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बेदम हुआ रूस में पुतिन का विरोध

१० मार्च २०१२

शनिवार को मॉस्को की सड़कों पर हजारों लोगों ने व्लादिमीर पुतिन के वर्चस्व के विरोध में प्रदर्शन किया. लेकिन चुनाव में जीते राष्ट्रपति तक विरोध की यह चिंगारी ज्वाला की तरह पहुंचने में कामयाब नहीं रही है.

तस्वीर: Reuters

मुट्ठीभर लोगों की गिरफ्तारी के साथ खत्म हुए विरोध प्रदर्शन में मास्को के पिछले प्रदर्शनों के मुकाबले काफी कम ही लोग नजर आए. चार मार्च को चुनाव में जीत हासिल कर तीसरी बार क्रेमलिन तक पहुंचे पुतिन का विरोध कर पाना विरोधियों के लिए भी मुश्किल हो रहा है. मॉस्को की नगरपालिका ने न्यू अरबत सिटी सेंटर में 50 हजार लोगों के साथ रैली की अनुमति दी थी. पुलिस बता रही है कि करीब 10 हजार लोग ही आए जबकि इससे पहले की रैलियों में एक लाख तक की संख्या आ चुकी है. विरोध प्रदर्शन करने वालों में शामिल उदारवादी नेता व्लादीमिर रिजकोव कह रहे हैं कि 25 हजार लोग जमा हुए थे लेकिन मॉस्को में मौजूद समाचार एजेंसी एएफपी के संवाददाता के मुताबिक असली संख्या इससे काफी कम थी.

जीत के बाद पुतिनतस्वीर: picture alliance/landov

रैली खत्म होते वक्त वामपंथी नेता सेर्गेई उदाल्त्सोव ने कुछ लोगों को साथ लेकर बिना इजाजत लिए केंद्रीय चौराहे की तरफ जाने की कोशिश की लेकिन वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें और उनके कई साथियों को गिरफ्तार कर लिया. पूर्व शतरंज चैम्पियन गैरी कास्पारोव समेत दूसरे नेताओं ने मंच से हुंकार भर कर लोगों में उत्साह भरने की कोशिश की, लेकिन पहले कई मौकों पर अपने जोशीले भाषणों से लोगों को उत्साहित कर चुके एलेक्सी नावाल्नी मंच पर नहीं आए. कास्पारोव ने कहा, "सबसे बुरा जो हो सकता है वो यह है कि हम हतोत्साहित हो रहे हैं और कह रहे हैं कि प्रशासन जीत गया है. पहली बार हमारे सामने ऐसी स्थिति आई है और अभी तो यह शुरुआत भर है."

विरोध करने वाले नेता लगातार दावा कर रहे हैं कि चुनाव में धांधली हुई है. उनके मुताबिक पुतिन का चुनाव वैध नहीं है. जीत के बाद पहले भाषण में राष्ट्रपति पुतिन की आंखों से छलके आंसू पर सवाल उठाते हुए उदाल्त्सोव पूछते हैं, "जो शख्स घड़ियाली आंसू रोता हो क्या आप उसे निर्वाचित राष्ट्रपति कह सकते हैं?" उदाल्त्सोव ने लोगों से आगे होने वाली रैलियों में बड़ी संख्या में पहुंचने की अपील की है.

सत्ता छोड़ने की मांगतस्वीर: Reuters

मौके पर मौजूद पत्रकार और टीवी प्रेजेंटर सेनिया सॉबचाक ने लोगों से कहा है कि रैली और विपक्षियों को अपनी मांगें साफ करने की जरूरत है. सॉबचाक ने कहा, "हम सब जानते हैं कि हम विरोध में हैं, हमें साफ साफ बताना होगा कि हम यहां क्यों हैं." रैली में आए लोगों में से कुछ ने कहा कि वो इसलिए आए हैं कि प्रशासन पर दबाव बना सकें. 18 साल की ल्युदमिला जाइचिक कहती हैं, "जो लोग यहां हैं उन्हें पता चल गया है कि यह उनका अधिकार है और जिसका उल्लंघन हो रहा है. और ज्यादा लोगों को ऐसा करने की जरूरत है."

पिछले तीन महीने में चार बार बड़े विरोध प्रदर्शनों ने रूस में विपक्ष की रैलियों के बारे में लोगों की धारणा बदल दी है. लेकिन अब उनके सामने आगे की रणनीति तय करने की चुनौती है. आंदोलन को अब अपनी दिशा तय करने पर विचार करना होगा.

विरोध प्रदर्शन से एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने टेलिफोन कर व्लादीमिर पुतिन को चुनाव जीतने पर बधाई दी. ओबामा के फोन करने में देरी को लेकर सवाल उठ रहे थे, लेकिन उन्होंने बात कर के दोनों देशों के रिश्तों की अहमियत पर मुहर लगा दी. विरोध प्रदर्शन और चुनाव पर विवादों ने रूस अमेरिका के रिश्तों पर भी अपने निशान छोड़े हैं. पुतिन अमेरिका पर उन गैरसरकारी संस्थाओं को धन देने का आरोप लगाते हैं जो चुनावों पर सवाल उठा रहे हैं. रूस के मौजूदा प्रधानमंत्री ब्लादीमिर पुतिन ने चुनावों में 63.3 फीसदी वोट हासिल किए और वो मई में तीसरी बार देश के राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने के लिए तैयार हैं.

रिपोर्टः एएफपी/एन रंजन

संपादनः महेश झा

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