पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) पर धार्मिक जगहों पर गुप्त रूप से मांस फेंककर सांप्रदायिक दंगा कराने का प्रयास करने का आरोप लगाया है.
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ममता बनर्जी ने पुलिस से दोषियों को पकड़ने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में सामुदायिक विकास समितियां गठित करने का आग्रह किया और इस मामले में स्थानीय लोगों द्वारा घटनाओं पर नजर रखने के लिए साथ मिलकर आगे बढ़ने के लिए कहा. बनर्जी ने झारग्राम में आयोजित प्रशासनिक बैठक में कहा, "उन लोगों ने हाल में नई साजिश को शुरू किया है. वे लोग कुछ लोगों को पैसे दे रहे हैं और उन्हें मंदिर और मस्जिद में मांस फेंकने के लिए कह रहे हैं. यह एक साजिश है, बीजेपी और आरएसएस द्वारा जानबूझकर सांप्रदायिक दंगा फैलाने का प्रयास है."
मुख्यमंत्री ने आगे कहा, "वे लोग दो समुदायों में दंगा शुरू करवाने के लिए ऐसा कर रहे हैं. मैं निश्चिंत हूं कि वे लोग रामनवमी में इसी तरह की ट्रिक अजमाने की कोशिश करेंगे. मुझे यह देखने की जरूरत नहीं है कि कौन हिंदू है कौन मुसलमान है. मैं सभी के पक्ष में हूं. एक अपराधी एक अपराधी है." बनर्जी ने कहा कि उन्होंने सभी पुलिस थानों के प्रभारियों को सतर्क रहने के लिए कहा है.ममता की परेशानी बढ़ाता त्रिपुरा
अपने भाषण में उन्होंने कहा, "हमने ऐसी घटनाएं उत्तर 24 परगना जिले में दो जगहों पर कम अंतराल में देखी हैं. हाबरा में बीजेपी-आरएसएस के लोग इस मामले में गिरफ्तार हुए हैं. इसलिए मैं उनका नाम ले रही हूं. अगर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता इस मामले में गिरफ्तार होते, तो मैं उनका नाम भी लेती."
ममता बनर्जी ने स्थानीय लोगों को इनाम देने की बात भी की, "इस पर नजर रखने के लिए स्थानीय लोगों को जोड़ें. अगर कोई ऐसे अपराधी को पकड़ता है, तो उसे एक हजार रुपये की इनामी राशि दें. अगर वे सफलतापूर्वक ऐसे अपराधियों को पकड़वाते हैं, तो मैं कुछ को नौकरी दूंगी और कुछ को धनराशि दूंगी."
आईएएनएस/आईबी
रसगुल्ला बंगाल तो लड्डू कहां का...
बौद्धिक संपदा कार्यालय ने रसगुल्ले का जियोग्राफिकल इंडीकेशन मतलब जीआई टैग पश्चिम बंगाल को दिया है. खाने पीने की अन्य चीजों को लेकर भी देश के अन्य राज्यों के पास ऐसे ही टैग हैं. एक नजर जीआई टैग और इन राज्यों पर.
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जीआई टैग
बौद्धिक संपदा अधिकारों में अकसर कॉपीराइट, पेटेंट और ट्रेडमार्क को शामिल किया जाता है जो होल्डर्स या निर्माताओं के अधिकार सुरक्षित रखते हैं. इसी तरह जियोग्राफिकल इंडीकेशन टैग होता है जिसके तहत ये माना जाता है कि संबंधित उत्पाद उस जगह की ही पैदाइश है.
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क्यों है जरूरी
विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के सदस्य देश होने के नाते भारत ने जियोग्राफिकल इंडिकेशन ऑफ गुड्स (रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन) एक्ट 1999 को 15 सितंबर 2003 से लागू किया है. इसका मकसद मूल उत्पाद की गुणवत्ता और प्रतिष्ठा को बनाये रखना है, इसके चलते इन्हें वैश्विक बाजारों में भी बढ़त मिलती है.
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पश्चिम बंगाल
राज्य के पास खाने पीने के आइटम में सबसे अधिक जीआई टैग हैं. रसगुल्ले के अलावा राज्य के पास बर्धमान सीताभोग, बर्धमान मिहिदाना और दार्जिलिंग चाय का जीआई टैग है. दार्जिलिंग चाय, साल 2004 में जियोग्राफिकल टैग पाने वाला पहला भारतीय उत्पाद था.
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आंध्र प्रदेश
राज्य को दो जीई टैग मिले हुए है. पहला बंदर लड्डू में, दूसरा तिरुपति के लड्डुओं में. बंदर लड्डू को टोकदू लड्डू भी कहा जाता है. इसका स्वाद काफी हद तक बूंदी के लड्डू की तरह ही होता है. माना जाता रहा है कि इस मिठाई की जड़े राजस्थान के राजपूतों से जुड़ी हुई हैं. स्थानीय लोगों ने राजपूत परिवारों से ही लड्डू बनाना सीखा था जो 1857 की सैनिक क्रांति के दौरान राजस्थान से मछलीपट्टनम चले गये थे.
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कर्नाटक
मैसूर पाक और धारवाड़ के पेड़े के साथ कर्नाटक के पास दो जीआई टैग हैं. माना जाता है कि 19वीं शताब्दी के दौरान जब उत्तर प्रदेश में प्लेग फैला था उस वक्त उन्नाव से एक परिवार धारवाड़ आया. इस परिवार ने धारवाड़ में पेड़ा बनाना शुरू किया जो धारावाड़ के पेड़े के नाम से मशहूर हुआ.
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उत्तराखंड
हर घर में इस्तेमाल किये जाने वाला तेज पत्ता उत्तराखंड का माना जाता है. साल 2016 में उत्तराखंड को इसका जीआई टैग मिला है. प्रदेश के नैनीताल, चमोली, बागेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ और चंपावत जिलों में इसका भारी मात्रा में उत्पादन होता है. राज्य के पास एक ही जीआई टैग है.
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तमिलनाडु
पलानी पंचमित्रम एक तरह का जैम और फलों का मिक्स है. इसे कई महीनों तक रखा जा सकता है. आमतौर पर इसका इस्तेमाल पूजा पाठ में किया जाता है. इसका जीआई टैग तमिलनाडु के पास है.
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तेलंगाना
तेलंगाना के पास हैदाराबादी हलीम का जीआई टैग है. यह एक अरबी पकवान है जिसे हैदराबाद में निजामों के शासनकाल के दौरान पेश किया गया था. लेकिन स्थानीय परंपरागत मसालों के चलते इस खास पकवान का स्वाद अब तक बना हुआ है.
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उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश के पास खानेपीने की तमाम वैरायटी हैं लेकिन राज्य को बस एक ही जीआई टैग मिला हुआ है. यह जीआई टैग मथुरा में बनने वाले पेड़े का है.
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मध्य प्रदेश
भारत में रतलामी सेव का जीआई टैग मध्य प्रदेश के पास है. भारत के इतर, रतलामी सेव की मांग अमेरिका और खाड़ी देशों में भी अच्छी खासी है.
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राजस्थान
बीकानेरी भुजिया को राजस्थान की पैदाइश माना जाता है. इसका जीआई टैग राजस्थान के पास है.