सहारा सुप्रीमो को जेल से बाहर निकालने के लिए सहारा कंपनी पैसे का इंतजाम कर रही है. कंपनी को 360 अरब रुपये का इंतजाम करना है, इसीलिए फॉर्मूला वन रेस को अलविदा कहने की तैयारी हो रही है.
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सहारा के संस्थापक सुब्रतो रॉय मार्च 2014 से जेल में बंद हैं. मामला सुप्रीम कोर्ट में है. कोर्ट ने साफ कहा है कि कंपनी के संस्थापक 360 अरब रुपये लौटाने के बाद ही सलाखों से बाहर आ सकेंगे.
असल में जून 2011 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सहारा ग्रुप को गैरकानूनी तरीके से जुटाए गए पैसे निवेशकों को लौटाने का आदेश दिया. सहारा ने यह पैसा ओएफसीडी के जरिए जुटाया. ओएफसीडी एक ऋणपत्र है, जिसे जारी कर कंपनी अपनी पूंजी बढ़ाती है. इसे जारी करने वाला निवेशकों को ऋणपत्र की अवधि पूरी होने तक ब्याज देता है. अक्टूबर में प्रतिभूति पुनर्विचार ट्रिब्यूनल ने भी सहारा ग्रुप की दो अनलिस्टेड कंपनियों को छह हफ्ते के भीतर 17,656.53 करोड़ रुपये लौटाने का आदेश दिया. इसके खिलाफ सहारा कंपनी सुप्रीम कोर्ट गई और बुरी तरह फंस गई. तब से ब्याज की रकम बढ़ती जा रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2012 को सहारा ग्रुप को आदेश दिया था कि वे निवेशकों के 24,000 करोड़ रुपये लौटाए. अदालत के मुताबिक यह पैसा गैरकानूनी ढंग से जुटाया गया. सहारा तीन महीने के भीतर पैसा नहीं लौटा सका. कोर्ट ने इसे अवमानना करार दिया और सहारा श्री को न्यायिक हिरासत भेज दिया. फिलहाल वह जेल में हैं. अब रकम बढ़कर सूद समेत 360 अरब रुपये हो चुकी है.
सहारा की फोर्स इंडिया फॉर्मूला टीम में हिस्सेदारी है. भारत के शराब कारोबारी विजय माल्या फोर्स इंडिया के सह स्वामी हैं. इसके अलावा सहारा ग्रुप का न्यू यॉर्क में प्लाजा होटल है. लदंन में ग्रॉसवेनर हाउस और मुंबई का सहारा स्टार होटल भी कंपनी की संपत्ति है. सहारा श्री को बाहर निकालने के लिए अब कई चीजें बाजार में है.
सहारा के वकील गौतम अवस्थी के मुताबिक विदेशों की तीन संपत्तियों के मामले में डील तय हो चुकी है. इस सौदे से 23 अरब रुपये आएंगे. कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट से बाकी संपत्तियों को बेचने की भी अनुमति मांगी है. कंपनी चाहती है कि सहारा स्टार होटल और फोर्स इंडिया की हिस्सेदारी बेच दी जाए. उम्मीद है कि इन दोनों सौदों से कंपनी 30 अरब रुपये जुटा पाएगी.
मर्सिडीज के इंजन पर दौड़ती फोर्स इंडिया टीम पिछले फॉर्मूला वन चैंपियनशिप में पांचवें स्थान पर रही. टीम के ड्राइवर मेक्सिको के सेर्गेई पेरेज और जर्मनी के निको हुल्केनबर्ग हैं. प्रदर्शन के लिहाज से टीम वाहवाही बटोर रही है. लेकिन विजय माल्या और सहारा श्री की माली हालत नाजुक होने का असर फोर्स इंडिया की रफ्तार पर ब्रेक लगा सकता है. सहारा पर जहां चिट फंड के जरिए धोखाधड़ी का मुकदमा चल रहा हैं, वहीं विजय माल्या को अपनी डूब चुकी एयरलाइन किंगफिशर का बकाया चुकाना है.
दिवालिया होकर फिर खड़े हुए जो देश
ग्रीस की अर्थव्यवस्था पर छाए आर्थिक संकट को लेकर दिवालिएपन तक की आशंकाएं जताई जा रही थीं. दुनिया के कुछ देश तो 11 बार तक खुद को दिवालिया घोषित कर चुके हैं लेकिन ग्रीस पहला विकसित देश है जो दिवालिएपन के कगार पर पहुंचा है.
तस्वीर: Fotolia/Stefan Delle
वेनेजुएला: 11 बार
वेनेजुएला और इक्वाडोर ऐसे देश हैं जो सबसे अधिक बार दिवालिएपन को झेल चुके हैं. पहली बार 1826 के युद्ध के बाद वेनेजुएला दिवालिया घोषित हुआ था. तेल के समृद्ध भंडार वाला यह देश इसके बाद भी दस बार दिवालिया हुआ है. अंतिम बार 2004 में तेल की कीमतें गिरने और देश में राजनीतिक संकट के कारण वेनेजुएला ने दिवालियापन घोषित किया था.
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इक्वाडोर: 10 बार
वेनेजुएला के पड़ोसी देश इक्वाडोर की हालत भी काफी मिलती जुलती है. 1926 में अपनी पहली आजादी की लड़ाई के बाद इक्वाडोर दिवालिया हुआ. वह अपने तेल और कृषि उत्पादों के निर्यात पर ही प्रमुखता से निर्भर रहा है. इक्वाडोर में अंतिम बार 2008 में दिवालिएपन की स्थिति बनी थी, जब उसकी अर्थव्यवस्था पर वैश्विक आर्थिक मंदी का भारी असर पड़ा.
ब्राजील ने कुल नौ बार अपनी अर्थव्यवस्था को ढहते देखा है. 1930 में क्रांति और राजनीतिक उथल पुथल के कारण देश को दो बार दिवालिया होना पड़ा. 60 के दशक में भी अर्थव्यवस्था दो बार संकट में आई जब सैनिक तख्ता पलट के बाद तमाम राष्ट्रवादी आर्थिक नीतियां उलटी पड़ गईं. विश्व आर्थिक मंदी के चपेटे में आकर ब्राजील में अंतिम बार 1983 में दिवालिएपन की स्थिति पैदा हुई थी.
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चिली: 9 बार
ब्राजील की ही तरह चिली भी नौ बार इस संकट से गुजरा है. पिछली सदी में बार बार यहां ऐसे मौके आए जब बढ़ते औद्योगीकरण के कारण अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले कृषि क्षेत्र को भारी चोट पहुंची. 1960 के दशक से चिली छह बार दिवालिया हुआ. सैनिक शासन के नव उदारवादी आर्थिक सुधारों के कारण 1983 में आखिरी बार चिली ने दिवालियापन झेला.
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कोस्टा रिका: 9 बार
कैरिबियन सागर के तट पर स्थित छोटा से देश कोस्टा रिका भी नौ बार दिवालिया हुआ है. केवल 1980 के ही दशक में कोस्टा रिका को तीन बार दिवालिया घोषित करना पड़ा. अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की मदद के बाद निरंतर सुधार लाते हुए कोस्टा रिका आज सबसे ऊंची प्रति व्यक्ति आय वाला अमेरिकी देश बन चुका है.
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स्पेन: 8 बार
19वीं सदी में स्पेन की अर्थव्यवस्था आठ बार डूबी है. औपनिवेशिक काल का अंत आते आते स्पेन को संसाधनों की कमी और ऊंचे सार्वजनिक व्यय की समस्या का सामना करना पड़ा. यूरोजोन संकट में भी स्पेन दिवालिएपन की कगार पर पहुंच चुका था. स्पेन की सरकार ने बजट कटौती का कार्यक्रम चलाया जिससे स्थिति संभल गई.
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जर्मनी
जर्मनी के अलावा कोई और देश युद्ध के कारण इतनी बार दिवालिया नहीं हुआ. आठ बार युद्ध के कारण आर्थिक संकट का सामना करने वाले जर्मनी में केवल 1932 में अपवादस्वरूप ऐसा हुआ कि पूरे यूरोप को चपेट में ले रही महामंदी के बाद जर्मनी ने खुद को दिवालिया घोषित किया.