बुंडेसलीगा- रविवार के दोनों खेल ड्रॉ
१० अगस्त २००९रविवार के दोनों खेल ड्रा रहे. हालांकि बोखुम ने बोरुसिया म्योंशेनग्लाडबाख के खिलाफ अच्छा प्रदर्शन किया. ग्लाडबाख के तीन गोलों का जवाब देते हुए हाफ टाइम के बाद बोखुम ने 12 मिनटों के अंदर तीन गोल दाग दिए और ग्लाडबाख के बराबर रहे. कहा जा सकता है कि जो खेल ग्लाडबाख आराम से चार शून्य से जीत सकता था, उसे ड्रा से काम चलाना पड़ा.
ग्लाडबाख के नए खिलाड़ी वेनेजुएला के खुआन आरांगो ने खेल के शुरु होने के कुछ 19 मिनट बाद राउल बोबादियो और स्ट्राइकर रोबेर्तो कोलाउती के साथ मिलकर शानदार गोल किया. ग्लाडबाख की टीम लगातार आगे बढ़ती रही और पहली गोल के सात मिनटों बाद कोलाउती ने दूसरा गोल किया और बचाव कर रहे डिफेंडर रोएल ब्रूवेर ने हाफटाइम के पांच मिनट पहले गोलपोस्ट के बिलकुल करीब से टीम के लिए एक औऱ गोल दागा.
ब्रेक के बाद बोखुम ने शानदार खेल का प्रदर्शन किया और मिमुन अज़ुआग़ ने 48 सेकंड में एक के बाद एक करके दो गोल दागे. इसके बाद बोरुसिया की टीम से बोंफिम दांत को जाना पड़ा जब उन्होंने दूसरी टीम के स्तानिस्लाव सेस्ताक को नीचे खींचने की कोशिश की. तीन मिनट बाद सेस्टाक को गोल मारने का मौका मिला. बोरुसिया के कोच का कहना था कि यह मैच अजीब था. 'इस तरह की चीज़े फुटबॉल में होती हैं. पहले तो हमने चार शून्य से जीतने का मौका गंवाया. उसके बाद हमने उन्हें तीन गोल दिए. अब हमें अपने एक अंक के साथ जीना होगा.'
दूसरे खेल में हैम्बर्ग और फ्राइबर्ग की टीम बराबरी में रहे. हैम्बर्ग टीम के नए कोच ब्रूनो लाबादिया की टीम अपना कमाल नहीं दिखा पाई, हालांकि खेल शुरु होने के तीन मिनट बाद ही जानाथन पिट्रोपिया ने एक गोल दाग दिया था. फ्राइबर्ग की टीम ने ज़बरदस्त आक्रमक खेल का प्रदर्शन किया लेकिन गोल मारे के कई मौकों से हाथ धो बैठे. खेल के 65वें मिनट में मोहम्मदू इद्रीसू ने एक गोल दाग ही दिया. फ्राइबर्ग के कोच रॉबिन दत्त का कहना था कि टीम के पास गोल मारने के कई मौके थे औऱ अगदर कोई एक बड़े टीम के मुकाबले ज़्यादा अच्छा है तो आपको दो अंक इस तरह गंवाने नहीं चाहिए.
बोखुम और ग्लाडबाख के खिलाफ बोखुम की किस्मत अच्छी रही और ग्लाड़बाख की खराब. फ्राइबर्ग ने हैम्बर्ग के खिलाफ जीतना का एक अच्छा अवसर खो दिया. अंक तालिका में वोल्फ्सबर्ग ने पहले स्थान पर अपनी जगह बना रखी है.दूसरे और तीसरे स्थान पर आइनट्राख्ट और शाल्के हैं.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ एम गोपालकृष्णन
संपादन: आभा मोंढे