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बिन हमाम ने फीफा पर लगाए नस्लवाद के आरोप

७ सितम्बर २०११

दुनियाभर में फुटबॉल का कामकाज चलाने वाली संस्था फीफा के 107 साल के इतिहास में मोहम्मद बिन हमाम सबसे वरिष्ठ अधिकारी हैं जिन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों का दोषी पाया गया. क्या ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि हमाम यूरोपीय नहीं हैं?

मोहम्मद बिन हमामतस्वीर: AP

अगर हां, तो यह नस्लवाद के दायरे में आता है जो एक गंभीर मामला होगा. मोहम्मद बिन हमाम ने फीफा पर यह आरोप जड़ दिया है.

हमाम ने कहा है कि अगर वह यूरोपीय होते तो उन्हें रिश्वत लेने का दोषी न पाया जाता. कतर के बिन हमाम इस साल फीफा के अध्यक्ष बनना चाहते थे. उन्होंने मौजूदा अध्यक्ष जेप ब्लाटर के खिलाफ चुनाव लड़ने का एलान भी कर दिया था. लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद वह चुनाव नहीं लड़ सके.

क्या लिखा बिन हमाम ने

जुलाई महीने में आए फैसले में हमाम को कैरेबियाई फुटबॉल संघों की ओर से फीफा के सदस्यों के लिए रिश्वत का प्रबंध करने का दोषी पाया गया. फीफा की एक समिति इस बात की भी जांच कर रही है कि कैरेबिक के 16 अधिकारियों ने बिन हमाम से 40 हजार डॉलर की रिश्वत ली या नहीं.

जेप ब्लाटरतस्वीर: AP

लेकिन बिन हमाम ने अपनी लड़ाई जारी रखी है. वह अब भी एशिया फुटबॉल कॉन्फेडरेशन के अध्यक्ष का नोटपैड इस्तेमाल कर रहे हैं. इसी नोटपैड पर उन्होंने रविवार को फीफा की समिति के चेयरमैन जज पेट्रस दमासेब के नाम एक चिट्ठी लिखी. इस चिट्ठी में बिन हमाम ने दमासेब पर ही आरोप लगा दिए. उन्होंने लिखा है कि नामीबिया के दमासेब इस पूरे मामले में ब्लाटर के मोहरे के तौर पर काम कर रहे हैं. बिन हमाम ने महासचिव जेरोम वाल्के को भी नहीं बख्शा है.

बिन हमाम लिखते हैं, "अगर मैं यूरोपीय होता या मैं यूरोप के कैरेबियाई हिस्से से होता, तो ब्लाटर या वाल्के मुझ पर उंगली उठाने की हिम्मत तक न कर पाते. अगर हम यूरोप के रहने वाले होते तो ना आपको इस समिति की अध्यक्षता का मौका मिलता, न आप लोगों को इस बेरहमी से जिबह कर पाते, जैसा आपने किया है."

फीफा ने बिन हमाम के इन आरोपों पर कोई टिप्पणी नहीं की है.

क्यों लिखा बिन हमाम ने

मोहम्मद बिन हमाम 1996 में पहली बार फीफा के सदस्य बने. इस साल वह अध्यक्ष बनने के करीब पहुंच गए थे. लेकिन चक ब्लेजर के एक खत ने गड़बड़ कर दी. फीफा में अमेरिका के प्रतिनिधि ब्लेजर ने एक दस्तावेजी सबूत देते हुए कहा कि हमाम जब अपने प्रचार के सिलसिले में त्रिनिदाद गए तो वहां के अधिकारियों को रिश्वत दी या देने की कोशिश की.

जैक वॉर्नरतस्वीर: picture-alliance/dpa

इस आरोपों ने कई अधिकारियों को लपेटे में लिया. फीफा के उपाध्यक्ष जैक वॉर्नर भी उनमें से एक थे. लेकिन वॉर्नर फौरन अपने सारे पदों से इस्तीफा देकर निकल लिए और समिति के फैसले से बच गए. पर दमासेब की अध्यक्षता वाली समिति ने बिन हमाम के खिलाफ फैसला सुनाया. दमासेब से पहले क्लाउडियो सुल्सर इस समिति के अध्यक्ष थे. लेकिन उन्होंने यह कहते हुए पद छोड़ दिया कि वह ब्लाटर के देश स्विट्जरलैंड के रहने वाले हैं.

समिति के फैसले से नाराज बिन हमाम ने मंगलवार को अपनी वेबसाइट पर अपनी चिट्ठी छापी है. इसमें उन्होंने लिखा है, "क्या आपने खुद से कभी पूछा कि जब समिति के पास एक योग्य स्विस चेयरमैन था तो आपको अध्यक्ष क्यों बनाया गया? और वह भी तब जब मैंने आपकी सदस्यता को वैध तरीके से खारिज कर दिया था. जवाब आसान है. क्योंकि वाल्के सुल्सर पर अपनी बातें थोप न पाते. लेकिन आपको तो बस एक मुहर के तौर पर इस्तेमाल किया गया, जिस पर उनके फैसले थोपे जाने थे."

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः महेश झा

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