बिना खाए-पिए बुजुर्गों की मदद करती ये बिल्ली
२० दिसम्बर २०१७![USA Roboterkatze als menschliche Begleitung](https://static.dw.com/image/41858936_800.webp)
तस्वीर में नजर आ रही इस बिल्ली को न तो भोजन की जरूरत हो और न ही किसी लिटर बॉक्स की. इससे उलट यह बुजुर्गों के चश्मे ढूंढ कर लाती है और दवाई से लेकर पानी तक उनके सारे काम कर देती है. अगर आप इसे कल्पना समझ रहे हैं तो आप गलत है क्योंकि यह बिल्ली असल जिंदगी में बुजुर्गों की साथी बन गई है.
बुजुर्गों के लिए साथी तैयार करने के उद्देश्य से खिलौने बनाने वाली कंपनी हैसब्रो और अमेरिका की ब्राउन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से एक रोबोटिक बिल्ली "जॉय फॉर ऑल" तैयार की है. नेशनल साइंस फाउंडेशन की ओर से शोधकर्ताओं को 10 लाख डॉलर का अनुदान मिला था ताकि इसे कारगर ढंग से बनाया जा सके. यह बिल्ली पिछले दो सालों से बाजार में है. ये आम बिल्लियों की ही तरह आवाज निकालती है और आदेश देने पर अपने मालिक की तोंद भी सहलाती है.
ब्राउन-हैस्ब्रो प्रोजेक्ट का उद्देश्य ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये तैयार इन बिल्लियों में अतिरिक्त कौशल विकसित करना है ताकि बुजुर्गों के कामों में ये बिल्लियां मदद कर सकें. इस प्रोजेक्ट में रिसर्चरों ने पहले चरण में उन कामों को पता करने की कोशिश की जिनमें अधिक कुशलता की जरूरत होती है. साथ ही जो बुजुर्गों की खोई हुई वस्तुओं को ढूंढ सके साथ ही डॉक्टर से मुलाकात को लेकर समय-समय पर उन्हें याद दिलाती रहे.
इस रिसर्च में शामिल एक प्रोफेसर के मुताबिक यह बिल्ली उनके कपड़े या बर्तन साफ नहीं करती और न ही इससे उम्मीद की जाती है. बुजुर्गों को बस ये एक प्रकार का सुकून देती हैं. शोधकर्ता माले कहते हैं कि वे इस बिल्ली का रोबोट की तरह स्मार्ट होने का दावा नहीं करते. बल्कि वे एक ऐसी बिल्ली की उम्मीद कर रहे थे जो छोटे कामों को अच्छी तरह कर सके. इसके साथ ही वे कीमत भी ऐसी रखना चाहते थे जो आम आदमी की पहुंच में हो. उन्होंने इस प्रोजेक्ट को नाम दिया, "अफॉरडेबल रोबोटिक इंटेलिजेंस फॉर एल्डरली सपोर्ट(एआरआईईएस)." इस बिल्ली को तैयार करने वाली टीम में ब्राउन यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों के अलावा हॉस्पिटल और सिनसिनाटी यूनिवर्सिटी के डिजाइनर भी शामिल थे.
एए/एनआर(एपी)