बिहार में बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ जागरूकता अभियान के तहत 21 जनवरी को मानव श्रृंखला बनाई जाएगी. सरकार का दावा है कि चार करोड़ से ज्यादा लोगों के शामिल होंगे और यह अनोखी मानव श्रृंखला 13,654 किलोमीटर लंबी होगी.
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इस मानव श्रृंखला का केंद्र पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान होगा जहां से यह राज्य की सीमाओं तक जाएगी. इस मानव श्रृंखला की तस्वीर और वीडियोग्राफी 40 ड्रोन कैमरे करेंगे. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दावा है कि यह मानव श्रृंखला विश्व रिकॉर्ड बनाएगी. इस अभियान को जहां सरकार में शामिल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित अन्य दलों का साथ मिला है वहीं विपक्षी पार्टियों राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस ने इस मानव श्रृंखला से खुद को किनारे कर लिया है. पटना के जिलाधिकारी कुमार रवि ने शुक्रवार को बताया कि जिले की आबादी का प्रत्येक चौथा व्यक्ति इस मानव श्रृंखला में शामिल होगा. पटना में यह श्रृंखला 588 किलोमीटर लंबी होगी.
इससे पहले बिहार में 2017 में शराबबंदी के समर्थन में मानव श्रृंखला बनाई गई थी. जनशिक्षा निदेशक डॉ़ विनोदानंद झा के अनुसार, "बेशक वर्ष 2017 में शराबबंदी के लिए बनी मानव श्रृंखला से यह श्रृंखला बड़ी होगी." इस मौके पर राज्य के सभी जिलों में 40 ड्रोनों द्वारा तस्वीर अैर वीडियोग्राफी करवाई जाएगी तथा सूचना जनसंपर्क विभाग द्वारा इसस मौके पर एक वृत्तचित्र बनाने की योजना है.
इस मानव श्रृंखला में सत्ताधारी जदयू और भाजपा के लोग तो शामिल हो रहे हैं लेकिन राजद और कांग्रेस ने इससे दूरी बना ली है, जिसे लेकर प्रांत की राजनीति गर्म है. राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव कहते हैं, "नीतीश कुमार चोरी की हुई सरकार चला रहे हैं. अपने दानवी कृत्यों को छिपाने के लिए मानव श्रृंखला की आड़ ले रहे हैं." राजद के प्रदेश अध्यक्ष रामचंद्र पूर्वे का कहना है कि इस मानव श्रृंखला का कोई मतलब नहीं हैं. इससे बिहार के लोगों को कोई लाभ नहीं है. यही श्रृंखला अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर बनाई जाती तब राजद जरूर शामिल होता. कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी कहते हैं कि यह मानव श्रृंखला औचित्यहीन है. यह मुख्य मुद्दे से लोगों का ध्यान हटाने के लिए किया जा रहा है.
दो दिन पूर्व राज्य के उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने राजद और कांग्रेस से इस मानव श्रृंखला में भाग लेने की अपील की थी. मोदी का कहना है कि पिछले वर्ष भाजपा विपक्ष में थी फिर भी शराबबंदी को लेकर बनी मानव श्रृंखला में भाग लिया था. यह मानव श्रृंखला समाज से कुरीतियों को हटाने के लिए है, इस पर किसी दल को राजनीति नहीं करनी चाहिए. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने विकास कार्यों की समीक्षा यात्रा के दौरान लोगों से इस श्रृंखला में शामिल होने की अपील करते रहे हैं.
रिपोर्ट: मनोज पाठक (आईएएनएस)
क्यों सड़कों पर उतर आए ईरान के लोग?
ईरान में कई साल बाद इतने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिले हैं. अलग अलग शहरों में सड़कों पर उतरे ये हजारों लोग आखिर कौन हैं और क्या चाहते हैं, चलिए जानते हैं.
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कब हुई शुरुआत?
ईरान में सरकार विरोधी प्रदर्शनों की शुरुआत 28 दिसंबर को मशाद शहर से हुई, जब बढ़ती महंगाई के खिलाफ सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए. अगले दो दिनों के भीतर ये प्रदर्शन राजधानी तेहरान समेत कई और शहरों तक पहुंचे गए.
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प्रदर्शनों का कारण?
कुछ प्रदर्शनकारी बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी और आर्थिक असामनात के खिलाफ सड़कों पर उतरे हैं. वहीं बहुत से लोग सरकार की नीतियों से खफा हैं. प्रदर्शनों के दौरान, "रोहानी मुर्दाबाद", "फलस्तीन को भूल जाओ", और "गजा नहीं, लेबनान नहीं, मेरी जिंदगी ईरान के लिए है" जैसे नारे लग रहे हैं.
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प्रतिबंधों की मार?
कुछ लोग आम जनता पर पड़ रहे आर्थिक बोझ की वजह ईरान की विदेश नीति को बता रहे हैं जो कई क्षेत्रीय संकटों में उलझा है, तो कइयों की राय में, ईरान पर लगे प्रतिबंधों का असर अब जनता की जेब पर होने लगा है. कुल मिलाकर लोग सरकार से नाराज हैं.
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सरकार समर्थक भी सड़कों पर
ईरानी राष्ट्रपति हसन रोहानी और सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह खमेनेई का समर्थन करने वाले कट्टरपंथियों ने भी सड़क पर उतर कर अपनी आवाज बुलंद की. हालांकि सरकार समर्थक इन प्रदर्शनाकरियों की संख्या सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों से काफी कम दिखी.
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कितने शहरों में प्रदर्शन?
अब तक एक दर्जन से ज्यादा शहरों से प्रदर्शनों होने की खबर है, जिनमें जनजान, केरमानशाह, खोरामाबाद, अबार, अराक, दोरुद, इजेह, तोनेकाबोन, तेहरान, करज, मशाद, शहरेकोर्द और बांदेर अब्बास शामिल हैं.
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क्या कहती है सरकार?
राष्ट्रपति हसन रोहानी ने कहा है कि लोगों में बढ़ रही हताशा को वह समझते हैं और जनता को प्रदर्शन करने का हक है. लेकिन उन्होंने कहा कि हिंसा और तोड़फोड़ को स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
ईरानी सरकार का कहना है कि इन प्रदर्शनों को फैलाने के लिए सोशल मीडिया और खासकर टेलीग्राम का इस्तेमाल किया गया. इसके बाद सरकार ने कई मैसेजिंग एप्स पर रोक लगा दी है. सरकार ने टेलीग्राम से हिंसा भड़काने वाले अकाउंट्स को बंद करने के लिए कहा है.
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कितने हताहत?
ईरान में हो रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों में अब तक कम से कम 21 लोगों के मारे जाने की खबर है. इसके अलावा सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया है. प्रदर्शनों के कारण ईरान की सरकार को तीखी आलोचना झेलनी पड़ रही है.
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क्या बोला विश्व समुदाय?
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे लोगों को गिरफ्तार ना करने के लिए कहा है. उन्होंने कहा, "दमनकारी व्यवस्था हमेशा नहीं रह सकती. दुनिया देख रही है." जर्मनी और फ्रांस ने भी प्रदर्शनकारियों के साथ एकजुटता दिखाई है.