एक आईटी ट्रेनिंग सेंटर और नए अवसर. आईटी विशेषज्ञ वकील इदी मानते हैं कि ऐसा करके बोको हराम को लड़ाई में चुनौती दी जा सकती है. बोको हराम बेरोजगार युवकों को बहलाकर अपने साथ मिला रहा है.
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इदी के ट्रेनिंग सेंटर से करीब 200 नवयुवकों ने कंप्यूटर की मूल ट्रेनिंग हासिल की है. कैमरून के उत्तरी प्रांत कौसरी में शाम के पांच बजे हैं. यह छोटा सा जिला चरी नदी पर बसा है. 34 वर्षीय इदी यहीं पैदा हुए थे. लेकिन बाद में उन्होंने शहर जाकर कंप्यूटर साइंस में डिग्री हासिल की. वह हमेशा से चाहते थे कि वापस लौटकर स्थानीय विकास में योगदान दे सकें. शुरुआत में उन्होंने नौकरी कर इतने पैसे जोड़े कि वह अपना खुद का बिजनेस शुरू कर सकें.
वकील स्थानीय युवा के लिए किसी आदर्श की तरह हैं. उन्होंने क्लासेस के लिए कुछ कमरे किराए पर लिए हैं. यहां स्थानीय लड़के लड़कियां कंप्यूटर इस्तेमाल करना सीखते हैं. इदी बताते हैं उनके यहां से प्रिशिक्षित हुए 200 से ज्यादा युवा में से कई खुद अब उनके सेंटर में काम कर रहे हैं. इदी मानते हैं कि स्थानीय युवा के दक्षिण अफ्रीकी कट्टरपंथी समूह बोको हराम से जुड़ने की एक अहम वजह बेरोजगारी है.
ज्ञान से रोजी रोटी
इन दिनों इदी के कंप्यूटर सेंटर पर 75 युवा ट्रेनिंग ले रहे हैं. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद जब तक उन्हें कहीं नौकरी नहीं मिल जाती, वे इसी सेंटर पर आने वाले नए छात्रों को ट्रेनिंग देते हैं. कई यूनीवर्सिटी ग्रेजुएट जिन्हें अब तक नौकरी नहीं मिल पाई है, वे भी उनके इंस्टीट्यूट में काम पा रहे हैं.
ट्रेनिंग कर चुके छात्र बहुत ज्यादा तो नहीं कमा रहे हैं लेकिन वे अपने परिवार के लिए खाने पीने का इंतजाम कर सकते हैं. यूनिवर्सिटी ग्रेजुएट 36 वर्षीय हस्सान अब्बासमीर ने डीडब्ल्यू को बताया कैसे इदी ने उनकी मदद की, "2006 में ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद से 10 साल मैं बेरोजगार रहा. मैंने कैमरून में सराकरी नौकरी के लिए कई प्रतियोगी परीक्षाएं दीं लेकिन नाकाम रहा." इसके बाद उन्होंने इदी के इंस्टीट्यूट में दाखिला लिया. अब वह इतना कमा लेते हैं कि अपनी पत्नी और तीन बच्चों का पेट भर सकते हैं.
अफ्रीका में गहरी पैठ बनाता आतंकवाद
बोको हराम अफ्रीका में हिंसा फैलाने वाला एकमात्र संगठन नहीं है. इस्लाम की अपनी अपनी व्याख्याएं देने वाले कई गुट लोगों की जान के दुश्मन बने हुए हैं.
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बोको हराम, नाइजीरिया
बोको यानी पश्चिमी शिक्षा. यह गुट 2002 से नाइजीरिया में सक्रिय है. 2009 में इसे सेना के हाथों मुंह की खानी पड़ी, लेकिन अगले ही साल यह एक बार फिर सक्रिय हो गया. तब से यह गुट कई चर्चों को अपना निशाना बना चुका है. इस पर सैकड़ों लड़कियों को अगवा करने, हत्याओं और बड़े पैमाने पर तबाही मचाने के कई आरोप हैं.
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अल शबाब, सोमालिया
2008 में सोमालिया के इस गुट को अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया. इसी साल अल शबाब ने आगे बढ़ कर आतंकी संगठन अल कायदा से हाथ मिला लिए. अमेरिका ने 2012 में अल शबाब के सात आतंकवादियों को अपनी मोस्ट वॉन्टेड की लिस्ट में भी डाला.
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अनसर दिने, माली
अनसर दिने यानि धर्म के रखवाले. माली में सक्रिय यह गुट देश में शरिया कानून लागू करना चाहता है. कभी अनजान सा रहा यह संगठन 2012 में तुआरेग विद्रोहियों की शाखा के तौर पर उभरा.
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मूजाओ, पश्चिमी अफ्रीका
मूजाओ यानि मूवमेंट फॉर द यूनिटी एंड जिहाद इन वेस्ट अफ्रीका. यह गुट कथित रूप से अफ्रीका में लोगों को जिहाद का सही मतलब समझाने के लिए बनाया गया था. मूजाओ अल्जीरिया के कई राजदूतों को अगवा कर चुका है.
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एक्यूआईएम, उत्तरी अफ्रीका
यानि अल कायदा इन इस्लामिक मघरेब. इस गुट की शुरुआत 2006 में हुई. उस समय अल्जीरियाई इस्लामिक लड़ाकों के संगठन इस्लामिस्ट सलाफिस्ट ग्रुप फॉर प्रीचिंग एंड कॉम्बैट ने अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को मार गिराने की योजना बनाई थी. उसी के जवाब में यह गुट बना.
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कट्टरपंथी संगठनों में भर्ती
नाइजीरियाई कट्टरपंथी संगठन बोको हराम पूरे नाइजीरिया, कैमरून, नीगर और चाड में इस्लामिक राज्य की स्थापना की कोशिश कर रहा है. इदी के मुताबिक बोको हराम में भर्ती करने वाले युवाओं को भारी भरकम वेतन का लालच देकर बहला फुसला लेते हैं, "मुझे पता चला कि बोको हराम के पास बेरोजगार युवा वर्ग को झांसे में लेने के लिए संसाधन की कमी नहीं हैं." इदी इस तरह की रकम कभी नहीं दे पाएंगे.
साल 2014 में बोको हराम ने उत्तरी कैमरून में अपना विस्तार करने में कामयाबी पाई है. कैमरून, नाइजीरिया, नीगर और चड में कट्टरपंथी संगठन ने 20 हजार से ज्यादा जानें लीं और 23 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हो गए.
मोकी किंदजेका/एसएफ
जंग की भेट चढ़ता बचपन
यूक्रेन, सीरिया, इराक, यूगांडा या फिर नाइजीरिया में जारी हिंसा में नुकसान सिर्फ बड़ों का नहीं बचपन का भी हो रहा है. इन विद्रोहों में कम उम्र बच्चों या किशोरों के शामिल होने से उनका पूरा भविष्य दांव पर है.
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ह्यूमन राइट्स वॉच संस्था के मुताबिक सीरिया में सरकार के खिलाफ लड़ाई में विद्रोही धड़ल्ले से किशोरों को शामिल कर रहे हैं.
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ह्यूमन राइट्स वॉच ने सीरिया के विद्रोही समूह से अपील की है कि वे लड़ाई में कम उम्र लड़ाकों को शामिल करना बंद करें. साथ ही उन्होंने विद्रोहियों को समर्थन दे रही सरकारों से भी कहा है कि यदि ऐसा जारी रहता है तो वे समर्थन वापस लें.
तस्वीर: UNICEF/NYHQ2012-0881/Sokol
13 साल की एवलिन अपोको गुलु के एक पुनर्सुधार गृह में आराम कर रही है. उसे दिसंबर 2004 में अगवा कर लिया गया था. अक्टूबर 2005 में वह भाग निकलीं. यूगांडा में विद्रोहियों ने पिछले 18 सालों में करीब 20,000 बच्चों को अगवा किया है. वे उन्हें या तो लड़ाई में शामिल करते हैं या फिर सेक्स के लिए उन्हें बंदी बनाकर रखते हैं.
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कच्ची उम्र के लड़ाकों की वापसी के बाद में भी उनके व्यक्तित्व पर पड़े असर की छाप दिखाती है, जिससे इन्हें बाहर लाने में लंबा समय लग सकता है. बच्चों के लिए काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र एजेंसी यूनीसेफ ने ऐसे कई पुनर्सुधार गृहों की स्थापना की है जहां इन बच्चों की मदद की जाती है.
इन केंद्रों में ना सिर्फ इनकी मनोचिकित्सकीय मदद की जाती है बल्कि इन्हें हुनर भी सिखाए जाते हैं ताकि वे अपने पैरों पर खड़े हो सकें. जैसे यहां इस तस्वीर में आप यूगांडा के एक सहायता केंद्र में 15 साल की प्रोसकाविया को सिलाई सीखते देख सकते हैं.