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बिनायक की सुनवाई में यूरोपीय टीम

२३ जनवरी २०११

यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल ने बिनायक सेन की अर्जी पर सुनवाई के दौरान अदालत में मौजूद रहने की इच्छा जताई है. सेन को राष्ट्रद्रोह का दोषी पाया गया है और उन्हें उम्र कैद की सजा मिली है.

तस्वीर: DW

दिल्ली में जर्मन दूतावास ने अपनी वेबसाइट पर जारी सूचना में कहा है कि यूरोपीय संघ दिल्ली में मौजूद बेल्जियम, फ्रांस, हंगरी, जर्मनी, स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम के पर्यवेक्षकों को अदालत भेजेगा. अदालत में सुनवाई सोमवार को होनी है.

बच्चों के डॉक्टर और मानवाधिकार कार्यकर्ता बिनायक सेन को छत्तीसगढ़ में 2007 में माओवादियों की मदद के आरोप में गिरफ्तार किया गया और पिछले साल दिसंबर में उन्हें राजद्रोह का दोषी बताते हुए आजीवन कारावास की सजा दे दी गई.

बिनायक सेन का कहना है कि वह निर्दोष हैं. उनका कहना है कि वे छत्तीसगढ़ के गरीब इलाकों में हेल्थ क्लीनिक चला रहे थे और वहां के लोगों को सेहत के बारे में जानकारी दे रहे थे.

यूरोपीय संघ का कहना है कि वह दुनिया भर में मानवाधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है और इसी एजेंडे के तहत उनके पर्यवेक्षक बिनायक सेन की सुनवाई वाली अदालत में पेश रहेंगे. दुनिया भर के मानवाधिकार संस्थाओं ने बिनायक सेन को सजा दिए जाने का विरोध किया है.

यूरोपीय संघ के इस कदम के बारे में छत्तीसगढ़ सरकार को जानकारी दे दी गई है लेकिन भारत के अंदर एक बड़ा तबका उनकी मौजूदगी का विरोध कर रहा है. इसका कहना है कि क्या विदेशी संगठनों को भारत की न्याय प्रक्रिया पर भरोसा नहीं है कि वे अपने पर्यवेक्षक भेज रहे हैं.

लेकिन ऐसा तबका भी है, जिसका कहना है कि अगर न्याय पारदर्शी है तो फिर अगर पर्यवेक्षक आ भी रहे हों तो क्या फर्क पड़ता है. छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार है और उसके सांसद राम जेठमलानी मुकदमे में बिनायक सेन की तरफ से पैरवी करेंगे.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः एमजी

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