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बीडीआर मुख्यालय में सामूहिक क़ब्र मिली

२७ फ़रवरी २००९

दो दिन चले सशस्त्र विद्रोह के बाद बांग्लादेश की पुलिस ने 200 बाग़ी जवानों को पकड़ा है. उधर राजधानी ढाका सहित दूसरे शहरों में जनजीवन सामान्य होने लगे हैं. गुरुवार देर शाम बाग़ी जवानों ने हथियार डाल दिए थे.

सामान्य होता जनजीवनतस्वीर: picture alliance / Photoshot

ढाका में बांग्लादेश राइफल्स के मुख्यालय में पुलिस को सैन्य अधिकारियों की सामूहिक कब्र मिली है. सेना ने शुक्रवार को बीडीआर के परिसर के आसपास नालों, तालाबों और मैनहोल में छिपाए गए अफ़सरों के शव बरामद किए. सेना का दावा है कि बाग़ियों की खोदी एक कब्र से 38 अफ़सरों के शव मिले हैं. मृत अफ़सरों को सरकारी सम्मान के साथ सामूहिक रूप से दफनाया जाएगा. रविवार को सरकार ने राष्ट्रीय शोक दिवस का ऐलान किया है.

उधर समाचार एजेंसियों का कहना है कि समाचार एजेंसियों ने एक बचाव दल कर्मचारी के हवाले से बताया है कि बीडीआर मुख्यालय में 50 शव और मिले हैं. डीपीए समाचार एजेंसी ने 21 शव मिलने की बात कही है. इसके बाद बुधवार और गुरुवार को हुए सशस्त्र विद्रोह में मरने वालों की कुल संख्या 70 से भी ज़्यादा होने की आशंका है.

उधर पुलिस ने अभी तक बीडीआर के 200 बाग़ी जवानों को गिरफ्तार किया है. उन पर लूटपाट, हत्या और अपहरण के आरोप है. बांग्लादेश की सेना ने अभी तक मारे गए सैनिकों की संख्या के बारे में जानकारी नहीं दी है. लेकिन बताया है कि सौ के क़रीब सैनिक लापता हैं.

बाग़ियों ने डाले हथियारतस्वीर: Harun-ur-Rashid Swapan

ढाका यूनिवर्सिटी के एक छात्र ने बताया कि इन शवों को पानी और टैंको में फेंक दिया था जबकि जान बचाने के लिये कई लोगों ने ख़ुद को नालियों में छुपाया.

उधर बाग़ी जवान फिर से अपने सैनिक ठिकानों पर चले गए हैं. लेफ्टिनेंट कर्नल सैयद क़मरुज्ज़मां ने बताया कि "यह विद्रोह पूरी साज़िश के साथ किया गया और ऐसे समय किया गया जब पूरे बांग्लादेश से अधिकारी बीडीआर की बैठक के लिये ढाका आए थे". वह इस विद्रोह में बाल बाल बचे. ज़मां ने कहा कि उन्होंने "बीडीआर प्रमुख मेजर जनरल शकील अहमद को गोली लगते देखी". मेजर जनरल की इस विद्रोह में मौत हो गई है.

बुधवार तड़के शुरू हुआ बीडीआर विद्रोह गुरुवार देर शाम ख़त्म हुआ. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने बाग़ी जवानों से अपील की थी कि वे हथियार डाल दें नहीं तो उन्हें कड़ी कार्रवाई का सामना करना होगा.

बांग्लादेश के मीडिया में प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की कार्रवाई की तारीफ़ की जा रही है. समाचारपत्रों का कहना है कि हसीना को साबित करना ज़रूरी था कि वो बांग्लादेश में स्थिरता ला सकती हैं.

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