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बेनज़ीर की याद में बेटी का रैप सॉंग

२३ जनवरी २००९

किसी हादसे की वजह से जब किसी नेता की जान जाती है तो देश के लिए वो बेशक एक दुखद मौका हो, लेकिन उनके परिवार की दुख की अभिव्यक्ति भी विवाद का केंद्र बन जाती है.

बख़्तावर ने मां की याद में बनाया रैपतस्वीर: AP

दर्द की कोई भाषा नहीं होती. लेकिन दर्द को कई तरह से ज़ाहिर किया जा सकता है...चाहे वो साज़ हो या कोई कविता या फ़िर, बख़्तावर भुट्टो की तरह, जिन्होंने अपनी मां बेनज़ीर भुट्टो की मौत पर अपने दुख को रैप का रूप दे दिया है. अपने नाना ज़ुल्फ़िकार और दो मामा खोने के बाद 27 दिसंबर 2007 को बख़्तावर से उसकी मां का साथ भी छिन गया.

गीत के बोल कुछ ऐसे हैं 'अगर तुम मुझे अब भी सुन सको मां...ऐसी कई बातें हैं जो मैं आज तुमसे कहना चाहती हूं, जो मैं कभी न कह सकी....और फिर गीत का मुखड़ा- मैं तुम्हारा दर्द किसी तरह मिटा देती.' और यहां दर्द का मतलब बख़्तावर का अपनी मां की मौत से ही नहीं, बल्कि शायद उनके दुख और संघर्ष से भी है.

शोक और रैप कभी मिल सकते हैं?

इस गीत को लेकर लोगों की मिलीजुली प्रतिक्रिया रही है. कई लोग इसे एक तरह का उपचार भी मानते है. ब्रिटेन के कई अख़बारों का मानना है कि ये गीत भले ही ग्रैमी पुरस्कारों के लायक नहीं, लेकिन बख़्तावर को अपनी भावनाओं को ज़ाहिर करने का हक़ है. पाक़िस्तान में कई युवा इसे मातम का एक तरीक़ा मानते हैं. पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पढ़ रहे एक छात्र का मानना है, "इसका फ़ैसला तो उसे ख़ुद ही करना चाहिए. अगर उसे अपनी मां के लिए एक गीत लिखने का मन है, तो इसमें हम क्या कह सकते हैं."

बेनज़ीर भुट्टो की यादतस्वीर: AP

लेकिन पाकिस्तान में ऐसे कई लोग हैं जिन्हें रैप सॉंग का ज़रिया सही नहीं लगता, जैसे यह महाशय: " एक तरफ़ तो वो अपनी मां के न होने से दुखी है, दूसरी तरफ वो गाना गा रही है. इस्लाम के हिसाब से यह गलत है. जन्मदिन पर गाए तो ठीक है लेकिन इस मौके पर उसे क़ुरान पढ़नी चाहिए." बहुत से लोगों का मानना है कि इस्लाम में किसी की मौत पर दुख ज़ाहिर करते वक़्त संगीत के बारे में सोचना धर्म के ख़िलाफ है. लेकिन पाकिस्तान के सरकारी टीवी चैनल पर भी ये गाना चला है. कहते हैं कि यह गीत अमेरिका में पी डिड्डी नाम के किसी रैपर से प्रेरित है.

यातना की अभिव्यक्ति

ये गीत यू ट्यूब नाम की मशहूर वेबसाईट पर भी देखा जा सकता है. गीत के साथ वीडियो में दिखता है बेनज़ीर का हंसता हुआ चेहरा, उनके क़त्ल से बिलकुल पहले की कुछ छवियां और उनकी मौत पर रोने वाले उनके हज़ारों समर्थक. यह तो मानना पड़ेगा कि बख़्तावर ने अपने दुख को एक कलात्मक रूप दिया है, चाहे यह गाना उनके संगीत की बेहतरीन मिसाल न हो. और फ़िर वो संगीत को अपना व्यवसाय भी नहीं बनाना चाहती है. उधर आम लोग सोचते हैं कि वो पाकिस्तान के राष्ट्रपति की बेटी हैं और जो चाहे कर सकती है. लेकिन शायद राष्ट्रपतियों की बेटियों को भी हक़ है कि वे किसी निजी हादसे पर दुख महसूस करें और अपने दुख को आवाज़ दे.

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