उत्तर प्रदेश में कानपुर के पास रविवार तड़के हुए रेल हादसे में 142 लोग मारे गए हैं और 200 से ज्यादा घायल हुए हैं. राहतकर्मियों ने घटनास्थल पर खोज और बचाव का काम पूरा कर लिया है.
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इस हादसे को भारत में 2010 के बाद सबसे बड़ा रेल हादसा बताया जा रहा है. रविवार को 23 डिब्बों वाली इंदौर-राजेन्द्र नगर एक्सप्रेस ट्रेन इंदौर से पटना जा रही थी. जब इसके 14 डिब्बे पटरी से उतरे, तो ज्यादातर मुसाफिर सो रहे थे. इस हादसे से भारत में एक बार फिर रेलवे सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े होते हैं. भारत के करोड़ों लोगों की जीवनरेखा कही जाने वाली भारतीय रेल समय समय पर हादसों के कारण सुर्खियों में रही है.
भारतीय रेल दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है जिसमें से ज्यादातर अंग्रेजों के जमाने में बना था. भारतीय रेलों में हर दिन 2.3 करोड़ लोग सफर करते हैं. लेकिन इसकी हालत बहुत खस्ता है. भारतीय ट्रेनों की औसत रफ्तार 50 किलोमीटर प्रति घंटा है और अक्सर हादसों की खबर मिलती रहती है.
ये हैं दुनिया के सबसे खतरनाक रेल रूट
सबसे खतरनाक रेल रूट
19वीं शताब्दी में आई रेल क्रांति ने दुनिया का चेहरा बदल दिया. एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में उस वक्त बेहद दुस्साहसिक रेल रूट बनाए जा रहे थे. ये रास्ते आज भी इंजीनियरिंग और रोमांच की मिसाल हैं.
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चेन्नई-रामेश्वरम रूट, भारत
समुद्र पर बना 2.06 लंबा पुल दक्षिण भारतीय महानगर चेन्नई को रामेश्वरम से जोड़ता है. 1914 में बनाया गया यह पुल बीच में खुलता भी है और वहां से जहाज और फेरी जाते हैं. कंक्रीट के 145 स्तंभों पर टिके इस पुल को समुद्री लहरों और तूफानों से खतरा बना रहता है. इसके ऊपर ट्रेन पर सफर करना रोमांचक है.
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ट्रेन ए लास नुबेस, अर्जेंटीना
इसे ट्रेन ऑफ क्लाउड्स भी कहा जाता है. एंडीज पर्वतमाला से गुजरने वाला यह रास्ता उत्तर पश्चिमी अर्जेंटीना से होता हुआ चिली की सीमा तक जाता है. 27 साल की मेहनत के बाद यह रेल रूट 1948 में बनकर तैयार हुआ. 4,220 मीटर की ऊंचाई पर काम करना इंजीनियरों और कामगारों के लिए बहुत मुश्किल साबित हुआ. जिगजैग आकार के इस रूट पर 29 पुल, 21 सुरंगें और 13 इनलैंड ब्रिज हैं.
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जॉर्जटाउन लूप रेलरोड, अमेरिका
ये रूट है तो सिर्फ 7.2 किलोमीटर का, लेकिन बना पूरा नैरोगेज पर है. 1877 में बना यह रूट 640 फुट की खड़ी चढ़ाई से भरा है. जिन्हें ऊंचाई से नीचे देखने में डर लगता हो, ये उनके लिए नहीं है. इसके पुलों और तीखे मोड़ों पर ट्रेन बहुत ही धीरे और सावधानी से गुजरती है.
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व्हाइट पास, अलास्का, अमेरिका
करीब 176 किलोमीटर लंबा यह रेल रूट सन 1900 में खुला. 1982 में कोयला उद्योग के धंसने के बाद इसे बंद करना पड़ा. हालांकि 1988 में इसे पर्यटन के लिए खोल दिया गया. एक तरफ चट्टान और दूसरी तरफ गहरी खाई, कुछ सैलानी तो इस दौरान डर के मारे आंखें बंद कर लेते हैं.
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कुरैंडा सीनिक रेलरोड, ऑस्ट्रेलिया
1882 से 1891 के बीच बना यह 34 किलोमीटर का रास्ता, घने उष्णकटिबंधीय वर्षावन से होकर गुजरता है. यह विश्व धरोहर बैरन नेशनल पार्क और मैकएलिस्टर रेंज को जोड़ता है. इस रास्ते पर कई झरने, तीखे मोड़ और गहरी खाइयां हैं.
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डेविल्स नोज, इक्वाडोर
एंडीज पर्वतमाला में अलाउसी और सिबाम्बे के बीच 12 किलोमीटर लंबा यह रेल ट्रैक सांसें फुला देता है. 1902 में बनाया गया यह रेलवे ट्रैक समुद्र तल से 9,000 फुट ऊपर है. कुछ जगहों पर तो ट्रेन अचानक 500 मीटर ऊंची खड़ी चढ़ाई में चढ़ती है और फिर तीखी ढलान पर मुड़ते हुए नीचे उतरती है.
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लिंटन एंड लिनमाउथ क्लिफ, यूके
जिस चढ़ाई पर इंसान पैदल न चल सके, वहां एक छोटी सी रेलवे लाइन है. 862 फुट ऊंची यह लाइन लिनमाउथ और लिंटन कस्बे को जोड़ती है. 1990 में से चल रहे इस ट्रैक को आज भी इंजीनियरिंग का मार्बल कहा जाता है.
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कम्ब्रेस एंड टोलटेक सीनिक रेलरोड, न्यू मेक्सिको
अमेरिका के न्यू मेक्सिको प्रांत की यह रेलवे लाइन 1880 में बनी. यह अमेरिका की सबसे ऊंची रेलवे लाइन है. रॉकी पर्वतमाला से गुजरने वाले इस रूट पर यहां आज भी कोयले और भाप इंजन की मदद से ट्रेनें चलती हैं.
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पुलिस ने कहा है कि घटनास्थल पर राहत टीमों ने शवों को खोजने का काम समाप्त कर दिया है. पुलिस अधिकारी जकी अहमद ने बताया, "राहत कार्य पूरा हो गया है. अब हमें कोई और शव मिलने की उम्मीद नहीं है."
यह हादसा फिर इस बात की याद दिलाता है कि भारतीय रेल का कायापलट करने का वादा निभाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कितना मुश्किल काम है. मोदी ने इसी साल रेलवे में भारी निवेश का एलान किया था. सरकार जापान के सहयोग से तेज रफ्तार वाली नई रेल लाइनें बनाने पर भी काम कर रही है. लेकिन मौजूदा पटरियों को आधुनिक बनाने और उन पर नए सिग्नल उपकरण लगाने का काम बहुत धीमी रफ्तार से हो रहा है.
पिछले साल जापान ने भारत की पहली बुलेट ट्रेन के लिए उसे 12 अरब डॉलर का आसान ऋण देने पर सहमति जताई थी, लेकिन योजना अभी बेहद शुरुआती चरण में है. बसपा प्रमुख मायावती का कहना है कि प्रधानमंत्री को बुलेट ट्रेन पर अरबों खरबों रुपया खर्च करने से पहले पटरियों की मरम्मत पर ध्यान देना चाहिए.
देखिए ये हैं दुनिया की सबसे तेज ट्रेनें
दुनिया की सबसे तेज ट्रेनें
पहली बार कोई ट्रेन 600 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चली है. इस ऐतिहासिक गति को छूने वाली रेल है सेंट्रल जापान रेलवे की मैग्लेव ट्रेन. एक नजर दुनिया की तीव्रतम ट्रेनों पर.
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हवा में तैरती
मैग्लेव का मतलब है - मैग्नेटिक लैविटेशन. यह एक भौतिक सिद्धांत है जिसके अनुसार सुपरकंडक्टर के इस्तेमाल से किसी वस्तु को हवा में अटकाया जा सकता है. इसी पर आधारित यह ट्रेन जब चलती है तो हवा में तैरते रहने के कारण इसके तल और पटरियों के बीच घर्षण नहीं होता और ना ही कोई टूट फूट.
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ट्रेन में प्लेन का मजा
मैग्लेव की सवारी करने वाले इसके अनुभव को हवाई जहाज में उड़ने जैसा बताते हैं. अप्रैल 2015 में सफल टेस्ट राइड से डेवेलपर्स का आत्मविश्वास बढ़ा है. जनता के लिए पहली सार्वजनिक लाइन 2027 में राजधानी टोक्यो और नागोया शहर के बीच शुरु करने की योजना है. इसकी अधिकतम गति 500 किलोमीटर प्रति घंटा होगी.
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एयरपोर्ट तक भी उड़ते हुए
शंघाई की ट्रांसरैपिड फिलहाल दुनिया की सबसे तेज ट्रेन सेवा है. यह भी जापानी ट्रेन की तरह मैग्नेटिक लैविटेशन के सिद्धांत पर ही चलती है और 430 किमी/घंटा की गति तक पहुंचती है. शंघाई शहर के केन्द्र से एयरपोर्ट तक की 30 किलोमीटर की दूरी केवल आठ मिनट में पूरी होती है.
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फ्रांस को नाज है इस पर
पारंपरिक पहिए वाली ट्रेनों में से सबसे तेज चलने वाली ट्रेन है फ्रांस की टीजीवी. साल 2007 में ही इसने अधिकतम 574 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार को छू लिया था. उस समय सबसे तेज गति के इस विश्व रिकॉर्ड को बनाने के लिए खास मोटरों का इतेमाल किया गया. सामान्य तौर पर इसकी गति 320 किमी/घंटा से ज्यादा नहीं रखी जाती.
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बीजिंग से शंघाई तक
टीजीवी की ही तरह चीन की तेज ट्रेन हार्मनी सीआरएच 380ए भी कई मोटराइज्ड ईकाईयों का इस्तेमाल करती है. 2010 में हुए इसके ट्रायल रन में बीजिंग और शंघाई के बीच की दूरी 486 किमी/घंटा की गति से तय हुई थी. जनसाधारण के लिए इसी रूट पर यह ट्रेन अधिकतम 380 किमी/घंटा की रफ्तार से चलती है.
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बिजली सी तेजी जर्मनी में
1988 में जर्मनी की आईसीई ट्रेन ने हनोवर और वुर्त्सबुर्ग के बीच की दूरी 406.9 किमी/घंटा की अधिकतम गति से तय की. आमतौर पर इसकी अधिकतम रफ्तार 250 किलोमीटर प्रति घंटे रखी जाती है ताकि रखरखाव पर खर्च ज्यादा न पड़े.
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दूसरी तरफ रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने सोमवार को लोकसभा में शोर शराबे के बीच कहा कि हादसे की पूरी जांच होगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. उन्होंने कहा, "सभी संभावित पहलुओं की जांच के लिए फॉरेंसिक जांच के आदेश दिए गए हैं. जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त से सख्त कदम उठाए जाएंगे." 2012 की एक सरकारी रिपोर्ट कहती है कि भारत में हर साल रेल हादसों में 15 हजार लोग मारे जाते हैं.