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माल ढुलाई के इन जहाजों में कैप्टन नहीं होंगे

१० अप्रैल २०२४

नए नाविकों की कमी से परेशान एक जर्मन कंपनी ने बिना कैप्टन के ही जहाज चलाने का फैसला किया है. कंपनी ने इसके लिए संभावनाएं तलाश करनी शुरू कर दी है.

सीफार के कंट्रोल सेंटर में काम करते कैप्टेन पैट्रिक हर्टोगे
कैप्टेन के लिए जहाज को रिमोट कंट्रोल से नियंत्रित करने के काम में ज्यादा फर्क नहीं हैतस्वीर: Lea Pernelle/AFP

जर्मनी के डुइसबुर्ग में मौजूद एचजीके शिपिंग रिमोट नेविगेशन का परीक्षण कर रही है जिसका नियंत्रण केंद्र जमीन पर होगा. एचजीके के प्रमुख स्टेफेन बाउअर ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा कि बिना नाविक वाले जहाज, "उद्योग के रूप में अपना अस्तित्व बचाए रखने के लिए हमारे पास एकमात्र विकल्प है."

नाविकों की कमी

एचजीके के 350 जहाजों के कैप्टन की औसत आयु 55 साल है. बाउअर की कंपनी खुद को यूरोप में नदियों के रास्ते माल ढुलाई की सबसे बड़ी कंपनी बताती है. बाउअर ने कहा, "अगर हमने कुछ नहीं किया तो 2030 तक हमारे 30 फीसदी नाविक घट जाएंगे."

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समाधान की तलाश में एचजीके ने बेल्जियम के स्टार्टअप सीफार से साझेदारी का करार किया है. ऑटोनोमस नेविगेशन के उभरते क्षेत्र में यह स्टार्टअप इस समय सबसे बड़ा नाम है. 2019 में बना यह स्टार्टअप पहले ही बेल्जियम में बिना कैप्टन के चार जहाज चला रहा है. इसने हाल ही में जर्मनी में अपना दफ्तर खोला है. यूरोप के अंदर जहाज से माल ढुलाई में जर्मनी की हिस्सेदारी करीब 30 फीसदी है.

बिना नाविक के जहाजों को एक कंट्रोल सेंटर से नियंत्रित किया जाता है. इसकी वजह से नेविगेशन का कठिन काम दफ्तर में बैठ कर किए जाने वाले आकर्षक काम में बदल जाता है. सीफार के कमर्शियल डायरेक्टर जानिस बार्गस्टेन का कहना है, "रिमोट कंट्रोल वाले जहाजों के लिए एक बाजार है." बार्गस्टेन ने यह भी कहा कि तकनीक को सुदृढ़ बनाने से कम समय नियामक ढांचा तैयार करने में लगेगा.

ऑटोनोमस नेविगेशन कंट्रोल सेंटर से जहाजों को कंट्रोल किया जा सकता हैतस्वीर: Lea Pernelle/AFP

ऑटोनोमस नेविगेशन

डुइसबुर्ग में सीफार और एचजीके ने ऑटोनोमस नविगेशन के लिए सेंटर तैयार कर लिया है. उन्हें पहले जहाज को नदी में उतारने की  अनुमति का इंतजार है. शुरूआती परीक्षणों के दौरान रिमोट से चलने वाले जहाज में दो कप्तान मौजूद रहेंगे. बाउअर का कहना है कि आगे चल कर कैप्टन की भूमिका बिल्कुल खत्म कर दी जाएगी, हालांकि चालक दल के कुछ सदस्य फिर भी जहाज पर रहेंगे.

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इसके लिए तकनीक वही है जो सेल्फ ड्राइविंग कारों में इस्तेमाल होती है. जहाजों में सेंसर, कैमरे, रडार और लिडार लगाए जाते हैं जो रियल टाइम में डाटा कमांड सेंटर तक भेजते हैं. डुइसबुर्ग के कंट्रोल सेंटर में 10 मॉनिटरों पर ऑटोनोमस नौका की स्थिति दिखाते हुए नेविगेटर पैट्रिक हर्टोगे ने बताया, "सबकुछ वैसा ही है जैसे जहाज में होता."

करीब 30 साल तक अपनी नौका चलाने वाले 58 साल के हर्टोगे को सीफार ने ऑटोनोमस शिपिंग प्रोजेक्ट के लिए नियुक्त किया है. दो नाविकों की संतान हर्टोगे ने बताया कि उन्होंने अपना जहाज बेच दिया है और पहली बार सूखी जमीन पर रहने के लिए एक घर ढूंढ लिया है. हर्टोगे ने कहा, "नाव में आप हर दिन 24 घंटे आपातकालीन स्थिति के लिए तैयार रहते हैं, लेकिन यहां आठ घंटे के बाद मैं घर जा सकता हूं."

यूरोप में नदियों के रास्ते माल ढुलाई बड़े पैमाने पर होती हैतस्वीर: Andreas Bethmann/DW

और भी हैं चुनौतियां

सीफार यूरोप में और ज्यादा पायलट प्रोजेक्ट शुरू करना चाहता है. फ्रांस के जलमार्ग प्रशासन से उसकी बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है. बार्गस्टेन ने बताया कि वह बाल्टिक सागर में एक परीक्षण की योजना बना रहे हैं.

ऑटोनॉमस नेविगेशन दबाव में चल रहे उद्योग को एक बड़ी राहत दे सकता है हालांकि यह उनकी सारी समस्याएं नहीं सुलझा पाएगा. जर्मन फेडरेशन फॉर इनलैंड शिपिंग के एक प्रवक्ता का कहना है, "जिम्मेदारी के नए सवालों" को कानूनी स्पष्टीकरण की जरूरत होगी.

बार्गस्टेन के मुताबिक तकनीकी समस्या होने पर सीफार जिम्मेदार होगी लेकिन मानवीय भूल का जिम्मा शिपिंग कंपनी पर होगा. उन्होंने यह भी कहा कि जहाज को रिमोट नेविगेशन से चलाना फिर भी एक मुश्किल काम होगा और यह "गेमरों" पर नहीं छोड़ा जा सकता. 

रियल लाइफ कैप्टन के रूप में लंबा समय बिता चुके हर्टोगे को यकीन है कि यह काम कर सकता है. उनके मुताबिक जहाज को नियंत्रित करने का काम कंट्रोल सेंटर में भी वैसा ही है, बस यहां पर वो हवा नहीं आती. 

एनआर/एए (एएफपी)

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