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बेलारूस पर ईयू की आपात बैठक, क्या क्या दांव पर लगा है

१८ अगस्त २०२०

बेलारूस में जारी सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच यूरोपीय संघ ने इस मुद्दे पर आपात बैठक बुलाई है. बैठक में चर्चा होगी कि इस संकट पर क्या रुख अपनाया जाएगा.

Weißrussland | Opposition | Friedensmarsch in Gomel
तस्वीर: picture-alliance/dpa/V. Drachev

यूरोपीय संघ आम तौर पर विदेश नीति से जुड़े विषयों पर आपात शिखर बैठक नहीं बुलाता है. लेकिन सोमवार को यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने कहा कि बुधवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए इस मुद्दे पर आपात बैठक होगी. पिछले हफ्ते ब्रसेल्स में यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों की बैठक में बेलारूस के पड़ोसी पोलैंड और चेक रिपब्लिक ने इस मुद्दे पर आपात शिखर वार्ता बुलाने की अपील की थी.  

बेलारूस में हालिया चुनावों में राष्ट्रपति अलेक्जांडर लुकाशेंकों के लगातार छठी बार चुने जाने के बाद से ही वहां सरकार विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं. प्रदर्शनकारी चुनावों में धांधली का आरोप लगा रहे हैं और नए सिरे से चुनाव कराना चाहते हैं. चार्ल्स मिशेल ने ट्वीटर पर लिखा, "बेलारूस के लोगों को अपना भविष्य और स्वतंत्र रूप से अपना नेता चुनने का हक है." उन्होंने यह भी कहा, "प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा अस्वीकार्य है और इसकी इजाजत नहीं दी जाएगी."

सोमवार को जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर और फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग के लिए बेलारूस की सरकार की आलोचना की. श्टाइनमायर ने कहा कि वह उन लोगों के साहस की सराहना करते हैं जो शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतरे हैं. उन्होंने कहा, "मैं राष्ट्रपति लुकाशेंको से अपील करता हूं कि वे हिंसा की बजाय संवाद का रास्ता चुनें." उन्होंने कहा कि बेलारूस की सेना को अपने ही लोगों पर हिंसा नहीं करनी चाहिए.

वहीं भूमध्यीय सागर के तट पर छुट्टी मना रहे फ्रांस के राष्ट्रपति माक्रों ने कहा कि यूरोपीय संघ को "अपने अधिकारों, आजादी और संप्रभुता के लिए शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे बेलारूस के लाखों लोगों के लिए" खड़ा होना चाहिए.

विवादित चुनाव

यूरोपीय संघ ने बेलारूस के हालिया चुनावों को मान्यता नहीं दी है जिनमें लुकाशेंको को 80 प्रतिशत मत मिले. विपक्षी उम्मीदवारों और प्रदर्शनकारियों का कहना है कि चुनावों में धांधली की गई. 9 अगस्त को हुए चुनावों के बाद से पड़ोसी लिथुआनिया में रह रहीं लुकाशेंको की निकटतम प्रतिद्वंद्वी स्वेतलाना तिखानोव्स्काया ने कहा है कि वह देश का नेतृत्व करने को तैयार हैं.

प्रदर्शनकारी नए सिरे से चुनाव चाहते हैंतस्वीर: picture-alliance/AP Photo/D. Lovetsky

जर्मनी इस समय यूरोपीय परिषद का अध्यक्ष है और वह मौजूदा संकट में मध्यस्थता करने की कोशिश कर रहा है. जर्मन सरकार के प्रवक्ता श्टेफान जाइबर्ट का कहना है कि जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने वीकेंड पर इस मुद्दे पर अपने यूरोपीय साझीदारों से बात की है.

लुकाशेंको बीते 26 साल से बेलारूस की सत्ता में हैं. हालांकि अभी तक यूरोपीय संघ ने स्पष्ट रूप से लुकाशेंको से पद छोड़ने को नहीं कहा है, लेकिन बुधवार को हो रही बैठक से तय होगा कि इस संकट पर यूरोपीय संघ का क्या रुख होगा. हालांकि हंगरी की सरकार के लुकाशेंको के साथ अच्छे संबंध हैं. इसलिए बैठक में हंगरी का क्या रुख होगा, यह देखने वाली बात होगी. पिछले हफ्ते भी हंगरी के विदेश मंत्री ने बेलारूस के साथ बेहतर संवाद पर जोर दिया था.

दूसरा यूक्रेन नहीं चाहिए

उधर लुकाशेंको ने आरोप लगाया है कि लिथुआनिया, नीदरलैंड्स, पोलैंड और यूक्रेन बेलारूस में प्रदर्शनों को भड़का रहे हैं. नाम ना जाहिर करने की शर्त पर एक यूरोपीय राजनयिक ने कहा, "हमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को ऐसा कोई भी मौका देने से बचना होगा जिससे उन्हें सैन्य रूप से हस्तक्षेप करने का बहाना मिले. हमें दूसरा यूक्रेन नहीं चाहिए."

उधर, सोमवार को बेलारूस की सेना ने अपनी पश्चिमी सीमा पर सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया. राष्ट्रपति लुकाशेंको ने आरोप लगाया है कि नाटो बेलारूस को डराने के लिए पोलैंड, लिथुआनिया और लातविया में अपनी सैन्य तैनाती बढ़ा रहा है. हालांकि नाटो ने इस आरोप को खारिज किया है. नाटो के महासचिव येंस स्टोल्टेनबर्ग ने कहा, "नाटो से बेलारूस को कोई खतरा नहीं है और क्षेत्र में कोई तैनाती नहीं हो रही है." लेकिन उन्होंने यह भी कहा, "हम सावधान हैं, रक्षा के लिए तैयार हैं और नाटो सदस्यों के खिलाफ होने वाली किसी भी आक्रामकता से निटपने के लिए तैयार हैं."

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