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'बेमिसाल हैं तब्बू'

८ जुलाई २०१३

मधुर भंडारकर अपनी फिल्मों के जरिए यथार्थ को सामने लाने वाले फिल्मकार माने जाते हैं. चांदनी बार, पेज थ्री, फैशन और हीरोइन जैसी जैसी फिल्मों से उन्होंने अलग पहचान बनाई है.

तस्वीर: DW/P. Mani Tewari

नेशनल अवॉर्ड विजेता मधुर भंडारकर अब एक रोमांटिक प्रेम कहानी बनाना चाहते हैं. एक कार्यक्रम के सिलसिले में कोलकाता पहुंचे मधुर ने अपनी फिल्मों, अनुभव और आगे की योजना के बारे में कुछ सवालों के जवाब दिए. पेश हैं बातचीत मुख्य अंश

डॉयचे वेलेः आपने एक यथार्थवादी फिल्मकार के तौर पर अपनी पहचान बनाई है. क्या इसी सिलसिले को आगे भी जारी रखेंगे ?

मधुर भंडारकरः मैं उसी किस्म के सिनेमा से जुड़ा रहना चाहता हूं जिसके तमाम पहलुओं की मुझे जानकारी हो और जो फिल्में परदे के पीछे के तथ्यों को सामने पेश कर सके. चांदनी बार फिल्म बनाने से पहले मैंने 60 से ज्यादा बारों का दौरा किया. मुझे इतनी ज्यादा सामग्री मिली जिनका इस्तेमाल भी नहीं हो सका. इसी तरह पेज थ्री के बाद कई लोगों ने कहा कि उन्होंने ऐसी पार्टियों में शामिल होना बंद कर दिया है. इससे एक फिल्मकार के तौर पर संतुष्टि मिलती है. इसलिए ऐसी फिल्में बनाता रहूंगा.

बांग्ला फिल्मों और फिल्मकारों के प्रति आपका नजरिया कैसा है ?

मैं कला के विभिन्न स्वरूपों में बंगाल के कलाकारों की संवेदनशीलता का प्रशंसक हूं. अपनी अगली फिल्मों के लिए मैं बांग्ला साहित्य का अध्ययन करना चाहता हूं. ऋत्विक घटक जैसे फिल्मकारों की फिल्मों से मैंने काफी प्रेरणा ली है. लेकिन मेरी अगली दोनों फिल्मों का विषय तय हो चुका है. इसलिए उसके बाद ही ऐसा संभव होगा.

हिंदी फिल्म उद्योग में इस समय सीक्वल का दौर चल रहा है. क्या आपका भी चांदनी बार और फैशन का सीक्वल बनाने का इरादा है ?

मैं चांदनी बार का सीक्वल नहीं बनाना चाहता और मेरी राय में फैशन का सीक्वल बन ही नहीं सकता. अगर कोई फिल्म सकारात्मक तरीके से खत्म होकर दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है तो उसी वहीं छोड़ देना चाहिए.

कोलकाता में मधुर भंडारकरतस्वीर: DW/P. Mani Tewari

आपने अब तक के सफर में कई अभिनेत्रियों के साथ काम किया है. उनमें से किसे बेहतर मानते हैं ?

मेरे लिए इन फिल्मों में काम करने वाली सभी अभिनेत्रियां बेहतरीन थीं. तब्बू की प्रतिभा तो बेमिसाल है. उनसे मेरा भावनात्मक जुड़ाव है.

इन दिनों फिल्मों में विभिन्न ब्रांड के प्रमोशन के दौर को आप कैसे देखते हैं ?

अगर इससे फिल्म के कथानक और संदेश पर कोई फर्क नहीं पड़ता तो इसमें कोई बुराई नहीं है. यह ग्लैमर उद्योग है और अगर यह प्रमोशन फिल्म की कहानी के साथ सामंजस्य बिठाता है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. हीरोइन फिल्म के दौरान ऐसे प्रमोशन से ही हमारी आधी लागत वसूल हो गई थी. लेकिन ऐसे प्रमोशन फिल्म पर हावी नहीं होने चाहिए.

भावी योजना क्या है ?

मैं अब एक यथार्थवादी रोमांटिक फिल्म बनाना चाहता हूं. मैं एक सीधी-सादी प्रेम कहानी को संगीत के ताने-बाने में गूंथना चाहता हूं. मैंने अब तक ऐसी कोई फिल्म नहीं बनाई है. इसलिए यह काम मेरे लिए बेहद चुनौती भरा होगा. लेकिन अभी इसका स्वरूप तय नहीं है. फिलहाल मैं अपनी दो अगली फिल्मों के पटकथा में व्यस्त हूं.

आप अगर फिल्म निर्देशक नहीं होते तो क्या करते ?

अगर मैं निर्देशक नहीं होता तो फिल्म पत्रकार बना होता. मैं हर जगह काफी लोगों से मिलता-जुलता और बात करता हूं. इसके अलावा यात्राएं भी काफी करता हूं.

इंटरव्यूः प्रभाकर, कोलकाता
संपादनः आभा मोंढे


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