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क्या रंग लाएगी मैर्केल और ट्रंप की मुलाकात

१३ मार्च २०१७

मंगलवार को वॉशिंगटन में एक दूसरे से बेहद अलग सोच रखने वाले दो शक्तिशाली नेताओं जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की मुलाकात से क्या पश्चिमी देशों की राजनीति में कुछ बदल सकता है. जानिए..

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Knappe & Reuters/K. Lamarque

मैर्केल संयमित और सावधान हैं, पूर्वी जर्मनी से आने वाली एक भौतिकशास्त्री रही हैं जो अपने फैसले लेने में समय लेती हैं और यूरोप की सबसे शक्तिशाली नेता होने के बावजूद कभी इस पोजीशन का आनंद लेती नहीं दिखतीं. दूसरी ओर, न्यूयॉर्क के एक अमीर रियल एस्टेट मैग्नेट, रिएलिटी टीवी स्टार रहे ट्रंप लोकलुभावन व्यक्तित्व के मालिक, जो कभी हर मुद्दे पर अपनी राय रखते हैं, लोगों का ध्यान खींचने की हर संभव कोशिश करते हैं और पद का खुमार हर वक्त जिनके सिर चढ़कर बोलता है. एक दूसरे से लगभग विपरीत व्यक्तित्व और विचार वाले ऐेसे दो नेताओं जर्मन चांसलर मैर्केल और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की मुलाकात और बातचीत पर मंगलवार को सबका ध्यान लगा होगा. 

बीते कुछ महीनों में ये दोनों नेता नीतियों और मूल्यों को लेकर अपना बिल्कुल अलग रुख रखते नजर आये हैं. मंगलवार को जब ये पहली बार आमने सामने होंगे तो ट्रांसएटलांटिक संधि के भविष्य का भी अंदाजा लगेगा. दूसरे विश्व युद्ध के बाद से इस साझेदारी ने विश्व क्रम को बरकरार रखने में अहम भूमिका निभायी है. राष्ट्रपति ट्रंप 'ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप' (TTP) को पहले ही रद्द कर चुके हैं और इसके यूरोपीय तुल्य 'ट्रांसएटलांटिक ट्रेड एंड इनवेस्टमेंट पार्टनरशिप' (TTIP) को खत्म करना चाहते हैं.

जर्मन अधिकारियों ने बताया कि मैर्केल ने ट्रंप से मुलाकात की काफी अच्छी तैयारी कर रखी है. उन्होंने ना केवल ट्रंप के हाल के कई भाषण देखे, बल्कि 1990 में प्लेबॉय पत्रिका को दिया वो लंबा इंटरव्यू भी देखा जिसमें ट्रंप ने ऐसे कई विवास्पद आइडियाज दिए थे, जिन्हें आज वे राष्ट्रपति के तौर पर अमली जामा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.

यूरोपीय नीतियों पर पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सदस्य के तौर पर सलाह देने वाले चार्ल्स कुपचान बताते हैं, "मुझे नहीं लगता कि वे बड़े अच्छे दोस्त बन जाने वाले हैं. इनके व्यक्तित्व बहुत अलग हैं...लेकिन मुझे लगता है कि उनके कई ऐसे राजनीतिक और रणनीतिक हित हैं, जिनके लिए उन्हें साथ काम करना सीखना होगा."

ट्रंप जर्मनी में हजारों शरणार्थियों को प्रवेश करने की अनुमति देने के मैर्केल के फैसले को एक "विनाशकारी भूल" बता चुके हैं. उन्होंने अमेरिका में आयात की जाने वाली जर्मन कारों पर शुल्क लगाये जाने की बात भी कही है. वे जर्मनी की इस बात के लिए निंदा कर चुके हैं कि वे रक्षा पर ज्यादा खर्च नहीं करते.

इसके अलावा जर्मनी का अमेरिका के साथ 50 अरब यूरो का ट्रेड सरप्लस होना भी एक मुद्दा है. ट्रंप के सलाहकार पीटर नवारो ने जर्मनी पर कमजोर यूरो के कारण कई अनुचित व्यापारिक लाभ पाने का आरोप लगाया था. मैर्केल और उनके मंत्रियों ने इसका उत्तर देते हुए साफ किया था कि यूरोप की मुद्रा यूरो का मूल्य तय करना जर्मनी के नहीं बल्कि यूरोपीय सेंट्रल बैंक के हाथ में है.

मैर्केल भी मुस्लिम देशों के नागरिकों की अमेरिका यात्रा पर रोक लगाने के ट्रंप के फैसले की आलोचक रही हैं. जनवरी में फोन पर बातचीत में उन्होंने ट्रंप को उस जिनेवा कन्वेंशन की याद दिलायी थी जिस पर अमेरिका ने भी हस्ताक्षर किये हैं. जेनेवा समझौते में सभी सदस्य देशों के लिए युद्ध से प्रभावित लोगों को मानवीय आधार पर शरण देना अनिवार्य बनाया गया था. मैर्केल को ब्रेक्जिट की तारीफ करने वाले ट्रंप के बयान भी पसंद नहीं आए थे.

किसी यूरोपीय देश की सबसे लंबे समय तक प्रमुख रहने वाली मैर्केल के सामने ट्रंप अमेरिका के तीसरे राष्ट्रपति बने हैं. जॉर्ज डब्ल्यू बुश के साथ उनकी अच्छी बनी और फिर ओबामा के साथ भी. इसी साल सितंबर में जर्मनी में आम चुनाव होने हैं. और इस समय मैर्केल एक बहुत ही नाजुक संतुलन बनाने की कोशिश करेंगी. उन्हें ट्रंप के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग के रास्ते जरूर तलाशने होंगे लेकिन वे उनसे ज्यादा अच्छी दोस्ती भी नहीं गांठ सकतीं. क्योंकि इससे घरेलू स्तर पर उनके विरोधियों को अवसर मिल जाएगा. ऐसे विरोधाभासों के कारण ही ट्रंप-मैर्केल मुलाकात वाकई बहुत दिलचस्प बन गयी है. 

आरपी/एके (रॉयटर्स)

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