हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से देश भर में बीफ पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करने को कहा है. देश के कई राज्यों में इस समय बीफ बैन से जुड़े तमाम मामलों की सुनवाई चल रही है.
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भारतीय राज्य हिमाचल प्रदेश के हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से देश भर में बीफ पर प्रतिबंध लगाने पर विचार करने को कहा है. इस प्रतिबंध के दायरे में केवल गौहत्या ही नहीं बल्कि गोमांस का आयात, निर्यात और बिक्री भी आएगी. कोर्ट ने इस पर विचार के लिए केन्द्र सरकार को तीन महीने का समय दिया है. भारत के कई राज्यों के हाई कोर्ट इस समय बीफ बैन से जुड़े कई मामलों की सुनवाई कर रहे हैं.
एक ओर बीफ बैन से जुड़े कई मामलों की अदालतों में सुनवाई हो रही है वहीं दूसरी ओर कई लोग देश में न्याय मिलने में होने वाली लंबी देरी पर सवाल खड़े कर रहे हैं. आंकड़े दिखाते हैं कि जून 2014 तक भारत के 24 उच्च न्यायालयों में करीब 45 लाख मामले लंबित पड़े हैं. इसे समझने का एक तरीका यह भी हो सकता है कि हर एक हाई कोर्ट पर औसतन 2 लाख मामले बाकी हैं. सबसे बुरा हाल उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट का है जहां करीब 7 लाख केस लंबित पड़े हैं. देश का सर्वोच्च न्यायालय भी लंबित मामलों से अटा पड़ा है.
धार्मिक आजादी के विशेषज्ञ एक टॉप अमेरिकी डिप्लोमैट डेविड सेपरस्टाइन ने समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत में कहा है कि अमेरिका मोदी सरकार से पूरे देश में सभी समुदायों के बीच "सहनशीलता और शिष्टता" के आदर्शों को लागू करने के लिए प्रोत्साहित करेगा. दादरी कांड पर लंबी चुप्पी तोड़ते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में उसे "दुर्भाग्यपूर्ण" घटना बताया था. इससे भी कड़े और साफ शब्दों में पीएम मोदी की प्रतिक्रिया की अपेक्षा कर रहे कई समाजसेवी और एक्टिविस्ट इससे निराश दिखे.
अमेरिका में जारी हुए अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर भी लिखा है. रिपोर्ट के मुताबिक 26 मई तक यूपीए सरकार के शासन और उसके बाद से एनडीए सरकार के समय में साल 2014 में भारत में कई धार्मिक मुद्दों पर हत्याएं, गिरफ्तारियां, दंगे और जबरन धर्मपरिवर्तन की घटनाएं हुईं, जिनमें से सांप्रादायिक हिंसा के कुछ मामलों में पुलिस की ओर से समुचित प्रतिक्रिया नहीं हुई. इस पर सेपरस्टाइन ने कहा, "इस रिपोर्ट में कोई निष्कर्ष नहीं निकाला गया है बल्कि केवल तथ्य पेश किए गए हैं."
गौहत्या पर हत्या कितनी जायज?
दादरी में गोमांस रखने की अफवाह के बाद भीड़ ने एक व्यक्ति का कत्ल कर डाला. इस घटना पर हमने लोगों से पूछी उनकी राय. जवाब परेशान करने वाले हैं.
तस्वीर: AP
50 साल के मोहम्मद अखलाक की जान एक अफवाह के कारण गयी, जो वॉट्सऐप के जरिए फैली. वॉट्सऐप संदेशों में लिखा गया कि उसने गाय को काटा है. फेसबुक पर कई लोगों ने इस हत्या को जायज बताया है. हालांकि कुछ ऐसे समझदार भी मिले जो मिलजुलकर रहने का आग्रह कर रहे हैं.
तस्वीर: Reuters/Stringer
योगेंद्र पांडेय ने लिखा है, "दादरी मे जो कुछ हुआ, वह किसी भी सभ्य समाज मे स्वीकार्य नहीं है, पर क्या यह सच्चाई नहीं है कि इसी तरह ईशनिंदा की अफवाह उड़ाकर हर साल सैकड़ों निर्दोष पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अरब मुल्कों में मौत के घाट उतार दिए जाते हैं? क्रिया के बराबर और विपरीत प्रतिक्रिया होती ही है."
तस्वीर: Shaikh Azizur Rahman
फरीद खान ने लिखा है, "इन कट्टरवादी ताकतों का मुकाबला मिलजुल कर और आपसी ऐतेमाद कायम करके ही किया जा सकता है. आजकल जिस तरह उकसावे की राजनीति करके मुसलमानों के साथ व्यवहार किया जा रहा है, वह ना तो किसी प्रकार उचित है, न ही इस देश की एकता व अखंडता के लिए शुभ संकेत है. कल को अगर यही मजलूम मुसलमान मजबूर होकर हथियार उठा ले, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?"
तस्वीर: S. Rahman/Getty Images
कुलदीप कुमार मिश्र ने बीफ के निर्यात की ओर ध्यान दिलाते हुए सवाल किया है, "गोमांस के निर्यात में भारत ने विश्व रिकार्ड बना डाला! ब्राजील को पीछे छोड़ कर पहले स्थान पर कब्जा! (2015 का आंकड़ा दिया जा रहा है!) और देश में गाय का मांस खाने पर प्रतिबंध लगता है."
तस्वीर: Shaikh Azizur Rahman.
अजय राज सिंह ठाकुर की टिप्पणी, "भीड़ ने जो किया, वह निश्चित ही बहुत गलत और असभ्य था. कुछ भी करने से पहले उस बात कि सच्चाई को जानना चाहिए था. गौ माता और नारियां, दोनों का समान रूप से सम्मान होना चाहिए. ऐसा व्यवहार बहुत ही खेदजनक और शर्मनाक है!!"
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कमलकिशोर गोस्वामी लिखते हैं, "हजारों बार देखा है मैंने भारतीय लोकतंत्र को तार तार होते. सत्तर बरस की आजादी लाखों बरस की सभ्यता और ऐसा जंगलीपन. सौ लोगों की भीड़ जो अब कई गांवों में तब्दील हो गई है. सोशल मिडिया पर लोग इतना गंद लिख रहे हैं एक दूसरे के खिलाफ पर कुछ नहीं हो रहा. क्या कहें ऐसे लोकतंत्र पर और क्या कहें उन महानुभवों को जिन्होंने हमें ऐसे लोकतंत्र का तोहफा दिया."
तस्वीर: DW
हरिओम कुमार का कहना है, "जिन देशों की आबादी ज्यादा होती है उन देशो में लोकतंत्र काम नहीं करता. खासकर जिन देशों की एक बहुत बड़ी आबादी अनपढ़ हो." इसी तरह रली रली ने लिखा है, "लगाया था जो उसने पेड़ कभी, अब वह फल देने लगा; मुबारक हो हिन्दुस्तान में, अफवाहों पे कत्ल होने लगा." गोपाल पंचोली ने एक अहम बात कही, "गाय और सूअर, फिर आ गई अंग्रेजों वाली राजनीति!"