हंगरी और पोलैंड में धुर दक्षिणपंथियों पार्टियों का वर्चस्व, और अब इटली में यूरोप विरोधी पार्टियों का सरकार बनाना. यूरोप में बिखराव के संकेत दिख रहे हैं. क्या चांसलर अंगेला मैर्केल के प्रस्ताव सुधारों को तेज कर सकेंगे.
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जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने यूरोपीय संघ में व्यापक सुधारों के लिए फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों के प्रस्तावों का जबाव दिया है. उन्होंने यूरोपीय एकता, निवेश बढ़ाने और साझा शरणार्थी एजेंसी बनाने पर जोर दिया है.
जर्मन अखबार फ्रांकफुर्टर अल्गेमाइने साइटुंग को दिए इंटरव्यू में जर्मन चांसलर ने कहा कि बदलती विश्व व्यवस्था में "यूरोप को आंतरिक और बाहरी तौर पर इस तरह कदम उठाने होंगे कि दुनिया उसे गंभीरता से ले".
मैर्केल पहले ही कह चुकी हैं कि यूरोप अब पूरी तरह किसी और पर निर्भर नहीं रह सकता है और उसे अपनी किस्मत अपने हाथ में लेनी होगी. यह बात उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से मतभेदों के सिलसिले में कही थी.
जानिए यूरोप और यूरोपीय संघ में फर्क
यूरोप और यूरोपीय संघ में क्या फर्क है
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कई बार यूरोपीय संघ को ही यूरोप समझ लिया जाता है. लेकिन दोनों के बीच बहुत अंतर है. चलिए डालते हैं इसी पर एक नजर:
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देश
ब्रिटेन के निकलने के बाद यूरोपीय संघ में 27 सदस्य बचेंगे जबकि यूरोपीय महाद्वीप में कुल देशों की संख्या लगभग 50 है. वैसे पूर्वी यूरोप के कई देश यूरोपीय संघ का हिस्सा बनना चाहते हैं.
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क्षेत्रफल
यूरोपीय संघ का क्षेत्रफल 4.4 लाख वर्ग किलोमीटर है जबकि समूचा यूरोपीय महाद्वीप लगभग एक करोड़ वर्ग किलोमीटर में फैला है. इस तरह ईयू क्षेत्रफल के मामले में पूरे यूरोप का आधा भी नहीं है.
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जनसंख्या
यूरोपीय संघ में शामिल देशों की कुल जनसंख्या 51.1 करोड़ है. वहीं यूरोप के सभी देशों की जनसंख्या की बात करें तो वह लगभग 74.1 करोड़ बैठती है. यूरोप के कई देश अपनी घटती जनसंख्या को लेकर फिक्रमंद हैं.
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मुद्रा
यूरोपीय संघ के भीतर एक और समूह है जिसे यूरोजोन कहा जाता है. यह यूरोपीय संघ के उन देशों का समूह है जिन्होंने यूरो को अपनी मुद्रा के तौर पर अपनाया है. बाकी अन्य देशों की अपनी अपनी मुद्राएं हैं.
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ये नहीं हैं ईयू में
सबसे चर्चित यूरोपीय देशों में शामिल स्विट्जरलैंड और नॉर्वे ईयू का हिस्सा नहीं हैं, जबकि ब्रिटेन ब्रेक्जिट के बाद उससे अलग होने का मन बना चुका है. अन्य नॉन ईयू यूरोपीय देशों में यूक्रेन, सर्बिया और बेलारूस शामिल हैं.
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जीडीपी
जर्मनी, फ्रांस, डेनमार्क, इटली और स्वीडन जैसे समृद्ध देश यूरोपीय संघ का हिस्सा है. इसीलिए उसकी जीडीपी 2018 में 18,400 अरब डॉलर रहने की उम्मीद है. वहीं पूरे यूरोप की जीडीपी 20,200 अरब डॉलर रह सकती है.
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मैर्केल ने ताजा इंटरव्यू में सीधे तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति की आलोचना तो नहीं की लेकिन इतना जरूर कहा कि अमेरिका पारस्परिक समझौतों से हट गया है और उसने यूरोप से आयात होने वाले स्टील और एल्यूमीनियम पर भी शुल्क लगा दिया है.
ईयू में सुधार
यूरोपीय संघ में सुधारों के लिए राष्ट्रपति माक्रों के महत्वाकांक्षी प्रस्तावों पर भी मैर्केल ने अपनी बात रखी. माक्रों यूरोप को ज्यादा मजबूत और उसके नागरिकों के प्रति उसे ज्यादा सजग बनाना चाहते हैं. मैर्केल ने सुधारों पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी लेकिन इनमें से कई बातों पर वह सहमत दिखीं.
माक्रों ने साझा मुद्रा यूरो इस्तेमाल करने वाले यूरोपीय देशों के लिए एक संयुक्त बजट का प्रस्ताव रखा था, जिससे यूरोपीय परियोजनाओं में निवेश किया जा सकेगा और आर्थिक संकट की स्थिति में उससे यूरोजोन को स्थिर बनाने में मदद मिलेगी.
माक्रों साझा यूरोपीय सैन्य बल और साझा रक्षा बजट की वकालत भी करते हैं. इसके अलावा माक्रों ने यूरोप में आने वाले शरणार्थियों को संभालने के लिए एक यूरोपीय शरणार्थी एजेंसी बनाने और मानक यूरोपीय संघ पहचान दस्तावेज तैयार करने का भी सुझाव किया था.
रविवार को प्रकाशित इंटरव्यू में मैर्केल ने कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की तर्ज पर एक यूरोपीय मुद्रा कोष बनाने का समर्थन करती हैं जो सदस्य देशों को दीर्घकालीन और लघुकालीन लोन देकर उन्हें स्थिर बनाने में मदद करेगा. उन्होंने निवेश फंड बनाने के विचार का भी स्वागत किया.
जर्मनी शरणार्थियों की पहली पसंद क्यों?
कैसे बना जर्मनी शरणार्थियों की पहली पसंद
जब शरणार्थी यूरोप का रुख कर रहे थे तब जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने इनके लिये "ऑपन डोर पॉलिसी" अपनाई. मैर्केल की नीति ने शरणार्थियों के लिए तो राह आसान की वहीं विरोधियों को राजनीतिक जमीन दे दी. एक नजर पूरे मसले पर.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Weigel
25 अगस्त 2015
जर्मनी ने सीरियाई लोगों के लिये डबलिन प्रक्रिया को निलंबित करने का निर्णय लिया. इसके तहत शरणार्थियों को यूरोपीय संघ के उन देशों में रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है जहां वे सबसे पहले दाखिल हुए थे. जर्मनी ने उन्हें उन देशों में वापस न भेजने का फैसला लिया.
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31 अगस्त 2015
जर्मन चांसलर मैर्केल ने कहा कि "हम यह कर सकते हैं". यह वही वक्त था जब शरणार्थी संकट यूरोप के लिए सबसे बड़ा नजर आ रहा था. मध्य-पूर्व में छिड़े युद्ध के कारण जर्मन सरकार ने सैकड़ों शरणार्थियों को संरक्षण प्रदान किया और मैर्केल ने इसे राष्ट्रीय कर्तव्य बताया.
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4 सितंबर 2015
जर्मनी और ऑस्ट्रिया ने हंगरी में फंसे शरणार्थियों के लिये सीमायें खोल दीं. म्यूनिख के मुख्य रेलवे स्टेशन पर जर्मन वालंटियर्स ने सैकड़ों शरणार्थियों का स्वागत किया. इसने जर्मनी की स्वागत करने की संस्कृति को उजागर किया और फिर क्या था, जर्मनी, यूरोप में शरण चाहने वालों का पंसदीदा देश बन गया.
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13 सितंबर 2015
जर्मनी ने आस्ट्रिया के साथ सीमा नियंत्रण मजबूत करना शुरू किया. दोनों देशों के बीच दो घंटे तक ट्रेनों को रोक दिया गया. उस वक्त जर्मनी में हजारों शरणार्थी दाखिल हो रहे थे लेकिन जर्मनी के कई छोटे शहरों के लिये इससे निपटना आसान नहीं था.
15 अक्टूबर 2015
यूरोपीय संघ और तुर्की ने तुर्की से यूरोप आने वाले शरणार्थियों की समस्या से निपटने के लिये संयुक्त एक्शन प्लान तय किया. जर्मन संसद के निचले सदन बुंडेस्टाग ने शरणार्थी कानून में परिवर्तन किया और अल्बानिया, कोसोवो और मोंटेनिग्रो को सुरक्षित देश घोषित किया. इसके बाद इन देशों के शरणार्थियों को वापस भेजना संभव हुआ.
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दिसंबर 2015
जर्मनी ने शरणार्थियों को जगह दी थी. आम लोग सामने आकर उनकी मदद कर रहे थे, लेकिन एक हिस्से में विरोध की भावना भी पनप रही थी. 2015 के अंत तक तकरीबन 8.90 लाख शरणार्थी जर्मनी में आ चुके थे.
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मार्च 2016
स्लोवेनिया, क्रोएशिया, सर्बिया और मैसेडोनिया ने अपनी सीमाएं आप्रवासियों के लिये बंद कर दी. जर्मनी आने के लिये शरणार्थियों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले बाल्कन मार्ग पर सख्ती कर दी गयी. इसी वक्त धुर दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) ने तीन प्रांतीय चुनावों में सीटें जीती. यूरोपीय संघ और तुर्की ने ग्रीस पहुंचे आप्रवासियों को तुर्की वापस भेजने के लिये एक समझौते पर हस्ताक्षर किया.
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मई 2016
यूरोप में शरणार्थी बड़ी तादाद में आ गये थे, लेकिन कुछ देश उनके आने का पुरजोर विरोध कर रहे थे. इस वक्त यूरोपीय कमीशन ने एक अहम प्रस्ताव रखा. कमीशन का प्रस्ताव उन सदस्य देशों पर जुर्माना लगाने का था जो अपने कोटे के शरणार्थियों को लेने के लिए तैयार नहीं थे.
तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Messinis
जुलाई 2016
इस समय तक शरणार्थियों पर कुछ छुटपुट हमलों की भी खबर आई. 19 जुलाई को एक 17 वर्षीय अफगान शरणार्थी ने जर्मनी के वुर्त्सबर्ग के निकट एक ट्रेन में 20 यात्रियों पर चाकू से हमला किया. इसके छह दिन बाद एक सीरियाई शरणार्थी ने भी विस्फोटक डिवाइस का इस्तेमाल किया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/O. Panagiotou
दिसंबर 2016
14 दिसंबर को जर्मनी ने कुछ अफगान शरणार्थियों को वापस भेज दिया. 19 दिसंबर को जर्मनी में शरण को इच्छुक ट्यूनीशिया के एक शख्स ने बर्लिन के क्रिसमस मार्केट में ट्रक से हमला कर दिया. इसमें 12 लोग मारे गये थे और 56 घायल हुए. इन घटनाओं ने मैर्केल की शरणार्थी नीति को सवालों के घेरे में ला दिया.
तस्वीर: Reuters/F. Bensch
फरवरी 2017
बर्लिन में हुए हमले के बाद चांसलर मैर्केल ने शरण लेने में असफल रहे लोगों को वापस भेजे जाने की नई योजना पेश की. इस योजना के केंद्र में अफगानिस्तान से आये लोग थे.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Nietfeld
3 मार्च 2017
चांसलर अंगेला मैर्केल ने ट्यूनीशिया के साथ एक समझौता किया, इसके अंतर्गत 1500 ट्यूनीशियाई प्रवासियों को वापस भेजा जाना तय किया गया था.
तस्वीर: picture-alliance/AA/A. Landoulsi
11 अगस्त 2017
मैर्केल ने संयुक्त राष्ट्र रिफ्यूजी कमीशन के आयुक्त फिलिपो ग्रांडी से मुलाकात की और यूएनएचसीआर को 5 करोड़ यूरो की मदद का आश्वासन दिया. मैर्केल ने भूमध्य सागर के जरिये होने वाली मानव तस्करी से लड़ने वाले का भी समर्थन किया.
तस्वीर: AP
28 अगस्त 2017
मैर्केल ने यूरोपीय और अफ्रीकी नेताओं से मुलाकात कर आप्रवासियों के मुद्दे पर चर्चा की. इस मुलाकात में अफ्रीकी हॉटस्पॉट और रिसेप्शन सेंटर्स पर चर्चा हुई साथ ही शरणार्थियों के लिये अफ्रीकी विकल्प की संभावनाओं को भी खंगाला गया. (एए/वेस्ली डॉकरी)
तस्वीर: Getty Images/J. Koch
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साथ ही जर्मन चांसलर एक यूरोपीय शरणार्थी एजेंसी बनाने के हक में भी हैं जो साझा शरणार्थी कानून के आधार पर यूरोप में शरण के आवेदनों से जुड़े मामलों को देखेगी. मैर्केल ने कहा कि वह साझा यूरोपीय बल बनाने के माक्रों के विचार को भी "सकारात्मकता" के साथ देखती हैं, लेकिन इसके बारे में मिल कर काम करना होगा.
उधर फ्रांस ने मैर्केल के रुख का स्वागत किया है. फ्रांस के राष्ट्रपति कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है, "यह एक सकारात्मक कदम है जो यूरोप के प्रति चांसलर और उनकी सरकार की वचनबद्धता को दिखाता है. यूरोजोन और यूरोपीय संघ को मजबूत करने का यही तरीका है. हम इसके प्रति वचनबद्ध हैं और हमारी महत्वाकांक्षा का वही स्तर है."
इटली
मैर्केल ने यह इंटरव्यू ऐसे समय में दिया है जब इटली में दो पॉपुलिस्ट पार्टियों की सरकार यूरोपीय संघ के लिए सिरदर्द साबित हो सकती है. वहां की नई सरकार में गृह मंत्री मातिओ साल्विनी ने कहा है कि इतालवी लोग यूरोपीय संघ के दो सबसे अहम देशों जर्मनी और फ्रांस के "गुलाम नहीं हैं".
मैर्केल ने कहा कि वह इटली की नई सरकार के साथ खुले दिल से बात करेंगी और "उसके इरादों के बारे में अटकलें लगाने की बजाय" वे उसके साथ काम करने की कोशिश करेंगी. जब उनसे साल्विनी के बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बस इतना ही कहा, "सबसे अच्छा है कि मुद्दों के बारे में बात की जाए." जर्मन चांसलर ने इटली के नए प्रधानमंत्री जुसेप कोंते को जर्मनी के दौरे पर आमंत्रित किया है.
इटली यूरोप की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जहां हाल में हुए चुनावों के बाद पॉपुलिस्ट 5 स्टार मूवमेंट और उग्र दक्षिणपंथी नॉर्थ लीग ने गठबंधन सरकार बनाई है. दोनों ही पार्टियां यूरोपीय संघ विरोधी नजरिए के लिए जानी जाती हैं.
वे कर्ज में घिरे इटली में वित्तीय अनुशासन के लिए यूरोपीय संघ के खर्चों में कटौती के कदमों का विरोध करती हैं. ऐसे में इसी महीने होने वाले यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन में इटली पर सबकी नजरें होंगी.
एके/एमजे (एपी, एएफपी)
क्या है यूरोपीय लोगों की चिंता, जानिए
क्या है यूरोपीय लोगों की चिंता
यूरोपीय संघ के एक सर्वे में पता चला कि किस बात को लेकर यूरोपीय लोग सबसे ज्यादा चिंतित हैं.