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बेल के लिए जेल का सहारा

११ अगस्त २०१४

न्यूयॉर्क के उस होटल में एक रात का किराया 18 लाख रुपये है लेकिन उसका मालिक जेल में बंद है. सुब्रत रॉय सहारा अपनी रिहाई के लिए इसी जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंस कर रहे हैं, ताकि कोई उनका होटल खरीद ले और उन्हें पैसे मिलें.

Subrata Roj indischer Geschäftsmann
तस्वीर: Agentur MIA

पांच महीने जेल में रहने के बाद सहारा अपने न्यूयॉर्क प्लाजा और लंदन के ग्रोसवेनर हाउस को बेचना चाह रहे हैं. इसके अलावा वह एक और न्यूयॉर्क होटल की भी बोली लगवाना चाहते हैं, ताकि वह 1.6 अरब डॉलर की रकम जमा कर सकें. अरबों के इस मुचलके के बाद ही वह जेल से बाहर आ सकते हैं. वह फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल के 12,000 कैदियों में से एक हैं.

इस जेल के मुख्यालय से करीब एक मिनट पैदल चल कर 600 वर्गमीटर के कमरे में पहुंचा जा सकता है, जहां से वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर सकते हैं और अतिथियों से मुलाकात भी हो सकती है. जेल अधिकारियों का कहना है कि वे अपने होटलों को बेचना या उन्हें गिरवी रखना चाहते हैं, "वे लोग खुश हैं. वे जान पहचान के लोगों से दिन भर बात कर सकते हैं. इस व्यवस्था से वह काफी खुश हैं." इसके बाद सुब्रत रॉय ने भी कहा, "हमारा काम हो जाएगा."

न्यूयॉर्क में सहारा के दो होटलतस्वीर: AFP/Getty Images

इस कमरे में रिपोर्टर का दाखिला नहीं हो सका क्योंकि उस वक्त रॉय खुद वहां थे और जेल के कैदियों से बिना पूर्व अनुमति के नहीं मिला जा सकता है. तीन गार्ड वहां गेट के बाहर खड़े थे, जिसमें ताला नहीं था. एक गार्ड छत पर तैनात था. एक और आस पास चहलकदमी कर रहा था.

सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें पैसे जुटाने के लिए जो मीयाद दी है, वह खत्म होती जा रही है. उन्हें 100 अरब रुपये नकद और बैंक गारंटी के रूप में जमा कराने हैं. इसके बाद उनकी रिहाई हो पाएगी. इससे ज्यादा का बॉन्ड दुनिया में सिर्फ एक बार निर्धारित किया गया है. अमेरिका के टेक्सास के जज ने एक रईस भगोड़े से रिहाई के लिए तीन अरब डॉलर की राशि चुकाने को कहा था, हालांकि बात साढ़े चार लाख में ही बन गई थी.

अदालत की अवमानना करने के आरोप में मार्च में रॉय को गिरफ्तार किया गया. उन पर निवेशकों के पैसे नहीं चुकाने के आरोप हैं. हालांकि अभी उनके खिलाफ चार्जशीट नहीं दायर की गई है. सहारा ग्रुप के पास अरबों की संपत्ति है, हाउसिंग एस्टेट हैं और उनका पैसा फॉर्मूला वन के अलावा भारतीय राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में भी लगा है. भारत की क्रिकेट टीम को सहारा ही स्पांसर करता है.

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उनकी एक संपत्ति तेजी से पैसे जुटा सकती है- वह है न्यूयॉर्क प्लाजा होटल. सेंट्रल पार्क के पास बना 107 साल पुराना होटल कीमती झाड़ फानूसों से सजा है. होटल में 282 कमरे हैं और चौबीसों घंटे बटलर आदेश का इंतजार करते हैं. हर कमरे में आईपैड सुविधा है, जिससे रेस्तरां बुक किया जा सकता है या जागने के लिए अलार्म लगाया सकता है.

इसमें 4490 वर्गमीटर का एक रॉयल सूट है, जिसमें तीन बेडरूम हैं. 12 लोगों के खाने के लिए विशाल डाइनिंग रूम, एक रसोई, एक जिम, एक विशाल पियानो और लाइब्रेरी भी है. इसके एक रात का किराया 30,000 डॉलर (करीब 18 लाख रुपये) है.

सहारा ने 2012 में यह होटल 57 करोड़ डॉलर में खरीदा था. दो साल पहले उन्होंने लंदन के हाइड पार्क के पास के ग्रोसवेनर हाउस के लिए 47 करोड़ पाउंड अदा किए. लंदन के इस होटल में 494 कमरे हैं और बखिंघम पैलेस के पास है. 1929 के इस होटल में एक विशाल कमरा है, जिसमें 2000 मेहमान बुलाए जा सकते हैं. इन दोनों के अलावा सहारा न्यूयॉर्क के ड्रीम होटल को भी बेचना चाह रहे हैं, जो मैनहैटन इलाके में है.

फॉर्मूला वन में भी सहारा की हिस्सेदारीतस्वीर: picture-alliance/dpa

तिहाड़ में उन्हें जो कमरा दिया गया है, उसमें बड़ा सा बिजनेस टेबल लगाया गया है, कुर्सियां हैं. यहां वाई फाई और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा है. रॉय को अपने दो सहयोगियों के साथ पास के कमरे में सोना पड़ता है और उनका खाना जेल की कैंटीन से आता है. उनके लिए अलग से टॉयलेट नहीं है. इस पूरे इलाके पर हर क्षण वीडियो कैमरों से नजर रखी जाती है.

लोगों को सुबह छह बजे से रात 8 बजे तक आने की अनुमति है. पिछले हफ्ते एक दिन चार पांच लोग रॉय से मिलने जेल के इस हिस्से में पहुंचे. स्थानीय मीडिया का कहना है कि ये लोग सौदे के सिलसिले में मिले हैं. एक सूत्र ने जानकारी दी, "अब तक अच्छा रिस्पॉन्स मिला है. मध्य पूर्व के कुछ निवेशकों और दूसरी जगहों के लोगों ने बात की है."

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने रॉय को पांच अगस्त को 10 दिनों तक का वक्त दिया है. लेकिन हो सकता है कि यह समय पूरा न पड़े और रॉय कुछ और वक्त की मांग करें. सूत्र का कहना है, "सभी तरह की बातचीत के पूरा होने में समय लगेगा और उसके बाद डील भी की जाएगी. फिर उस पर साइन होंगे. वह आपाधापी में किसी तरह जायदाद नहीं बेच सकते."

उद्योग जगत का कहना है कि सौदा चाहे जेल के अंदर से ही क्यों न किया जा रहा हो, लोगों की इसमें दिलचस्पी होगी.

एजेए/ओएसजे (रॉयटर्स)

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