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बिना कचरे और कारों वाला शहर: मस्दर सिटी

२७ अप्रैल २०१०

2016 तक अबु धाबी के रेगिस्तान में 50 हज़ार लोगों के लिए एक ऐसा शहर बनाने की योजना है जिसमें ज़हरीली गैसों का उत्सर्जन नहीं होगा, कचरा नहीं. मस्दर सिटी. शहर विज्ञान और प्रकृति के बेहतर तालमेल से चलेगा.

मस्दर सिटी की रूपरेखातस्वीर: DW-TV

यह शहर न केवल पर्यावरण बचाने की दिशा में एक उदाहरण होगा. बल्कि इस बात का भी कि रेगिस्तान में किस तरह से घर बनाए जा सकते हैं. भविष्य के इस इकोसिटी आखिर कीमत क्या होगी, जवाब है कुल 22 अरब डॉलर. यानी यहां रहने वाले हर व्यक्ति के लिए 4 लाख 40 हज़ार डॉलर. अगर रुपये में बात करें तो एक करोड़ 95 लाख यानी मुंबई का एक तुलनात्मक रूप से सस्ता अपार्टमेंट.

क्योटो प्रोटकॉल का फायदा

संयुक्त अरब अमीरात दुनिया भर में तेल निर्यात करने वाला छठा सबसे बड़ा देश है. लेकिन इस मस्दर सिटी का पूरा ख़र्च अबु धाबी पर नहीं है. चूंकि मस्दर सिटी पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाने वाले तरीकों से बनाई जा रही है इसलिए क्योटो प्रोटोकॉल के नियमों के हिसाब से उत्सर्जन सर्टिफिकेट्स को बेचने से इसे पैसा मिलेगा. पूरी आधुनिक सुविधाओं के साथ 2016 से यहां 50 हजार लोग रह सकते हैं.

मस्दर सिटी का पोस्टरतस्वीर: picture-alliance/ dpa

एक सपना

इस शहर के लिए मशहूर आर्किटेक्ट लॉर्ड नॉर्मन फोर्स्टर काम कर रहे हैं, सारी दुनिया के 500 आर्किटेक्ट्स के साथ. ताकि 21वीं सदी का सबसे हाई टेक और पर्यावरण के लिए अच्छा शहर बसाया जा सके. रज़ान अल मुबारक अबु धाबी में वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ फोरम की अध्यक्ष हैं और इस प्रोजेक्ट में एक सलाहकार वे कहती हैं, "इसके साथ एक सपना पूरा होगा.मस्दर सिटी कई मुद्दों पर हमें छूती है. खासकर साफ सुथरे व्यापार, स्वास्थ्य, खुशी, स्थानीय परंपरा और संस्कृति का आदर करना करना. अक्सर ये बातें छूट जाती हैं लेकिन मस्दर सिटी इन सभी को ध्यान में रख कर बनाई जा रही है."

80 फीसदी कम पानी का उपयोग, कचरे की 100 प्रतिशत रिसाइकलिंग और कार्बन डी ऑक्साइड का बिलकुल उत्सर्जन नहीं. मस्दर सिटी एक सपना है. जो पूरा होना है.

अनोखी योजना

यहां कि सड़कें अरब देशों की परंपरा के हिसाब से बिलकुल सकरी बनाई जाएंगी ताकि छाया और ठंडक दे सकें. यातायात इससे प्रभावित नहीं होगा क्योंकि रहवासी इलाके सिर्फ पैदल चलने के लिए होंगे. पूरे शहर में कोई कारें नहीं होंगी. इसके लिए पूरे शहर में मेट्रो स्टेशन होंगे और इलेक्ट्रिक ट्रेन्स चलाई जाएंगी. ये सब इस तरह से बनाया जाएगा कि एक स्टेशन और दूसरे में दो सौ मीटर से ज्यादा कि दूरी न हो. मतलब हर एक आसानी से स्टेशन पर पहुंच सके. घर, पार्क और जल व्यवस्था रेगिस्तानी इलाके को ठंडा रखेगी.

तस्वीर: AP

यहां कुछ नहीं जलाया जाएगा बल्कि पूरी सौर और पवन ऊर्जा से ईंधन की जरूरत पूरी की जाएगी. जो ऊर्जा बचेगी उसे दूसरे शहरों की बिजली के लिए भेजा जाएगा. और शहर में रहने वाले खाए पीएं और तो और कमाएं क्या. मस्दर के अध्यक्ष सुल्तान अल जबेर बताते हैं, "दुनिया भर से कंपनियां आएंगी. बैंक और तरह तरह की कंपनियां जो अपने शोध यहां करना चाहती हैं. मस्दर सिटी विश्व अर्थव्यवस्था में फिर से निर्माण की जा सकने वाली ऊर्जा के क्षेत्र में एक बहुत आसान सा हल है."

अति आधुनिक

मेसेचुसेट्स तकनीकी संस्थान के साथ मिल कर एक अति आधुनिक तकनीकी केंद्र बनाया जाएगा इसी के साथ फिर से बनाई जा सकने वाली ऊर्जा के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसी इरेना का भी यहां मुख्य केद्र होगा. हाई टेक इको फ्रेन्डली शहर और भविष्य की दृष्टि लिए ये शहर सारी दुनिया के शोधकर्ताओ के लिए होगा. इसे बनाने वालों का कहना है कि भले ही दुनिया के किसी और हिस्से में इस प्रोजेक्ट को ऐसा का ऐसा नही लिया जा सकता हो लेकिन इससे सीखा तो बहुत कुछ जा सकता है.

रिपोर्टः डॉयचे वेले/आभा मोंढे

संपादनः ओ सिंह

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