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बिनायक सेन की जमानत याचिका खारिज

१० फ़रवरी २०११

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने मानवाधिकार कार्यकर्ता बिनायक सेन की जमानत की याचिका खारिज कर दी है. उन्हें माओवादी की मदद के आरोप में उम्र कैद की सजा दी गई है जिसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना हो रही है.

तस्वीर: DW

सेन को भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में 2007 में गिरफ्तार किया गया. हाल में ही उन्हें देशद्रोह का दोषी करार देते हुए अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई. सरकारी वकील यह साबित करने में सफल रहे सेन माओवादियों को शहरी इलाकों में अपना नेटवर्क खड़ा करने में मदद दे रहे हैं. हाई कोर्ट में जमानत की याचिका खारिज हो जाने के बाद सेन के वकील महेंद्र दुबे ने कहा, "अब हमारे पास यही एक विकल्प है कि सुप्रीम कोर्ट जाएं."

पेशे से बच्चों के डॉक्टर सेन छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के बीच अपना क्लीनिक चलाते थे. बड़ी आर्थिक ताकत के तौर पर उभरते भारत के इन सबसे गरीब तबकों के अधिकारों की रक्षा का ही माओवादी दावा करते हैं. दिसंबर में सेन को उम्र कैद के बाद अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सेन को "अंतरात्मा का कैदी" कहा. उन्हें अभी रायपुर की जेल में रखा गया है. मंगलवार को 12 देशों के 40 नोबेल पुरस्कार विजेताओं ने भी सेन को तुरंत रिहा करने की अपील की.

रिहाई की वकालततस्वीर: UNI

छत्तीसगढ़ सरकार ने माओवादियों से रिश्ते रखने के आरोप में सेन की जमानत का विरोध किया. राज्य सरकार की तरफ से अदालत में पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता किशोर भादुड़ी ने जस्टिस टीपी शर्मा और जस्टिस आरएल झांवर की बेंच को बताया कि सेन के माओवादियों से मजबूत रिश्ते हैं. उन्होंने सेन को मिली सजा को निलंबित न करने के लिए अदालत में कुछ दस्तावेज भी पेश किए. सरकारी वकील ने कहा, "सेन पेशे से डॉक्टर हैं लेकिन उनके घर तलाशी के दौरान हमें कोई आला, मेडिकल पेपर या कोई ऐसी चीज नहीं मिली जो डॉक्टरों के पास होती है. यह सिर्फ सामाजिक सेवा में लगे एक डॉक्टर का साधारण मामला नहीं है."

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ए जमाल

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