बुलेट ट्रेन के लिए आदिवासी किसान क्यों नहीं दे रहे हैं जमीन
क्रिस्टीने लेनन
३ दिसम्बर २०१९
मुंबई के पास स्थित पालघर, आदिवासी बहुल क्षेत्र है. यहाँ के किसान ना तो विकास विरोधी हैं और ना ही बीजेपी विरोधी, इसके बावजूद मोदी सरकार की महत्वकांक्षी ट्रेन परियोजना का यहां विरोध हो रहा है.
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प्रधानमंत्री मोदी के सपने को अपने लिए दुस्वप्न मानने वाले पालघर के अधिकतर आदिवासी किसान अपने क्षेत्र में बुलेट ट्रेन नहीं चाहते. 500 किलोमीटर से कुछ अधिक लम्बी इस बुलेट ट्रेन परियोजना का 110 किलोमीटर का कॉरिडोर आदिवासी बहुल क्षेत्र पालघर से होकर गुजरेगा. भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार मुआवजा जमीन की कीमत का चार गुना मिलता है और सरकार इससे भी अधिक किसानों को देने की पेशकश कर चुकी है, फिर भी किसानों ने इसका विरोध किया. अब राज्य में बनी नयी सरकार से किसानों की उम्मीद फिर जाग गयी है.
किसानोंकीचिंता
पालघर की लगभग आधी आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से बुलेट ट्रेन परियोजना से प्रभावित होगी. कुछ लोग यहां इस परियोजना के समर्थक भी हैं, लेकिन विरोध की आवाज आदिवासी किसानों की तरफ से उठ रही है. किसान बुलेट ट्रेन के लिए भूमि अधिग्रहण का लगातार विरोध कर रहे हैं. इस क्षेत्र में आदिवासियों और फल उत्पादक किसान की तादाद अच्छी खासी है. यहां धान की खेती भी होती हैं. वैसे यह इलाका चीकू के बगीचों के लिए भी मशहूर है. ये लोग अपनी जमीन का सौदा नहीं करना चाहते. भूमि अधिकार आन्दोलन से जुड़ी उल्का महाजन का कहना है कि बुलेट ट्रेन से किसानों का भला नहीं होने वाला है, ये सिर्फ धनपतियों के लिए ही है.
बोईसर के निवासी रूपेश कहते हैं कि लोग मुआवजा के लिए अपनी जमीन नहीं देना चाहते. इस बुलेट ट्रेन का यहां के लोगों को कोई फायदा नहीं मिलने वाला है. उनका कहना है कि इस ट्रेन में बैठने की हैसियत भी उनकी नहीं है. अगर सरकार रोजगार दे तो जमीन दिया जा सकता है.
भारत में सबसे तेज गति से चलने वाली ट्रेन
भारतीय रेल नेटवर्क दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्कों में से एक है. भारत में चलने वाली ट्रेनों की औसत गति 36 किलोमीटर से लेकर 112 किलोमीटर प्रतिघंटा है. एक नजर भारत में 2019 में सबसे तेज गति से चलने वाली ट्रेनों पर.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Sharma
वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन 18
वंदे भारत एक्सप्रेस भारत में सबसे तेज गति से चलने वाली ट्रेन है. यह 'ट्रेन 18' का मॉडल है. इसकी अधिकतम स्पीड 180 किलोमीटर प्रतिघंटा है लेकिन आधिकारिक तौर पर इसकी स्पीड को 130 किलोमीटर प्रतिघंटा कर दिया गया है. भारतीय रेलवे ने आने वाले दिनों में 'ट्रेन 19' और 'ट्रेन 20' मॉडल लाने की योजना बनाई है.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times/S. Verma
गतिमान एक्सप्रेस
गतिमान एक्सप्रेस भारत की पहली सेमी-हाई स्पीड ट्रेन है. इसकी अधिकतम स्पीड 160 किलोमीटर प्रतिघंटा है. यह ट्रेन दिल्ली से झांसी के बीच चलती है. इस ट्रेन में एलएचबी कोच लगे हुए हैं और डब्ल्यूएपी 5 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन से यह ट्रेन चलती है. एलएचबी कोच का फायदा यह है कि किसी भी तरह की दुर्घटना की स्थिति में जान-माल का नुकसान नहीं के बराबर होता है.
तस्वीर: DW
हबीबगंज दिल्ली शताब्दी एक्सप्रेस
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित हबीबगंज स्टेशन और नई दिल्ली के बीच चलने वाली हबीबगंज दिल्ली शताब्दी एक्सप्रेस की अधिकतम स्पीड 150 किलोमीटर प्रतिघंटा है. वहीं इसकी औसत गति 84 किलोमीटर प्रतिघंटा है.
तस्वीर: Imago/Xinhua
सियालदह दिल्ली दुरंतो एक्सप्रेस
सियालदह दिल्ली दुरंतो एक्सप्रेस भारतीय रेलवे की सबसे तेज गति से चलने वाली दुरंतो ट्रेन है. इसकी अधिकतम स्पीड 135 किलोमीटर प्रतिघंटा है. इसमें डब्ल्यूएपी 4 या डब्ल्यूएपी 7 इंजन लगे होते हैं. यह पश्चिम बंगाल के सियालदह और नई दिल्ली के बीच चलती है.
तस्वीर: IANS
दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस
दिल्ली मेट्रो की दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस की अधिकतम गति 132 किलोमीटर प्रतिघंटा है. यह भारत में सबसे तेज गति से चलने वाली मेट्रो ट्रेन है. यहां मेट्रो स्टेशन पर ही चेक इन करने की सुविधा दी गई है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Sharma
मुंबई राजधानी एक्सप्रेस
मुंबई राजधानी एक्सप्रेस सबसे तेज गति से चलने वाली राजधानी एक्सप्रेस है. इसकी अधिकतम स्पीड 130 किलोमीटर प्रतिघंटा है. यह ट्रेन मुंबई से नई दिल्ली के बीच चलती है. इसमें भी एलएचबी कोच लगे हुए हैं.
तस्वीर: Imago/ZUMA Press
हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस
हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस दिल्ली से पश्चिम बंगाल के हावड़ा के बीच चलती है. इसकी अधिकतम स्पीड 130 किलोमीटर प्रतिघंटा है. भारत में चलाई जाने वाली यह पहली राजधानी ट्रेन है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Khanna
हावड़ा रांची शताब्दी एक्सप्रेस
पश्चिम बंगाल के हावड़ा और झारखंड की राजधानी रांची के बीच चलवे वाली हावड़ा रांची शताब्दी एक्सप्रेस की अधिकतम स्पीड 130 किलोमीटर प्रतिघंटा है. इस ट्रेन में डब्ल्यूएपी 4 या डब्ल्यूएपी 7 इंजन लगे होते हैं.
तस्वीर: Reuters
बांद्रा निजामुद्दीन गरीब रथ एक्सप्रेस
मुंबई के बांद्रा टर्मिनल और दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन के बीच चलने वाली बांद्रा निजामुद्दीन गरीब रथ एक्सप्रेस की अधिकतम स्पीड 130 किलोमीटर प्रतिघंटा है लेकिन फिलहाल इसे 82 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड से ही चलाया जाता है. इसमें डब्ल्यूएपी 5 या डब्ल्यूएपी 7 इंजन लगा होता है.
तस्वीर: Reuters
हावड़ा आनंद विहार युवा एक्सप्रेस
हावड़ा आनंद विहार युवा एक्सप्रेस की अधिकतम गति 130 किलोमीटर प्रतिघंटा है. फिलहाल इसे 82 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड से ही चलाया जाता है. इसमें डब्ल्यूएपी 4 या डब्ल्यूएपी 7 इंचन लगा होता है.
तस्वीर: Reuters
लोकमान्य तिलक निजामुद्दीन एसी एक्सप्रेस
लोकमान्य तिलक निजामुद्दीन एसी एक्सप्रेस भारत की सबसे तेज गति से चलने वाली एसी एक्सप्रेस है. इसकी अधिकतम स्पीड 120 किलोमीटर प्रतिघंटा है.
तस्वीर: Imago Images/Hindustan Times
कोटा निजामुद्दीन जनशताब्दी एक्सप्रेस
यह भारत की सबसे तेज गति से चलने वाली जनशताब्दी एक्सप्रेस है. इसकी अधिकतम गति 110 किलोमीटर प्रतिघंटा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Khanna
महाराष्ट्र संपर्क क्रांति एक्सप्रेस
महाराष्ट्र संपर्क क्रांति एक्सप्रेस भारतीय रेलवे की सबसे तेज गति से चलने वाली संपर्क क्रंति एक्सप्रेस है. इसकी अधिकतम गति 110 किलोमीटर प्रतिघंटा है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Khanna
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लोगों का आरोप है कि सरकार की तरफ से जमीन की सही कीमत नहीं लगाई जा रही है साथ ही पुनर्वास और रोजगार को लेकर भी कोई स्पष्टता नहीं है. पालघर के दहाणु से विधायक चुने गए सीपीएम नेता विनोद निकोल के पिता खेत मजदूर थे. बुलेट ट्रेन का विरोध करने वालों में शामिल विनोद निकोल ने चुनाव के दौरान भी इस मुद्दे को उठाया. किसानों और आदिवासियों के हित सुरक्षित रखने के लिए वह वन अधिकार अधिनियम और भूमि अधिग्रहण कानून को कड़ा बनाये जाने की वकालत करते हैं.
जमीनअधिग्रहणमेंमुश्किल
सितंबर 2017 में बुलेट ट्रेन परियोजना को मंजूरी मिलने के बाद अब तक भूमि अधिग्रहण का काम भी पूरा नहीं हो सका है. इसके लिए लगभग 1400 हेक्टेयर जमीन की जरूरत है. किसानों-आदिवासियों के आन्दोलन के चलते भूमि अधिग्रहण का काम रुका पड़ा है. किसानों और आम लोगों का विश्वास हासिल करने में सरकार अब तक नाकाम रही है. जमीन अधिग्रहण के लिए दिसंबर 2018 समयसीमा निर्धारित की गयी थी, जो बीत चुकी है. पालघर में लगभग 300 हेक्टेयर भूमि को अधिग्रहित करने की आवश्यकता है पर अब तक केवल 30 हेक्टेयर जमीन ही अधिग्रहित हो पाई है.पालघर के आलावा भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां की जमीन अधिग्रहित करना सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स की जमीन बुलेट ट्रेन के रास्ते में है, जहां स्टेशन भी बनने हैं. पिछली सरकार ने इसकी कीमत 3500 करोड़ रुपये लगायी थी. तब यहां भाजपा की सरकार थी अब नए निजाम में कीमत को लेकर केंद्र के साथ टकराव हो सकता है.
सत्तामेंबदलावकाअसर
राज्य में अब शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस की सरकार है जो बुलेट ट्रेन परियोजना में दिलचस्पी लेगी, इसमें संदेह है. यह सरकार भूमि अधिग्रहण के लिए राज्य का खजाना खाली करने की बजाय किसानों के ऋण माफी पर सरकार का खजाना लुटा सकती है. शिवसेना विधायक दीपक केसरकर का कहना है कि इस सरकार की प्राथमिकता किसान हैं. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने किसानों और आदिवासियों के कड़े विरोध को देखते हुए बुलेट ट्रेन परियोजना की समीक्षा का आदेश दिया है. उद्धव ठाकरे का कहना है कि बुलेट ट्रेन परियोजना की समीक्षा की जाएगी, इसे रोका नहीं गया है.