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हाइड्रोजन से बसें चलाने की तैयारी

१ मार्च २०१९

साफ ईंधन की खोज वैज्ञानिकों को डीजल, पेट्रोल, सीएनजी के बाद अब हाइड्रोजन तक ले आई है. हालांकि हाइड्रोजन से चलने वाली बस डिजायन करना आसान नहीं लेकिन वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को इसमें कामयाबी मिली है.

Toyota Mirai Brennstoffzellenauto
तस्वीर: Toyota

बेल्जियम के सार्वजनिक परिवहन में हाइड्रोजन से चलने वाली बसें शामिल करने की तैयारी हो रही है. वैज्ञानिक, उद्योग जगत और इंजीनियरों की मिली जुली मेहनत का नतीजा दिखने लगा है. इसके लिए किया गया उनका परीक्षण काफी हद तक सफल रहा है.

हाइड्रोजन के दो अणु ऑक्सीजन के एक अणु से मिल कर पीने का पानी बनाते हैं. इसी पानी से हाइड्रोजन को अलग कर के उससे ऊर्जा हासिल की जाती है. हाइड्रोजन से ऊर्जा हासिल करने के लिए इसे ऑक्सीजन से अलग करना एक बड़ी और खर्चीली कवायद है, जिसे वैज्ञानिकों ने दशकों की मेहनत के बाद कुछ हद तक कम करने में सफलता पाई है.

बसों को हाइड्रोजन से चलाने के लिए जरूरी है फ्यूल सेल, यानी इसे ऊर्जा देने वाली बैटरी और इसे बनाने में वैज्ञानिकों को खासी मशक्कत करनी पड़ी है. बेल्जियम के एंटवर्प शहर में इसका प्रोटोटाइप चलाया जा रहा है. प्रोजेक्ट मैनेजर पाउल येने ने बताया कि यह बस कैसे काम करेगी, "इसका मुख्य गुण तो यही है कि ये बसें हाइब्रिड फ्यूल सेल वाली हैं. हाइब्रिड का मतलब है कि बस को खींचने वाली ऊर्जा दो स्रोतों से आएगी. एक है फ्यूल सेल जो सीधे इलेक्ट्रिक मोटर को बिजली मुहैया कराती है, और दूसरी बैटरियों से. इन दोनों को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से नियंत्रित किया जाता है. जिससे कि ऊर्जा का भरपूर इस्तेमाल हो."

फाइलतस्वीर: picture-alliance/dpa/Kyodo

इन बसों को ईंधन मुहैया कराने के लिए बैटरी के साथ ही खास स्टेशनों की भी जरूरत होगी, जहां से उन्हें ईंधन मिलेगा. बसों में लगे हाइड्रोजन की टैंक को भरने में करीब 11 मिनट लगते हैं लेकिन यह समय बाहरी मौसम पर भी निर्भर करता है. हाइड्रोजन के फिलिंग स्टेशन के सुरक्षा मानक भी पेट्रोल पंप जैसे ही हैं. सिविल केमिकल इंजीनियर सबरीन थाबेर्ट ने बताया, "इस तरह का रिफ्यूलिंग स्टेशन बनाना एक चुनौती थी. हम ऐसा स्टेशन बनाना चाहते थे जिसे ऐसी किसी भी जगह बनाया जा सके जहां हाइड्रोजन उपलब्ध हो. इसके साथ ही हमें यह भी तय करना था कि सुरक्षा मानकों का सम्मान हो. सिस्टम ऐसा चाहिए था जिसकी निगरानी दूर रह कर भी की जा सके."

एक हाइड्रोजन बस की कीमत में डीजल से चलने वाली छह आम बसें खरीदी जा सकती हैं. इतना ही नहीं इन बसों का रखरखाव भी खर्चीला है. हालांकि शहर के बस ऑपरेटर इस नई बस पर निवेश करने के लिए तैयार हैं, लेकिन उन्होंने कुछ शर्तें जरूर रखी हैं.

बेल्जियम की बस कंपनी डे लियन के सीईओ रोजर केस्टेलूट कहते हैं, "अभी हम प्रायोगिक दौर में हैं, आर्थिक लिहाज से भी. लेकिन हमें उम्मीद है कि कीमतें नीचे जाएंगी. इसी कारण से हमारे काफिले में हाइड्रोजन बसों को शामिल करने की संभावना है."

रिसर्चर भी चाहते हैं कि हाइड्रोजन बस से जुड़ी रिसर्च में पैसा लगाया जाए अगर ऐसा हुआ तो हाइड्रोजन बसें सड़कों पर दौड़ने लगेंगी. शहरों में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के साथ ही जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम साबित हो सकता है.

एनआर/आरपी

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