सीरिया की सेना ने ऐतिहासिक पालमिरा शहर को इस्लामिक स्टेट के कब्जे से छुड़ा लिया है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र के एक विशेषज्ञ का मानना है कि बुरी तरह तबाह हो चुके इस शहर के स्मारकों का फिर से दुरूस्त करना बेहद मुश्किल है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Al Mounes
विज्ञापन
संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक शाखा के एक सीरियाई विशेषज्ञ का कहना है कि उन्हें 'बेहद शक' है कि आईएस के कब्जे के दौरान तबाह हुए पालमिरा शहर के पुरातन स्मारकों की फिर से मरम्मत की जा सकेगी. एनी सार्त्र फॉरियाट यूनेस्को की ओर से 2013 में सीरिया की ऐतिहासिक विरासत के लिए गठित विशेषज्ञों के एक समूह की सदस्य हैं. उनका कहना है, ''हर कोई इस बात को लेकर काफी उत्साहित है कि पालमिरा 'आजाद' हो गया है, लेकिन हमें उन चीजों के बारे में भूल जाना चाहिए जो तबाह कर दी गई हैं. मुझे अंतराष्ट्रीय मदद के बावजूद पालमिरा को फिर से आबाद किए जा सकने की क्षमता को लेकर बेहद शक है.''
इतिहासकार एनी सार्त्र फॉरियाटतस्वीर: Maurice Sartre-Fauriat
उन्होंने समाचार ऐजेंसी एएफपी से बात करते हुए कहा, ''जब मुझे सुनने में आता है कि हम बेल के मंदिर को फिर से बनाने जा रहे हैं तो ये बड़ा भ्रामक लगता है. हम उसे फिर से नहीं बना सकते जिसे धूल में मिला दिया गया है. किस चीज के पुनर्निमाण की बात हो रही है? एक मंदिर के? मुझे लगता है कि शायद सीरिया में तबाह खंडहरों को फिर से बनाने के बजाय दूसरी महत्वपूर्ण प्राथमिकताएं हैं.''
पिछले रविवार को तीन हफ्तों से चल रहे संघर्ष के बाद रूस समर्थित सीरिया की सेना ने इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों को पालमिरा से बाहर धकेल दिया था. पालमिरा पर अपने 10 महीने के कब्जे के दौरान आईएस ने 2000 साल पुराने बेल मंदिर और बाल शामिन के पवित्र स्थल के साथ ही शहर भर के एक दर्जन से अधिक संरक्षित मीनारों और मकबरों को तबाह कर डाला है.
लंबे संघर्ष के बाद रूस समर्थित सीरिया की सेना ने पालमिरा को आईएस के कब्जे से आजाद करा लियातस्वीर: picture-alliance/dpa/TASS/V. Sharifulin
सार्त्र फॉरियाट का यह आकलन सीरिया के पुरावशेषों के प्रमुख मामून अबुलकरीम के नजरिए से एकदम उलट है. अबुलकरीम ने एएफपी से बात करते हुए कहा था कि शहर के 80 प्रतिशत से अधिक भग्नावशेष ''आकार में ठीक'' हैं और इन्हें दुरूस्त करने में पांच साल लगेंगे. लेकिन सार्त्र फॉरियाट कहती हैं, ' जब तक सीरियाई सेना वहां मौजूद है मैं इसे लेकर आश्वस्त नहीं हूं. हमें नहीं भूलना चाहिए कि 2012 से लेकर 2015 तक भी सेना ने इस साइट पर कब्जा किया हुआ था और इस दौरान वहां बेतहाशा तबाही और लूट हुई.''
वे आरोप लगाते हुए कहती हैं, ''हमें खुद का मजाक नहीं बनाना चाहिए. क्योंकि पालमिरा को आईएस से छुड़ा लिया गया है इसका मतलब ये नहीं कि लड़ाई खत्म हो गई है. ये सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के पक्ष में जनता की राय बनाने के लिए राजनीति और मीडिया की ओस से खड़ा किया अभियान था.''
10 महीने के कब्जे के दौरान आईएस ने पालमिरा को तबाह कर डाला हैतस्वीर: Getty Images/AFP/M. Al Mounes
इतिहासकार फॉरियाट का कहना था कि उन्हें पालमिरा से हर घंटे में फोटो और वीडियो मिल रहे हैं, जिसमें दिखाई दे रहा है कि पालमिरा संग्रहालय को आईएस ने एक कोर्ट में बदल दिया था. ''वो पूरी तरह तबाह हो गया है. जैसा हमने पहले सोचा था कि म्यूजियम को आईएस के घुसने से पहले ही पूरी तरह खाली करा लिया गया होगा लेकिन ऐसा नहीं था. क्योंकि पुरावशेष विभाग के पास इसे खाली कराने के लिए महज 48 घंटे थे. और इतने कम समय में बड़े बड़े स्मारकों को स्थानांतरित नहीं कराया जा सकता था.''
फॉरियाट ने बताया कि पुरातन सार्कोफागी की आकृतियों को तबाह कर दिया गया है और सारी ही मूर्तियों को या तो गिरा दिया गया है या तोड़ दिया गया है. ''पालमिरा का खास आकर्षण रही अंतिम संस्कार की धातु आकृतियों को भी संभवत: बेचने के लिए दीवारों से नोच लिया गया है.'' उनका कहना था, ''उम्मीद की एक किरण सिर्फ शेर की विशाल प्रतिमा के बारे में नज़र आती है. जिसे फिर से दुरूस्त किया जा सकता है क्योंकि इसे मिट्टी में नहीं मिलाया गया. हालांकि इसके पंजे तोड़ दिए गए हैं और इसे घुमा दिया गया है.''
आरजे/एमजे (एएफपी)
पालमिरा: खतरे में सांस्कृतिक धरोहर
इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों ने सीरिया के प्राचीन शहर पालमिरा पर कब्जा जमा लिया है. यूनेस्को ने चेतावनी दी है कि विश्व धरोहरों की सूची में शामिल शहर का ऐतिहासिक खंडहर खतरे में हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Scholz
रेत में खंडहर
पालमीरा के ऐतिहासिक खंडहर सीरिया के मरुस्थल के बीचोबीच स्थित हैं. किसी समय में यह इलाका समृद्ध था और पाम यानि ताड़ के पेड़ों से घिरा हुआ था, इसीलिए इसका नाम पालमिरा पड़ा. यह इलाका व्यापार का गढ़ था, लेकिन धीरे धीरे स्वर्णिम काल का अंत हुआ और शहर रेत में समा गया. बाद में इन खंडहरों को खोदकर निकाला गया और 1980 में विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया.
तस्वीर: Fotolia/bbbar
बाल मंदिर
पहली सदी में पालमिरा के बाशिंदों ने परमेश्वर माने जाने वाले बाल भगवान का रोमन स्टाइल का मंदिर बनाया. इस मंदिर के कारण यह इलाका पालमिरा की धार्मिक आस्थाओं का केंद्र बन गया जो 14वीं सदी के बाद रोमन साम्राज्य में शामिल हो गया था. मंदिर की दीवारों पर बुलेट के अनगिनत निशान हैं जो सीरिया में जारी संघर्ष के साक्षी हैं.
दूसरी शताब्दी में निर्मित द ग्रेट कोलोनाड एक किलोमीटर से ज्यादा लंबा रास्ता है. किसी समय में इस मुख्य मार्ग से मसालों, कीमती पत्थरों और अन्य बहुमूल्य वस्तुओं का करवां गुजरता था. मुख्य द्वार पर रोमन सम्राट हेड्रियन के सम्मान में हेड्रियन आर्क बना है. यह उस समय बेहद प्रचलित ग्रीक रोमन स्टाइल का अद्भुत नमूना है.
तस्वीर: Louai Beshara/AFP/Getty Images
रोमन स्मारक
पालमिरा के मुख्य चौराहे पर बना टेट्रापायलॉन सुडौल खंभों के चार समूह हैं. इन्हें लाल ग्रेनाइट पत्थर से बनाया गया था जो आसवान से लाए गए थे. इनमें से प्रत्येक को मूर्ति रखने के लिए बनाया गया था. आज इनमें से केवल एक ही असली है बाकी नकली हैं.
तस्वीर: Fotolia/waj
पवन देवता
बालशमीन यानी पवन देव पालमिरा के निवासियों के एक और भगवान हुआ करते थे. शायद इसीलिए द ग्रेट कोलोनाड के विपरीत दिशा में बने इस मंदिर पर तूफानी हवाओं का कम असर हुआ. यह ठीक ठीक नहीं पता कि इस मंदिर का निर्माण कब हुआ. लेकिन माना जाता है कि प्राचीन फीनीशिया सभ्यता के लोग जब यहां रहने आए तो उन्होंने इस मंदिर का निर्माण किया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Scholz
थियेटर
पालमिरा में ग्रेको-रोमन शहर की बड़ी सारी खूबियां थीं. यहां बरामदे, गर्म पानी के पूल और एम्फीथियेटर हुआ करते थे. इस स्टेज पर नाटक प्रस्तुत किए जाते थे. नाटकों के अलावा इस जगह का इस्तेमाल जानवरों और इंसानों के बीच लड़ाई के लिए भी किया जाता था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Marczok
अहम शख्सियतें
इस जगह पर किसी समय में करीब 200 अहम शख्सियतों की मूर्तियां थीं. उन्हें मुख्य चौराहे या अगोरा के बरामदों में जगह दी जाती थी. अगोरा के दक्षिण पश्चिमी कोने में वह जगह है जहां नगर परिषद की सभाएं हुआ करती थीं. इस परिषद में उद्योगपति घरानों के प्रतिनिधि हुआ करते थे. वे ही शहर के भविष्य के लिए अहम फैसले लेते थे.
तस्वीर: picture-alliance/Robert Harding World Imagery/C. Rennie
दफनाया जाना
शहर के मुख्य द्वार के बाहर ही दफ्न के कई बड़े मैदान हैं. बड़े परिवार बड़ी बड़ी मीनारें बनाया करते थे जिनमें कई नस्लों तक के ताबूत रखे जा सकते थे. यहां कई कब्रिस्तान भी हैं जो वास्तुकला के अद्भुत नमूने हैं. ये उस समय की विलासिता और दैनिक जीवन के अंदाज को दिखाता है.
तस्वीर: Imago/A. Schmidhuber
विनाश की ओर बढ़ता इतिहास
300 ईसवी में पालमिरा सैन्य ठिकाना बन गया. इसपर कई शासकों ने राज किया. स्वर्णिम काल बीत जाने के बाद शहर रेत से ढक गया. आज भी शहर के कई हिस्से रेत में दफ्न हैं. इस प्राचीन शहर को इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों से बड़ा खतरा है. यूनेस्को ने चिंता जताई है कि शहर के ऐतिहासिक खंडहरों को भारी नुकसान हो सकता है.