बेलारूस में चुनावों के बाद 3000 से ज्यादा लोग गिरफ्तार
१० अगस्त २०२०विपक्ष ने मतदान समाप्त होने के बाद औपचारिक नतीजों का इंतजार नहीं किया. एक्जिट पोल में लुकाशेंको को विजेता घोषित किए जाने के बाद हजारों लोग विरोध में सड़कों पर उतर आए. पुलिस ने देश के प्रमुख शहरों में हुए विरोध प्रदर्शनों को सख्ती से दबा दिया. प्रदर्शनकारियों की भीड़ को तितर बितर करने के लिए पुलिस ने स्टन ग्रेनेड और रबर बुलेट का इस्तेमाल किया. नागरिक अधिकार समूह स्प्रिंग 96 के एक प्रतिनिधि के अनुसार प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुए संघर्ष में पुलिस वैन से दबकर एक व्यक्ति की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हुए हैं. विपक्षी मीडिया द्वारा जारी वीडियो में पुलिस को स्टन ग्रेनेड और रबर बुलेट चलाते देखा जा सकता है. खून से लथपथ प्रदर्शनकारी या तो जमीन पर बेजान पड़े हैं या पुलिस उन्हें घसीट कर ले जा रही है.
पुलिस ने कहा है कि विरोध प्रदर्शनों के बाद देश भर में करीब 3000 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. गृह मंत्रालय ने कुछ लोगों पर पुलिस के साथ झड़प को उकसाने का आरोप लगाया है. गृह मंत्रालय ने कहा है कि 1000 गिरफ्तारियां राजधानी मिंस्क में हुई हैं जबकि बाकी लोगों को देश के दूसरे हिस्सों में गिरफ्तार किया गया है. एक बयान में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों ने आगजनी की, रोड पर बाधाएं खड़ी की और पुलिस पर सामान फेंके. बयान के अनुसार राजधानी में हुई हिंसा में पांच आम लोग और 39 पुलिसकर्मी घायल हुए. गृह मंत्रालय ने किसी के भी मारे जाने की खबर से इंकार किया है.
चुनाव नतीजे मानने से इंकार
चुनाव आयोग की प्रमुख लिडिया येर्मोशीना ने सोमवार को आरंभिक नतीजों की घोषणा में कहा कि लुकाशेंको को 80.23 फीसदी वोट मिले हैं जबकि विपक्षी उम्मीदवार स्वेतलाना तिखानोव्स्काया को 9.9 फीसदी वोट मिले. 37 वर्षीया होममेकर और राजनीति में पहली बार पैर रखने वाली विपक्षी नेता स्वेतलाना तिखानोव्स्काया ने सरकारी चुनाव नतीजों को मानने से इंकार कर दिया. उन्होंने मिंस्क में पत्रकारों से कहा कि वे खुद को चुनाव का विजेता मानती हैं. उन्होंने कहा, "कल मतदाताओं ने अपना विकल्प चुना है. अधिकारियों ने हमारी नहीं सुनी, उन्होंने लोगों से नाता तोड़ लिया है." आरोप लगाया कि चुनाव में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है. विपक्ष ने सत्ता के शांतिपूर्ण परिवर्तन के लिए अधिकारियों से बातचीत की पेशकश भी की है. तिखानोव्स्काया ने कहा, "अधिकारियों को अब इसके बारे में सोचना चाहिए कि हमें किस तरह सत्ता शांतिपूर्ण तरीके से सौंप दी जाए."
पहले अंग्रेजी की टीचर रही स्वेतलाना तिखोनोव्स्काया राजनीति में नई हैं और लोग चुनाव से पहले उन्हें नहीं जानते थे. उनके पति सरकार विरोधी ब्लॉगर हैं और वे चुनावों में लुकाशेंको के खिलाफ लड़ना चाहते थे. उन्हें जेल भेजे जाने के बाद तिखोनोव्स्काया चुनावी मैदान में उतरीं. चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने न सिर्फ विपक्ष को साथ आने के लिए प्रेरित किया बल्कि मतदाताओं को भी झकझोर दिया. उनकी रैलियों में 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद पहली बार बड़े पैमाने पर लोग शामिल हुए. विदेशी पर्यवेक्षकों का कहना है कि बेलारूस में 1995 के बाद से ही कभी भी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं हुए हैं.
लुकाशेंको का सोवियत अतीत
सोवियत काल में एक फार्म के मैनेजर रहे अलेक्जांडर लुकाशेंको बेलारूस में 1994 से लगातार सत्ता में हैं, लेकिन अपने 26 साल के शासनकाल में पहली बार सत्ता पर पकड़ बनाए रखने में चुनौती का सामना कर रहे हैं. पिछले दशकों में उन्होंने खुद को देश में स्थिरता की गारंटी देने वाले नेता की छवि बनाई है लेकिन कोरोना महामारी के दौर में महामारी से निबटने, अर्थव्यवस्था को पटरी पर बनाए रखने और मानवाधिकारों को लेकर उनकी आलोचना में इजाफा हुआ है.
अब चुनावों में औपचारिक जीत के बाद लुकाशेंको लगातार छठी बार देश के शीर्ष पर होंगे, लेकिन विरोध प्रदर्शनों के सख्त दमन से बाद पश्चिमी देशों के साथ संबंधों को सुधारने के उनके प्रयासों को धक्का लगेगा. इस समय व्लादिमीर पुतिन का रूस बेलारूस का सबसे निकट सहयोगी है लेकिन उसका ये परंपरागत सहयोगी लुकाशेंको पर आर्थिक और राजनीतिक संबंधों की नजदीकी के लिए दबाव डाल रहा है.
यूरोपीय संघ की प्रतिक्रिया
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिंनपिंग ने लुकाशेंको की जीत की घोषणा के तुरंत बाद उन्हें बधाई दी, लेकिन यूरोपीय संघ के सदस्य पोलैंड ने बेलारूस में हुई हिंसा पर संघ की बैठक बुलाने की मांग की है. पोलैंड के प्रधानमंत्री मातेउस मोरावित्स्की ने कहा, "अधिकारियों ने बदलाव की मांग करने वाले नागरिकों के खिलाफ बल का प्रयोग किया. हमें बेलारूस के नागरिकों को आजादी की उनकी चाह में समर्थन करना चाहिए." जर्मन सरकार के प्रवक्ता ने कहा है कि बेलारूस के चुनावों में न्यूनतम स्तर का पालन नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ में इस समय इस बात पर चर्चा हो रही है कि चुनाव नतीजों पर क्या प्रतिक्रिया की जाए.
मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बेलारूस में चुनाव से पहले 1300 लोगों को हिरासत में ले लिया गया था. उनमें तिखोनोव्स्काया की चुनावी टीम के सदस्यों के अलावा स्वतंत्र चुनावी पर्यवेक्षक भी शामिल थे.
रिपोर्ट: महेश झा (रॉयटर्स, डीपीए)
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