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बिना पैरों का तेज धावक ऑस्कर पिस्टोरियस

३ सितम्बर २०११

देगू में जारी एथेलेटिक विश्व चैंपियनशिप में दक्षिण अफ्रीका के तेज धावक ऑस्कर पिस्टोरियस ने इतिहास कायम कर दिया है. हर तरह से सक्षम लोगों की प्रतियोगिता में नकली पैरों वाले पिस्टोरियस ने जबरदस्त कामयाबी हासिल की.

तस्वीर: picture alliance/dpa

24 साल के ऑस्कर पिस्टोरियस की पहली सफलता तो यह रही कि पैर नहीं होने के बावजूद नकली पैरों की सहायता से उन्हें देगु में जारी एथेलेटिक प्रतियोगिता में भाग लेने की इजाजत मिली. इटली की एक प्रतियोगिता में पिस्टोरियस ने 400 मीटर की दौड़ 45.07 सेंकट में पूरी की. यह समय लाइट एथेलेटिक विश्व संगठन के निर्धारित समय से 0.18 सेकंड कम था. पिस्टोरियस कहते हैं, "तब से मेरे चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान है जो जाती नहीं."

पैराओलंपिक्स में चार स्वर्ण

जीन में गड़बड़ी के कारण पिस्टोरियस को अपने पैर खोने पड़े. नकली पैरों के साथ उन्होंने चलना सीखा, स्केटिंग सीखी और फिर तेज दौड़ ने उन्हें आकर्षित किया. कार्बन से बने हाई टेक नकली पैरों की मदद से उन्होंने जीवन की लंबी दौड़ शुरू की. 17 साल की उम्र में पिस्टोरियस ने 2004 में पैराओलंपिक्स में 200मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीता. चार साल बाद बीजिंग में 100, 200 और 400 मीटर की दौड़ में तीन बार गोल्ड पर कब्जा किया.

तस्वीर: dapd

कुछ मुश्किलें

दक्षिण अफ्रीका के इस धावक की इच्छा थी कि 2008 में ही वह पैराओलंपिक की जगह सामान्य ओलंपिक में हिस्सा लें. लेकिन पहले तो अंतरराष्ट्रीय एथेलेटिक संघ ने उन्हें रोका. संघ का कहना था कि नकली पैरों से पिस्टोरियस को अतिरिक्त लाभ मिलता है. लेकिन फिर लॉसान की अंतरराष्ट्रीय खेल अदालत (सीएएस) ने मई 2008 में फैसले को पलट दिया. लेकिन पिस्टोरियस ओलंपिक में नहीं पहुंच सके. पहली दो कोशिशें विफल रहीं. 2009 में बर्लिन में हुए विश्व चैंपियनशिप के पहले एक गंभीर नाव दुर्घटना के कारण वह दिए हुए समय में दौड़ पूरी नहीं कर सके.

लेकिन 2001 में 400 मीटर दौड़ने के बाद उन्होंने कहा, 400 मीटर एकल में दौड़ना सपना पूरा होना था. इस अनुभल को वह लंदन ओलंपिक के लिए इस्तेमाल करेंगे और अपना टारगेट सुधारेंगे. शुक्रवार को 400 मीटर रिले में पिस्टोरियस को नहीं दौड़ने दिया गया. ब्लेड रनर नाम से मशहूर पिस्टोरियस ने कहा, "दक्षिण अफ्रीका की 4x400 मीटर रिले रेस की टीम में शामिल नहीं किया जाना. काफी दुखद. कई सवाल मुझसे पूछे जा रहे हैं जिनका जवाब मेरे पास भी नहीं है. दक्षिण अफ्रीका में दूसरा सबसे तेज धावक हूं. इस हफ्ते 45.3 सेकंड में दौड़ा हूं. टीम के प्रंबधन ने मुझे चुना है."

तस्वीर: picture-alliance/dpa

नकली पैरों पर विवाद

पिस्टोरियस के नकली पैर मुख्य विवाद का कारण हैं. कई लोगों का कहना है कि पिस्टोरियस को इन पैरों के कारण विशेष लाभ मिलता है. हालांकि उनका कहना है "कई साल में प्रोस्थेटिक ब्लेड्स की तकनीक में कोई बदलाव नहीं आया है. अपने पैर में मैंने कई सालों से एक भी स्क्रू नहीं बदला है. पैराओलंपिक में कोई धावक नहीं है जो मेरे आस पास हो. मेरे लिए अहम है कि मैं खेल में साफ छवि का रहूं और वो मैंने किया है."

लंदन ओलंपिक प्रमुख सेबास्टियान को ने पिस्टोरियस के क्वालिफिकेशन का स्वागत किया है और कहा है, "उन्हें सबसे ऊंचे स्तर पर दौड़ने का हर मौका दिया जाएगा. खेल की अदालत कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन ऑफ स्पोर्ट्स ने अपना फैसला दे दिया है. वह हिस्सा लेंगे और अगर वे जीतते हैं तो उन्हें मेडल मिलेगा."

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा मोंढे

संपादनः एन रंजन

 

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