बुकर अवार्ड ब्रिटेन की हिलेरी मांटेल को
७ अक्टूबर २००९ऐतिहासिक कथानक पर लिखा साढे़ सौ पेज का ये विराट उपन्यास निर्णायकों की नज़र में अपनी विहंगम और विरल ऐतिहासिकता और छानबीन की उत्कृष्टता के लिए ध्यान खींचता है. निर्णायकों का कहना है कि उपन्यास अपने आख्यान में बेहिचक है और 16 वीं सदी को आधुनिक निगाह से देखने की सबसे ख़ूबसूरत मिसाल.
57 साल की हिलेरी मांटेल को सम्मान के साथ 50 हज़ार पौंड की राशि इनाम में मिलेगी. उनके उपन्यास वुल्फ़ हॉल की अकेले ब्रिटेन में इस साल अब तक 50 हज़ार से ज़्यादा प्रतियां बिक चुकी हैं.
उपन्यास की कहानी एक ऐतिहासिक चरित्र क्रॉमवेल के इर्दगिर्द बुनी गई है जो अपनी कोशिशों और जोड़तोड़ से राजा हेनरी आठवें का सबसे नज़दीकी सलाहकार बन जाता है. और रोम के चर्च के वर्चस्व से राजशाही को छुड़ाने में राजा की मदद करता है. क्रोमवेल अपनी महत्वाकांक्षा में क्रूर होता गया और 1540 में उसे फांसी पर लटका दिया गया.
मांटेल का कहना है कि वो इस उपन्यास का अगला हिस्सा भी लिखना चाहती हैं.
इस बार के मैन बुकर की कड़े मुक़ाबले में पिछली दो बार के विजेता लेखक जी एम कोएत्ज़ी भी शामिल थे. लेकिन वो हैट ट्रिक से चूक गए. दौड़ में दूसरे लेखक थे ए एस बयाट जिन्हें एक बार पहले बुकर मिल चुका है.
हिलेरी मांटेल ने पुरस्कार मिलने पर ख़ुशी जताई. उनके मुताबिक उन्हें वुल्फ़ हॉल को लिखने मे पांच साल लगाए. हिलेरी जानी मानी फ़िल्म समीक्षक भी हैं.
रिपोर्ट- एजेसिंयां/एस जोशी
संपादन- ओ सिंह