जापान में बुद्धिमान टॉयलेट्स की एक नई खेप तैयार हो रही है. ये सीरीज पुराने से कहीं ज्यादा दिमाग वाले हैं, बहुत काम कर सकते हैं यहां तक कि आपके शूगर की बीमारी और ब्लड प्रेशर के बारे में भी.
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आपको कुछ नहीं करना है. बस अपने दिन की सामान्य शुरुआत करनी है. नित्य कर्म करना है. आप जैसे ही टॉयलेट का इस्तेमाल करेंगे. वह अपनी तकनीक का इस्तेमाल करने लगेगा. आपका ब्लड प्रेशर, शूगर, यूरीन टेस्ट सब कर लेगा. और यही नहीं इनके नतीजे आपके निजी कंप्यूटर में सेव कर देगा. आपको बस कंप्यूटर का बटन दबाना है और ये डाटा अपने डॉक्टर को ईमेल कर देनी है. आगे का सिरदर्द उसका.
जापानी टॉयलेट हाई टेक के लिए मशहूर हैं. ताजा बुद्धिमान टॉयलेट जापान की टोटो कंपनी ने बनाया है.
हेल्थ चेक अप शूगर, ब्लड प्रेशर और शरीर का तापमान चेक कर देता है. यहां तक कि वजन भी बता देता है. टोटो कंपनी के लिए इस टॉयलेट का डिजाइन जापान के आर्किटेक्ट हाउस दाइवा ने बनाया. वहां के अकिहो सुजूकी बताते हैं, "हमारे चेयरमेन को ये आइडिया आया जब वे किसी अस्पताल में गए थे और वहां चेक अप के लिए लोगों को लाइन में लगे देखा. उन्होंने सोचा अगर इस तरह की टेस्ट घर पर हो जाए तो अच्छा होगा."
टोटो के इंजीनियरों ने टॉयलेट के बेसिन में इस तरह की तकनीक लगाई है जो यूरीन की जांच, तापमान बता सकती है और एक कलाई पट्टी बनाई है जो ब्लड प्रेशर नापेगी. सुजूकी ने कहा, "अभी का मॉडल ये सब जांच आपके कंप्यूटर में फीड कर देगा इसे आप फिर अपने डॉक्टर को ईमेल कर सकते हैं. अगला मॉडल ऐसा बनाया जाएगा जो ये सारे परीक्षण सीधे डॉक्टर को मेल कर देगा."
हाई टेक टॉयलेट पांच लोगों की जानकारी सेव कर सकता है. फिलहाल ये 4,000 से 5,500 डॉलर यानी करीब दो लाख रुपये है.
जापान पहले भी इस तरह के अजूबे टॉयलेट्स बना चुका है. सफाई के लिए उसने ऐसे टॉयलेट बनाए हैं जिसकी सीट और ढक्कन अपने आप उठ जाते हैं ताकि इसकी सफाई की जा सके. कई टॉयलेट ऐसे हैं जिनमें फ्लश ऑटोमेटिक है या सीट को गर्म या ठंडा किया जा सकता है. कुछ ऐसे भी हैं कि आप वॉशरूम में जैसे ही घुसें सीट का ढक्कन खुद खुल जाता है और तो और वो ये भी जान लेगा कि वॉशरूम में घर की महिला आई है या पुरुष.
फिलहाल तो जापान के ऑटोमेटिक, हाईटेक टॉयलेट अमेरिका में निर्यात किए गए हैं. वहां इन्हें अधिकतर अस्पतालों में इस्तेमाल किया जाता है. कंपनी अब अपना रुख एशियाई मार्केट की ओर बढ़ाने के विचार में है.
मसले की बात बस इतनी है कि अगर इस टॉयलेट में छोटी सी गड़बड़ हो जाए, जैसे सीट का तापमान नियंत्रण करने की तकनीक में गड़बड़ी आ जाए तो क्या होगा.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः ए जमाल
जीना टॉयलेट के बिना
भारत की आधी से ज्यादा आबादी के पास मोबाइल फोन हैं, लेकिन एक तिहाई से भी कम लोग टॉयलेट का इस्तेमाल कर पाते हैं. 19 नवंबर को टॉयलेट दिवस के रूप में मनाने वाली दुनिया में एक अरब से भी ज्यादा लोगों का यही हाल है.
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गरीबी से लड़ते टॉयलेट
बेहतर साफ सफाई और साफ टॉयलेट के लिए दुनिया भर में लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. दुनिया की एक तिहाई आबादी के पास साफ शौचालय नहीं है. इससे बीमारियां फैलती हैं. खराब हाइजीन के कारण मरने वालों की संख्या खसरा और मलेरिया के कारण मरने वालों से भी ज्यादा है.
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संकटग्रस्त इलाकों में..
टॉयलेट बनाना मुश्किल है. अक्सर लोग घंटों इंतजार करते हैं. ट्यूनीशिया में भागे सोमालियाई लोगों के लिए अलग से जगहें बनाने की जरूरत है, जो स्थानीय संरचना के लिए बहुत मुश्किल है.
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गंदा काम
भारत के कई हिस्सों में जहां पानी वाले टॉयलेट नहीं हैं, वहां इनकी सफाई के लिए लोग हैं. भारतीय संविधान के मुताबिक इस पर 20 साल से रोक है लेकिन अभी तक किसी पर मुकदमा नहीं चला है. नई दिल्ली में इस साल की शुरुआत से इस तरह के शौचालयों पर रोक लगा दी गई है.
तस्वीर: Lakshmi Narayan
स्वास्थ्य में निवेश
पानी के कारण होने वाली बीमारियों, जैसे टायफाइड और पेचिश के संक्रमण उन इलाकों में बहुत तेजी से बढ़ते हैं, जहां साफ टॉयलेट नहीं हैं. अफ्रीका के किबेरा में लोग प्लास्टिक की थैली का इस्तेमाल करते और फिर इसे फेंक देते. अब जब नैरोबी के शैंटीटाउन में यह टॉयलेट बनाया गया है, कम लोग बीमार हो रहे हैं.
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पोलियो का संक्रमण
सीरियाई सीमा के आस पास बने शरणार्थी शिविरों में हर दिन हजारों लोग सीरिया से आ रहे हैं. शिविरों में क्षमता से ज्यादा लोग है और इस कारण गंदे पानी से होने वाली बीमारियां और संक्रामक पोलियो भी बढ़ रहा है.
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टिकाऊ हल
बोलिविया की राजधानी ला पाज के नजदीक एल आल्टो में ऐसा शौचालय बनाया गया है जिसमें मल मूत्र अलग अलग होता है और उसका ट्रीटमेंट इस तरह से होता है कि उसे खाद के तौर पर इस्तेमाल किया जा सके. किसानों को यह मुफ्त में मिलता है और फुटबॉल मैदान में इस खाद का इस्तेमाल हो सकता है.
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यूरोप में भी पुराने तरह के टॉयलेट
यूरोपीय संघ में दो करोड़ लोगों के लिए साफ टॉयलेट्स नहीं हैं. पूर्वी यूरोप में अभी भी पुराने तरह के टॉयलेट हैं. ये वहां पीने के पानी को दूषित करते हैं, जहां कुआं हो. यहां हाइजीन खराब है और अर्थव्यवस्था भी.
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इथियोपिया में मदद
जीवन बेहतर बनाने के लिए एक साधारण सा टॉयलेट भी काफी है. इथियोपिया में अब लोगों को निजी टॉयलेट उपलब्ध हो पा रहा है. टॉयलेट ट्विनिंग जैसी संस्थाएं इसे मुमकिन बना रही हैं. पहले लोग बहुत बीमार रहते थे.
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बिना पानी के
अलास्का के माउंट मैक किनले पर बने इस टॉयलेट के तो कहने की क्या.. यहां से उत्तरी अमेरिका के सबसे ऊंचे पर्वत का शानदार नजारा दिखता है.
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जैविक टॉयलेट
सुलभ शौचालयों ने भारत में एक नई क्रांति लाई थी. ऐसी ही एक और कोशिश की जा रही है जैविक टॉयलेटों के जरिए. ये बायो डाइजेस्टर टॉयलेट ऐसी जगहों पर भी लगाए जा सकते हैं जहां मल निकासी की सुविधा नहीं है.
तस्वीर: Murali Krishnan
कलावती का शौचालय मिशन
भारत में उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में रेल की पटरियों के इर्द गिर्द बसी राजा का पुरवा बस्ती में 1991 से पहले तक मल मूत्र सड़कों पर बहा करता था, लेकिन अब वहां की ही एक महिला कलावती के अभियान के कारण वहां 50 सीटों वाला एक सामुदायिक शौचालय कामयाबी से चल रहा है.