त्रिपुरा में चुनावी नतीजे आने के बाद से स्थिति नाजुक बनी हुई है. दक्षिणी त्रिपुरा में लेनिन की मूर्ती ढहा दी गयी है. सैकड़ों सीपीएम काडरों के घर और दफ्तरों हमलों की खबरे आ रही हैं.
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पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में लेफ्ट फ्रंट के 25 वर्षों के शासन का अंत कर भारी बहुमत के साथ सत्ता में आने वाली बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने चुनावी नतीजों के एलान के बाद से पूरे राज्य में हिंसा मचा दी है. पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सीपीएम काडरों के सैकड़ों घर जला दिए हैं और सीपीएम और उससे जुड़े संगठनों के सौ से ज्यादा दफ्तरों पर कब्जा कर लिया है. दक्षिण त्रिपुरा में तो कथित बीजेपी कार्यकर्ताओं ने बुलडोजर के जरिए लेनिन की एक विशाल मूर्ति को भी ढहा दिया है. राज्य के कई हिस्सों में धारा 144 लागू कर दी गई है. केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी मंगलवार को राज्यपाल तथागत राय और पुलिस महानिदेशक से फोन पर बात कर हिंसा पर अंकुश लगाने को कहा. लेकिन बावजूद इसके हालात जस के तस हैं. इसबीच राज्यपाल तथागत राय के एक ट्वीट पर भी विवाद बढ़ रहा है. हिंसा के डर से कई सीपीएम नेता व काडर अपना इलाका छोड़ कर सुरक्षित स्थानों की ओर जाने लगे हैं.
हिंसा का तांडव
शनिवार देर शाम को चुनावी नतीजों में बीजेपी की भारी जीत की खबरें सामने आने के साथ ही राज्य के विभिन्न इलाकों से हिंसा व आगजनी की खबरें भी मिलने लगीं. रविवार और सोमवार को भी हिंसा जारी रही. इस हिंसा को लिए सीपीएम और बीजेपी ने एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है. बीजेपी की दलील है कि सीपीएम के काडर खुद ही हिंसा कर बीजेपी को बदनाम कर रहे हैं. पार्टी का आरोप है कि सीपीएम काडरों के हमले में पार्टी के चार दर्जन से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं जिनमें से 17 अस्पताल में हैं. बीजेपी ने कहा है कि दक्षिण त्रिपुरा के बेलोनिया शहर में लेनिन की प्रतिमा ढहाने में उसका कोई कार्यकर्ता शामिल नहीं था. इसबीच पुलिस ने उक्त प्रतिमा ढहाने वाले बुलडोजर के ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस सूत्रों ने बताया कि बीजेपी के विजय जुलूस के दौरान ही कुछ लोगों ने बुलडोजर को प्रतिमा की ओर बढ़ने का इशारा किया. सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में प्रतिमा ढहाते समय भारत माता की जय के नारे भी गूंज रहे हैं.
बीजेपी प्रवक्ता सुब्रत चक्रवर्ती ने इस बारे में कहा, "इलाके के लोग स्वामी विवेकानंद, सरदार वल्लभ भाई पटेल औक मदर टेरेसा जैसे राष्ट्रीय हीरो की प्रतिमाएं लगाना चाहते हैं." उन्होंने कहा कि बेलोनिया की घटना लोगों की नाराजगी का नतीजा है. इसबीच राज्यपाल तथागत राय के एक ट्वीट पर भी विवाद बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि एक लोकतांत्रिक सरकार के फैसले को दूसरी लोकतांत्रिक सरकार आसानी से बदल सकती है. उसके बाद ही राजनाथ ने राज्यपाल से बात की.
दूसरी ओर, सीपीएम के प्रदेश सचिव बिजन धर आरोप लगाते हैं, "शनिवार रात से ही राज्य के विभिन्न हिस्सों में भाजपा कार्यकर्ताओं के हमले जारी हैं. हिंसा की एक हजार से ज्यादा घटनाओं में सीपीएम के पांच सौ से ज्यादा कार्यकर्ता घायल हो गए हैं और दो सौ घर जला दिए गए हैं." धर का दावा है कि पार्टी के 64 दफ्तरों में तोड़फोड़ की गई है और बीजेपी ने सौ से ज्यादा दफ्तरों पर जबरन कब्जा कर लिया है. टीवी चैनलों की फुटेज में यहां सीपीएम से संबद्ध मजदूर संगठन सीटू के दफ्तर पर बीजेपी का झंडा फहराते देखा गया है.
इसबीच बीजेपी विधायक दल के नेता और नवनियुक्त मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब ने भी एक बयान में लोगों से शांति बहाल रखने की अपील करते हुए कहा है कि हिंसा में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा. राज्य में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार 9 मार्च को शपथ लेगी. राज्यपाल ने मंगलवार को ही बिप्लब को अगला मुख्यमंत्री नियुक्त करते हुए उनको सरकार बनाने का न्योता दिया.
कितने राज्यों में है बीजेपी और एनडीए की सरकार
केंद्र में 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद देश में भारतीय जनता पार्टी का दायरा लगातार बढ़ा है. डालते हैं एक नजर अभी कहां कहां बीजेपी और उसके सहयोगी सत्ता में हैं.
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उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में फरवरी-मार्च 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया और 403 सदस्यों वाली विधानसभा में 325 सीटें जीतीं. इसके बाद फायरब्रांड हिंदू नेता योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री की गद्दी मिली.
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त्रिपुरा
2018 में त्रिपुरा में लेफ्ट का 25 साल पुराना किला ढहाते हुए बीजेपी गठबंधन को 43 सीटें मिली. वहीं कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्कसिस्ट) ने 16 सीटें जीतीं. 20 साल तक मुख्यमंत्री रहने के बाद मणिक सरकार की सत्ता से विदाई हुई और बिप्लव कुमार देब ने राज्य की कमान संभाली.
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मध्य प्रदेश
शिवराज सिंह चौहान को प्रशासन का लंबा अनुभव है. उन्हीं के हाथ में अभी मध्य प्रदेश की कमान है. इससे पहले वह 2005 से 2018 तक राज्य के मख्यमंत्री रहे. लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस सत्ता में आई. लेकिन दो साल के भीतर राजनीतिक दावपेंचों के दम पर शिवराज सिंह चौहान ने सत्ता में वापसी की.
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उत्तराखंड
उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में भी बीजेपी का झंडा लहर रहा है. 2017 के विधानसभा चुनावों में पार्टी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य की सत्ता में पांच साल बाद वापसी की. त्रिवेंद्र रावत को बतौर मुख्यमंत्री राज्य की कमान मिली. लेकिन आपसी खींचतान के बीच उन्हें 09 मार्च 2021 को इस्तीफा देना पड़ा.
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बिहार
बिहार में नीतीश कुमार एनडीए सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. हालिया चुनाव में उन्होंने बीजेपी के साथ मिल कर चुनाव लड़ा. इससे पिछले चुनाव में वह आरजेडी के साथ थे. 2020 के चुनाव में आरजेडी 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी. लेकिन 74 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही बीजेपी ने नीतीश कुमार की जेडीयू के साथ मिलकर सरकार बनाई, जिसे 43 सीटें मिलीं.
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गोवा
गोवा में प्रमोद सावंत बीजेपी सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने मनोहर पर्रिकर (फोटो में) के निधन के बाद 2019 में यह पद संभाला. 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद पर्रिकर ने केंद्र में रक्षा मंत्री का पद छोड़ मुख्यमंत्री पद संभाला था.
पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर में 2017 में पहली बार बीजेपी की सरकार बनी है जिसका नेतृत्व पूर्व फुटबॉल खिलाड़ी एन बीरेन सिंह कर रहे हैं. वह राज्य के 12वें मुख्यमंत्री हैं. इस राज्य में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार नहीं बना पाई.
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हिमाचल प्रदेश
नवंबर 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज कर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में वापसी की. हालांकि पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी घोषित किए गए प्रेम कुमार धूमल चुनाव हार गए. इसके बाद जयराम ठाकुर राज्य सरकार का नेतृत्व संभाला.
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कर्नाटक
2018 में हुए विधानसभा चुनावों में कर्नाटक में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी. 2018 में वो बहुमत साबित नहीं कर पाए. 2019 में कांग्रेस-जेडीएस के 15 विधायकों के इस्तीफे होने के कारण बीेजेपी बहुमत के आंकड़े तक पहुंच गई. येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री हैं.
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हरियाणा
बीजेपी के मनोहर लाल खट्टर हरियाणा में मुख्यमंत्री हैं. उन्होंने 2014 के चुनावों में पार्टी को मिले स्पष्ट बहुमत के बाद सरकार बनाई थी. 2019 में बीजेपी को हरियाणा में बहुमत नहीं मिला लेकिन जेजेपी के साथ गठबंधन कर उन्होंने सरकार बनाई. संघ से जुड़े रहे खट्टर प्रधानमंत्री मोदी के करीबी समझे जाते हैं.
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गुजरात
गुजरात में 1998 से लगातार भारतीय जनता पार्टी की सरकार है. प्रधानमंत्री पद संभालने से पहले नरेंद्र मोदी 12 साल तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे. फिलहाल राज्य सरकार की कमान बीजेपी के विजय रुपाणी के हाथों में है.
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असम
असम में बीजेपी के सर्बानंद सोनोवाल मुख्यमंत्री हैं. 2016 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 86 सीटें जीतकर राज्य में एक दशक से चले आ रहे कांग्रेस के शासन का अंत किया. अब राज्य में फिर विधानसभा चुनाव की तैयारी हो रही है.
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अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश में पेमा खांडू मुख्यमंत्री हैं जो दिसंबर 2016 में भाजपा में शामिल हुए. सियासी उठापटक के बीच पहले पेमा खांडू कांग्रेस छोड़ पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश में शामिल हुए और फिर बीजेपी में चले गए.
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नागालैंड
नागालैंड में फरवरी 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में एनडीए की कामयाबी के बाद नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के नेता नेफियू रियो ने मुख्यमंत्री पद संभाला. इससे पहले भी वह 2008 से 2014 तक और 2003 से 2008 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं.
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मेघालय
2018 में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनने के बावजूद सरकार बनाने से चूक गई. एनपीपी नेता कॉनराड संगमा ने बीजेपी और अन्य दलों के साथ मिल कर सरकार का गठन किया. कॉनराड संगमा पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा के बेटे हैं.
तस्वीर: IANS
सिक्किम
सिक्किम की विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी का एक भी विधायक नहीं है. लेकिन राज्य में सत्ताधारी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का हिस्सा है. इस तरह सिक्किम भी उन राज्यों की सूची में आ जाता है जहां बीजेपी और उसके सहयोगियों की सरकारें हैं.
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मिजोरम
मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है. वहां जोरामथंगा मुख्यमंत्री हैं. बीजेपी की वहां एक सीट है लेकिन वो जोरामथंगा की सरकार का समर्थन करती है.
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2019 की टक्कर
इस तरह भारत के कुल 28 राज्यों में से 16 राज्यों में भारतीय जनता पार्टी या उसके सहयोगियों की सरकारें हैं. हाल के सालों में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्य उसके हाथ से फिसले हैं. फिर भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता के आगे कोई नहीं टिकता.
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अन्य प्रदेशों में विरोध
त्रिपुरा की हिंसा और लेनिन की मूर्ति ढहाने का विरोध त्रिपुरा के अलावा पश्चिम बंगाल व केरल में भी हो रहा है. बंगाल की राजधानी कोलकाता में लेफ्ट फ्रंट के नेताओं ने इसके विरोध में आज एक रैली निकाली और दोषियों को गिरफ्तार करने की मांग की. दूसरी ओर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की है. वह कहती हैं, "ऐसी अलगाववादी राजनीति जल्दी ही गांधी, सुभाष चंद्र बोस और स्वामी विवेकानंद की प्रतिमाओं को भी निशाना बनाएगी." ममता का कहना है कि माकपा के साथ उनके सैद्धांतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन लेनिन जैसे किसी नेता की प्रतिमा ढहाना उनको बर्दाश्त नहीं होगा. ममता ने कहा कि त्रिपुरा के विकास पर ध्यान देने की बजाय बीजेपी नेताओं का हिंसा में शामिल होना दुर्भाग्यपूर्ण है. मुख्यमंत्री ने सवाल किया कि आखिर यह कैसी राजनीति है, "वे लोग आज लेनिन की प्रतिमा गिरा रहे हैं और कल गांधी, बोस, रबींद्र नाथ टैगोर, विवेकानंद व बिरसा मुंडा की प्रतिमाओं के साथ भी यही सलूक करेंगे."
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि त्रिपुरा में लेफ्ट के काडरों ने जो बोया है वही काट रहे हैं. बीते दो-तीन वर्षों से राज्य में भारी हिंसा होती रही है. इनमें बीजेपी के कार्यकर्ताओं के अलावा कई पत्रकारों को भी जान से हाथ धोना पड़ा है. राजनीतिक विश्लेषक रमेंद्र देबबर्मा कहते हैं, "भारी जीत से उत्साहित बीजेपी के लोग अब बदले पर उतारू हैं. लेकिन पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को इस हिंसा पर रोक लगानी चाहिए. इससे आम लोगों में गलत संदेश जाएगा." लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री के फोन और राज्यपाल की अपील के बावजूद राज्य के खासकर ग्रामीण इलाकों से हिंसा व आगजनी की खबरें आ रही हैं. उन इलाकों में आम लोग भी डर के मारे सुरक्षित जगहों पर जा रहे हैं. ऐसे में 9 मार्च को सत्ता संभालने वाली नई सरकार के समक्ष कानून व व्यवस्था पर अंकुश लगाना ही सबसे बड़ी चुनौती होगी.