉलर की बचत होती.
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बाल मृत्युदर और विकास
कम उम्र की मांओं के बच्चों में कुपोषण के कारण जान जाने या विकास बाधित होने का खतरा कहीं ज्यादा होता है. 5 साल से कम उम्र में मरने वाले हर 100 में से तीन बच्चों की मांएं कम उम्र की होती हैं. अगर इस आयु वर्ग के बच्चों को बचाया जा सके तो 2030 तक पूरे विश्व को इससे सालाना 98 अरब डॉलर का फायदा होगा. (ऋतिका पाण्डेय)
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'चाइल्ड इन नीड इंस्टीट्यूट' के मुताबिक ऐसा ही एक ऐप साल 2015 में पश्चिम बंगाल में लॉन्च किया जा चुका है, जिसका मकसद भी राज्य में बाल विवाह, मानव तस्करी और बाल श्रम से जूझते बच्चों और महिलाओं को बचाना था.