जिसे जी-7 के सात प्रमुख औद्योगिक देशों से सात चमत्कारों की उम्मीद थी, उसे निराश होना पड़ा है. डॉयचे वेले के क्रिस्टियान एफ ट्रिप्पे का कहना है कि जिसे कोई भी उम्मीद नहीं थी, उसे नई सीख मिली है.
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पर्यावरण सुरक्षा के मुद्दे पर प्रमुख औद्योगिक देशों ने साझा नीति तय की है. कुछ हद तक उन्होंने वही दुहराया है जो पहले भी तय था. लेकिन इसी सदी में अपने ऊर्जा उद्योग को कार्बन से मुक्त करने का उनका फैसला एक नया पहले से बेहतर लक्ष्य है. इस साल के अंत में जब पेरिस में विश्व पर्यावरण संधि पर चर्चा होगी तो सात बड़े औद्योगिक देशों की पर्यावरण संबंधी इच्छा की परीक्षा होगी.
ये वे वायदे हैं जिन्हें पूरा करना होगा. ये राजनीतिक बदलाव हैं, जिनके बारे में हमें जल्द ही पता चलेगा कि उनके लिए कितना समर्थन है. लेकिन ये कम से कम नतीजे तो हैं ही. विदेश नीति में भी सात देशों ने रूस और पड़ोसी यूक्रेन के खिलाफ उसकी आक्रामक नीति के प्रति स्पष्ट रवैया दिखाया है. इसके साथ यूरोपीय संघ को जून के अंत तक प्रतिबंधों को बढ़ाने का जिम्मा दिया गया है.
एजेंडेपरहावी
यूरोप का इस शिखर सम्मेलन पर पहले के किसी सम्मेलन से ज्यादा दबदबा रहा. भागीदारों को देखने से ही पता चलता है कि पुरानी दुनिया का नजरिया कितना हावी है. 9 भागीदारों में छह यूरोपीय देश के प्रतिनिधि हैं. यहां जी-7 में सुधार की शुरुआत हो सकती है. बहुत से मुद्दों पर भी यूरोपीय असर दिखा. यूरो इलाके में अभी तक अनसुलझा कर्ज संकट, ग्रीस संकट, पूर्वी यूक्रेन का विवाद, मध्य पूर्व में सरकारों के विघटन के कारण भूमध्यसागर में शरणार्थी संकट और अफ्रीका में गृहयुद्ध. भूराजनैतिक कारणों से अमेरिका, कनाडा और जापान की इसमें दिलचस्पी जरूर है लेकिन यूरोपीय शरणार्थी समस्या से उनका ज्यादा लेना देना नहीं है.
यूरोपीय नजरिए से शिखर सम्मेलन बेकार नहीं रहा है. यह बात अब सात बड़े देशों को भी पता चल गई होगी कि सब कुछ सस्ते में और छोटे में हो सकता है. ओलंपिक और विश्व कप जैसे दूसरे बड़े आयोजनों की ही तरह इस बार भी इसके बारे में सवाल पूछा जा रहा है. डाउनसाइजिंग के मामले में जी-7 मिसाल कायम कर सकता है. तब वे भी प्रभावित होंगे जिन्हें सम्मेलन में क्या होगा उसके बारे में सब कुछ पता होता है.
जी-7: विश्व इतिहास के ठिकाने
बवेरिया में एलमाउ को जी-7 के मेजबान धरती पर स्वर्ग बता रहे हैं. प्रमुख औद्योगिक देशों को हमेशा से पता था कि सुंदर जगहों पर बैठक करने का अपना मजा होता है. लेकिन अक्सर शिखर सम्मेलन ने ही रमणीय इलाकों की शांति तोड़ी.
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रांबुए का किला
शुरुआत इतनी मधुर थी. 1975 में उस समय छह देशों के नेता फ्रांस के रांबुए किले में बातचीत के लिए मिले. 14वीं सदी में बने फ्रांसीसी राष्ट्रपति के ग्रीष्मकालीन निवास ने उस समय के बड़े मुद्दों पर बात करने और तेल संकट से निबटने के रास्ते ढूंढने का मौका दिया.
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सान खुआन
दूसरे शिखर सम्मेलन में ही प्रमुख औद्योगिक देशों की संख्या सात हो गई थी. अमेरिका, जर्मनी, इटली, फ्रांस, जापान. ब्रिटेन और कनाडा के नेता अमेरिका के बाहरी इलाके कैरिबियाई द्वीप सान खुआन में मिले. जहां दूसरे लोग छुट्टी बिताते हैं वहां विश्व के नेता काम कर रहे थे.
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कला के शहर में
1980 के दशक में शिखर सम्मेलन बड़े लेकिन सुंदर शहरों में आयोजित किए गए. 1980 और 1987 में इटली का वेनिस जी-7 का मेजबान था. 1980 की गर्मियों में जर्मन चांसलर हेल्मुट श्मिट ने शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया था और मौसम के हिसाब से हल्के नीले सूट में वहां पहुंचे थे.
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आयोजन की खुशी
1980 के दशक में शिखर सम्मेलन के दूसरे मेजबानों में लंदन, टोक्यो और बॉन शामिल थे. 1985 में बॉन में हुए शिखर सम्मेलन में रोनाल्ड रीगन और मार्गरेट थैचर भी थे. जर्मनी की ओर से मेजबान थे हेल्मुट कोल. इन दिनों सम्मेलन के खिलाफ प्रदर्शन नहीं हुआ करते थे.
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शिखर के खिलाफ
1990 और 2000 के दशक में भूमंडलीकरण विरोधियों की नजर शिखर सम्मेलनों पर गई. उन्होंने शिखर सम्मेलन के मुद्दों को प्रभावित करने की कोशिश शुरू की. इसके लिए उन्होंने रैलियों, प्रदर्शनों और सम्मेलन में बाधा डालने का सहारा लिया. इसके लिए हमेशा कानूनी रास्ते नहीं अपनाए गए.
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गेनुआ 2001
2001 में इटली के गेनुआ में हुए शिखर सम्मेलन के दौरान प्रदर्शन में हिंसा भड़क गई. भूमंडलीकरण के विरोधियों और इटली की पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़पों में 23 वर्षीय प्रदर्शनकारी कार्लो जुलियानी मारा गया. यह घटना शिखर सम्मेलनों के इतिहास में अहम मोड़ साबित हुई.
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पहाड़ी पृष्ठभूमि
2002 में शिखर सम्मेलन का आयोजन सुनसान में किया गया. कनाडा के कनानास्किस में रूस सहित जी-8 देशों के नेताओं ने सम्मेलन में हिस्सा लिया. वहां से पूरब में स्थित कैलगरी में भूमंडलीकरण विरोधियों के प्रदर्शन जरूर हुए लेकिन सब कुछ शांति से हुआ.
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समांतर सभा
शिखर सम्मेलन तो शांति से होने लगा लेकिन लोगों में यह भावना पैदा हुई कि विश्व नेता आम लोगों से किनारा कर रहे हैं. फिर उन्हें प्रभावित कैसे किया जाए? रॉकस्टार बॉब गेल्डॉफ ने 2005 में लाइव8 कंसर्ट का आयोजन किया और अफ्रीकी देशों का कर्ज माफ करने की मांग की.
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मौलिक अधिकारों पर हमला
लेकिन यह कंसर्ट नेताओं और जनता के बीच बढ़ती दूरी को रोक नहीं पाया. 2007 में जी-8 शिखऱ सम्मेलन के कारण जर्मनी के लोकप्रिय रिजॉर्ट शहर हाइलिगेनडाम को हफ्तों तक नो गो एरिया बना दिया गया. सवा करोड़ यूरो के खर्च पर सम्मेलन भवन के चारों ओर 12 किलोमीटर लंबी बाड़ लगा दी गई.
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छवि परिवर्तन
शिखर सम्मेलन की छवि बेहतर बनाने के लिए लोगों में उसकी दिलचस्पी का फायदा उठाना 2009 में जी-8 का मकसद था. इसलिए सम्मेलन को सारडीन से हटाकर लाकिला ले जाया गया जो कुछ ही समय पहले भयानक भूकंप का शिकार हुआ था. संदेश था भूकंप पीड़ितों को भूलो नहीं.
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भारी सुरक्षा
शिखर सम्मेलन स्थल भविष्य में भी भारी सुरक्षा वाले इलाके बने रहेंगे, इस साल भी. यहां एलमाउ के निकट पुलिस एक पहाड़ी चोटी को सुरक्षित कर रही है ताकि पहाड़ चढ़कर आने वाले आंदोलनकारियों और आतंकवादियों को राजनीतिज्ञों से दूर रखा जा सके. कम से कम 2,300 मीटर की दूरी पर.
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विरोध जारी
जहां विश्वनेताओं के मिलने की जगह की नाकेबंदी रहेगी, वहां प्रदर्शन कहीं और होंगे. इसलिए 2015 में भूमंडलीकरण के विरोधी एलमाउ के करीब स्थित गार्मिश पार्टेनकिर्षेन में प्रदर्शन कर रहे हैं. विंटर गेम्स का शहर प्रदर्शनकारियों का मक्का बन गया है.