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बेहतर तो हैं ही महिलाएं

८ सितम्बर २०१०

पुरुष किस मामले में महिलाओं से बेहतर होते हैं, इसका अध्ययन नहीं होता. यह तो पता होता है, क्योंकि अध्ययन करने वालों में पुरुषों का बहुमत होता है. उन्होंने एक अध्ययन के जरिये पता लगाया है कि किन मामलों में महिलाएं बेहतर है

तस्वीर: picture alliance/Beyond

पता चला है कि भाषा के मामले में वे तेज होती हैं. नहीं, इसका टेलिफोन पर लंबी बातचीत या हर बात पर बहस करने की आदत से नहीं लेना देना है. महिलाओं के दिमाग के इस हिस्से में 11 फीसदी अधिक न्यूरॉन होते हैं, कनाडा की शोधकर्ता सांद्रा विटेलसोन का कहना है.

शेयर बाजार का मामला मर्दों का है, बहुतेरे लोग कहेंगे. लेकिन कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि महिलाएं जो शेयर खरीदती हैं, उनका भाव पुरुषों के खरीदे शेयरों के मुकाबले 1.4 फीसदी अधिक चढ़ता रहा है. वे जोखिम कम उठाती हैं, सट्टेबाजी कम करती हैं. सिर्फ शेयर ही नहीं, रंगों को पहचानने के मामले में भी वे पुरुषों से आगे हैं और इसकी वजह वैज्ञानिक है. रंगों को पहचानने में एक्स क्रोमोसोम की जरूरत होती है, जो महिलाओं में दो और पुरुषों में सिर्फ एक होता है. अगर वह इकलौता क्रोमोसोम चूक जाए, फिर पुरुष को तो सावन का अंधा ही समझिए.

सिर्फ फैशन ही नहीं करती हैं वे.तस्वीर: picture-alliance/dpa

यह तो खैर सभी को पता है कि वे पुरुषों के मुकाबले लंबी जिंदगी पाती हैं. बॉस्टन विश्वविद्यालय में किए गए एक अध्ययन के मुताबिक पांच से दस साल तक ज्यादा. मार्के की बात है कि सौ साल से अधिक जीने वालों में 85 फीसदी महिलाएं हैं. लेकिन वे सिर्फ ज्यादा ही नहीं, सुंदर भी जीती हैं. एक सर्वेक्षण के अनुसार खूबसूरत जोड़ों के बेटे कम, बेटियां अधिक होती हैं. जाहिर है कि मां-बाप की वजह से वे भी औसतन अधिक खूबसूरत होती हैं. इस तरह मानव इतिहास के दौर में महिलाएं लगातार खूबसूरत होती गई हैं. इस बात को मानने वाले यह कतई नहीं मानेंगे कि वे गाड़ी चलाने में भी कहीं अधिक माहिर हैं. लेकिन आंकड़े कहते हैं कि महिला चालक दुर्घटनाओं में कम शामिल होती हैं.

तस्वीर: Bilderbox

सारी दुनिया के बारे में कहना तो मुश्किल है, लेकिन जर्मनी की महिलाएं पुरुषों के मुकाबले दो गुना फल और सब्जियां खाती हैं. दूसरी ओर, सिर्फ आधी मात्रा में मांस खाती हैं, शराब भी वे कम पीती हैं. और पुरुष? उनके बारे में पता चला है कि अगर कोई महिला उनके लिए जिम्मेदार हो, तो उनका आहार भी थोड़ा पौष्टिक हो जाता है.

इसका मतलब यह नहीं है कि वे पुरुषों के मुकाबले बेहतर खाना बना सकती हैं. किसी भी अध्ययन में ऐसी बात सामने नहीं आई है. वक्त आ गया है कि मान लिया जाए कि महिलाओं की जगह रसोईघर नहीं है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन: आभा एम

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