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"बेनजीर भुट्टो की गुहार नहीं सुनी"

२२ मई २०११

पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने अपने कत्ल से दो महीने पहले अमेरिका से सुरक्षा का जायजा लेने में मदद मांगी थी. विकीलीक्स ने एक केबल उजागर किया है जिसके मुताबिक अमेरिका ने इस अर्जी को नजरअंदाज कर दिया.

Former Pakistan's Prime Minister Benazir Bhutto, in a photo dated March 2000, in Paris, France. Benazir Bhutto was killed in Rawalpindi on December 27, 2007. Photo: Balkis Press +++(c) dpa - Report+++
तस्वीर: picture-alliance/dpa

विकीलीक्स के ताजा केबल के मुताबिक बेनजीर भुट्टो ने इस्लामाबाद में अमेरिकी राजदूत से कहा था कि उनकी निजी सुरक्षा का जायजा लेने में मदद करें. उन्होंने राजदूत ऐन डबल्यू पैटरसन को लिखित अर्जी दी थी क्योंकि उन्हें जान का खतरा था. इसके दो महीने बाद ही बेनजीर भुट्टो को एक आतंकवादी हमले में कत्ल कर दिया गया.

तस्वीर: AP

सुनी नहीं, समझा दिया

भारतीय समाचार चैनल एनडीटीवी ने विकीलीक्स के इस केबल के बारे में खबर दी है. इसके मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों ने बजाय बेनजीर की बात सुनने के, उन्हें जनरल परवेज मुशर्रफ की सरकार से सहयोग करने को कहा. हालांकि भुट्टो ने सरकार से ही जान का खतरा बताया था.

18 अक्तूबर 2007 को कराची में पाकिस्तान पीपल्स पार्टी की एक रैली में आतंकी हमला हुआ था. इस हमले में 130 लोगों की जान गई. यह रैली आठ साल देश से बाहर बिताकर लौट रहीं भुट्टो के स्वागत में हुई थी. हमले के फौरन बाद पूर्व प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राजदूत को पत्र लिखा.

केबल के मुताबिक भुट्टो ने पत्र में लिखा था कि उन्हें पाकिस्तान सरकार ने जो सुरक्षा दी है, वह भरोसेमंद नहीं है और उनकी जान को गंभीर खतरा है. भुट्टो ने कराची हमले में भी मुशर्रफ सरकार का हाथ होने का संदेह जाहिर किया और हमले की जांच पर भी सवाल उठाए. लेकिन केबल के मुताबिक राजदूत पैटरसन ने भुट्टो की बात को नजरअंदाज कर दिया.

बेनजीर भुट्टो को 27 दिसंबर 2007 को रावलपिंडी में कत्ल कर दिया गया. उसके दो हफ्ते बाद ही देश में आम चुनाव होने थे.

रिपोर्टः पीटीआई/वी कुमार

संपादनः ईशा भाटिया

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