बोरिस जॉनसन ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार हैं. डॉयचे वेले के रोबर्ट मज पूछते हैं कि सारा कुछ इतनी बुरी तरह से गलत कैसे हो सकता है.
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1999 में बोरिस जॉनसन ने अपने बॉस से कहा था, दरअसल उन्होंने डेली टेलीग्राफ अखबार और स्पेक्टेटर पत्रिका के मालिक कॉनराड ब्लैक से वादा किया था कि वह राजनीतिक करियर के बदले राजनीतिक साप्ताहिक पत्रिका के संपादक बनना पसंद करेंगे. काश वे ऐसा करते! अपनी प्रतिज्ञा को तोड़ते हुए जॉनसन ऑक्सफोर्ड में हेनली संसदीय चुनाव क्षेत्र में कंजर्वेटिव उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए और 2001 में चुनाव जीत भी गए. और इस तरह से बोरिस की राजनीतिक यात्रा शुरू हुई जिसने उन्हें 10 डाउनिंग स्ट्रीट की दहलीज पर पहुंचा दिया .
स्वाभाविक रूप से उनके झूठों और आफतों की सूची इतनी लंबी है कि वह भरोसे की मोहताज है. यह वह व्यक्ति है जिसे अपने नेतृत्व में स्पेक्टेटर में प्रकाशित एक संपादकीय के लिए माफी मांगने को मजबूर होना पड़ा था, जिसमें 1989 में हिल्सबोरो त्रासदी के लिए नशे में चूर लिवरपूल समर्थकों को गलत तरीके से दोषी ठहराया गया था. इस घटना में 96 फुटबॉल फैन कुचल कर मारे गए थे .
2003 में कंजर्वेटिव पार्टी के नेता माइकल हॉवर्ड ने बोरिस को छाया मंत्रिमंडल के दो पद दिए थे, एक पार्टी उपाध्यक्ष का और दूसरा छाया कला मंत्री का. इसका कारण क्या था यह तो बस हॉवर्ड ही जानते हैं. एक साल बाद उन्हें स्पेक्टेटर पत्रिका की एक कॉलमनिस्ट के साथ संबंधों के आरोपों के बाद बर्खास्त कर दिया गया था. आरोप बाद में सच साबित हुआ था.
यह वही इंसान है जिसने बुर्का पहनने वाली महिलाओं को "लेटर बॉक्स" या "बैंक लुटेरों" जैसा बताया था. या मतदाताओं को यह कहा था कि टोरी पार्टी को वोट देने से "आपकी पत्नी के स्तन बड़े होंगे और बीएमडब्ल्यू एम 3 का मालिक होने की आपकी संभावना बढ़ जाएगी." इस तरह की टिप्पणियों से उनके समर्थकों में ठहाके लगते हैं और उनके इस विश्वास को बल मिलता है कि वे अपने उबाऊ वेस्टमिंस्टर सहयोगियों और प्रतिद्वंद्वियों के विरोधी हैं.
अब मजाक नहीं रहा यह
2001 में उन्होंने कहा था कि ब्रिटेन को यूरोपीय संघ में रहना चाहिए क्योंकि यह "मुक्त व्यापार में ब्रिटेन के लिए फायदा लाया था और इससे ब्रिटिश नागरिकों को यूरोपीय संघ में मुक्त आवाजाही और रहने के अधिकार मिले थे. ईयू से हटने का मतलब होगा, ब्रिटेन के प्रभाव में संभावित चिंताजनक कमी." हां, मैं अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर पा रहा हूं, लेकिन बाद में नहले पे दहला दिखा. 2003 में उन्होंने ब्रटिश संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमन्स को बताया, "मैं यूरोपीय संघ का थोड़ा प्रशंसक हूं. अगर हमारे पास ये नहीं होता, तो हम ऐसा कुछ आविष्कार करेंगे."
पता नहीं कि "आविष्कार" से उनका क्या मतलब है और मैं वास्तव में जानना भी नहीं चाहता, लेकिन उस समय लगा था कि उन्होंने यूरोपीय संघ का हिस्सा होने के फायदे को पहचाना था .
2018 में उन्होंने कहा कि एकल बाजार में रहना "पागलपन" था . 2016 में उन्होंने कहा था कि वह इसके पक्ष में थे, 2012 में उन्होंने कहा था कि वह इसमें बने रहना चाहते थे, और यूरोपीय संघ की सदस्यता पर हुए जनमत संग्रह के दौरान उनके वोट लीव कैंपेन में दावा किया गया था, "ईयू छोड़ने पर वोट छोड़ने के बाद ब्रिटेन की एकल बाजार में पहुंच रहेगी."
ब्रेक्जिट: रेफरेंडम के बाद से अब तक क्या क्या हुआ
ब्रेक्जिट: रेफरेंडम के बाद से अब तक क्या क्या हुआ
24 जून 2016 को ब्रिटेन ने जनमत संग्रह कर यूरोपीय संघ से अलग होने का फैसला लिया और पूरी दुनिया को चौका दिया. तब से अब शुरू हुआ तारीख पर तारीख का सिलसिला थमता नहीं दिखता. जानिए कहां तक पहुंची है ब्रेक्जिट की गाड़ी.
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जून 2016: जनता का फैसला
जनमत संग्रह के दौरान 24 जून को 52 फीसदी ब्रिटेन वासियों ने यूरोपीय संघ से अलग होने के हक में वोट दिया. तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने इसे "ब्रिटेन के लोगों की मर्जी" कहा और अगली ही सुबह अपने पद से इस्तीफा दे दिया. कैमरन ब्रेक्जिट के हक में नहीं थे.
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जुलाई 2016: ब्रेक्जिट मतलब ब्रेक्जिट
11 जुलाई को तत्कालीन गृह मंत्री टेरीजा मे ने प्राधमंत्री का पद संभाला और देश से वायदा किया: "ब्रेक्जिट मतलब ब्रेक्जिट". हालांकि जनमत संग्रह से पहले मे भी कैमरन की ही तरह ब्रेक्जिट विरोधी थीं. पद संभालते वक्त उन्होंने यह घोषणा नहीं की कि वे ईयू के साथ ब्रेक्जिट पर चर्चा कब शुरू करेंगी.
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मार्च 2017: अलविदा
29 मार्च को टेरीजा मे ने आर्टिकल 50 के तहत ब्रेक्जिट की प्रक्रिया शुरू की. ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने की औपचारिक तारीख 29 मार्च 2019 तय की गई. यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष डॉनल्ड टस्क ने उस वक्त अपने बयान के अंत में कहा, "हमें अभी से आपकी कमी खलने लगी है. आपका शुक्रिया. अलविदा."
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जून 2017: बहस शुरू
19 जून को ब्रसेल्स में ब्रेक्जिट की प्रक्रिया पर बहस शुरू हुई. पहले चरण की बातचीत में ब्रिटेन ईयू द्वारा तय कई गई टाइमलाइन से संतुष्ट नहीं दिखा. लेकिन बावजूद इसके उसे ईयू की शर्तें माननी पड़ीं. ईयू ने ब्रेक्जिट को दो चरणों में बांटा. पहले चरण में तय होना था कि ब्रिटेन ईयू से कैसे अलग होगा. और दूसरे चरण में तय होना था कि ब्रेक्जिट के बाद ईयू और ब्रिटेन के संबंध कैसे आगे बढ़ेंगे.
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जुलाई से अक्टूबर 2017: पहला चरण
पहले चरण पर बहस तो हुई लेकिन तीन मुख्य मुद्दों पर कोई ठोस नतीजा निकलता नहीं दिखा. पहला, ईयू छोड़ने के बाद ब्रिटेन किस तरह से ईयू के बजट में भागीदार होगा. दूसरा, ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन और ईयू के नागरिकों के अधिकार क्या क्या होंगे. और तीसरा, क्या ब्रिटेन आयरलैंड और उत्तरी आयरलैंड के बीच दरवाजे खुले रख सकेगा.
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दिसंबर 2017: दूसरा चरण
बाकी के सभी 27 सदस्य देशों ने माना कि दूसरे चरण की बहस शुरू की जा सकती है. इस चरण में ईयू और ब्रिटेन के बीच भविष्य में होने वाले व्यापार के लिए शर्तें तय करनी थीं. डॉनल्ड टस्क ने चेतावनी दी कि दूसरे चरण की बातचीत ब्रिटेन के लिए बेहद मुश्किल साबित हो सकती है.
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जुलाई 2018: इस्तीफे
ब्रिटेन के विदेश मंत्री बॉरिस जॉनसन और ब्रेक्जिट मंत्री डेविड डेविस ने ब्रेक्जिट से जुड़ी योजना पर असहमति दिखाते हुए इस्तीफे दे दिए. इस योजना के अनुसार ब्रिटेन और ईयू के बीच व्यापार के दौरान सभी वस्तुओं पर एक जैसे नियम लागू होने थे. जेरेमी हंट और डोमिनीक राब ने जॉन्सन और डेविस की जगह ली.
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सितंबर 2018: नाकाम मे
ब्रेक्जिट के लिए मे के प्रस्ताव ईयू के नेताओं की पसंद से काफी दूर दिखे. हालात यहां तक पहुंच गए कि डॉनल्ड टस्क ने इंस्टाग्राम पर टेरीजा मे को ट्रोल करते हुए एक तस्वीर डाली. तस्वीर में टस्क और मे साथ खड़े हैं और उसे कैप्शन दिया गया, "केक का एक टुकड़ा चाहेंगे? माफ कीजिए, साथ में चेरी नहीं मिलेगी."
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दिसंबर 2018: अविश्वास मत
10 दिसंबर को मे ने ब्रेक्जिट डील पर संसद में होने वाले एक वोट को स्थगित कर दिया. अगले दिन वे जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल से मिलीं और उनसे समर्थन की मांग की. लेकिन इसी दौरान विपक्षी सांसद अविश्वास प्रस्ताव ले आए. हालांकि मे इसे जीत गईं.
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जनवरी 2019: संसद में डील
16 जनवरी में ब्रिटिश संसद में टेरीजा मे की ब्रेक्जिट डील पर मतदान हुआ. डील के खिलाफ 432, जबकि डील के पक्ष में सिर्फ 202 वोट पड़े. डॉनल्ड टस्क ने इस पर सुझाव दिया कि ब्रिटेन के लिए सबसे अच्छा उपाय यही होगा कि वह ईयू में ही बना रहे. इस बीच विपक्षी लेबर पार्टी ने एक बार फिर अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा कर दी.
तस्वीर: Reuters
मार्च 2019: बढ़ाई समय सीमा
मे डील में बदलाव कर 12 मार्च को इसे फिर से संसद में ले कर आईं. इस बार डील के खिलाफ 391 और पक्ष में 242 वोट पड़े. यूरोपीय संघ के नेताओं ने चेतावनी दी कि ऐसी स्थिति में "नो डील ब्रेक्जिट" यानी बिना किसी समझौते के ही ब्रिटेन को ईयू से अलग होना होगा. दो दिन बाद सांसदों से ब्रेक्जिट की तारीख आगे बढ़ाने के हक में वोट दिया. अगली तारीख 12 अप्रैल की थी.
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मार्च 2019: तीसरी बार
29 मार्च - शुरुआत में इसी दिन को ईयू से अलग होने का दिन चुना गया था. इस दिन टेरीजा मे तीसरी बार डील का प्रस्ताव संसद में ले कर पहुंचीं. एक बार फिर उन्हें शिकस्त का सामना करना पड़ा. इस बार 344 वोट उनके खिलाफ थे, जबकि 286 उनके हक में. एक समझौते की उम्मीद में मे विपक्षी नेता जेरेमी कॉर्बिन से मिलीं और अपनी ही पार्टी के लोगों को नाराज कर बैठीं.
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अप्रैल 2019: तारीख पर तारीख
12 अप्रैल की डेडलाइन तक तो कोई समझौता होता नहीं दिख रहा था. इसलिए मे ने समयसीमा और आगे बढ़ाने की मांग की. सवाल था कि इस बार कितना और समय दिया जाए. नई तारीख तय हुई 31 अक्टूबर की. अगर ब्रिटेन चाहे तो उससे पहले भी अलग हो सकता है. लेकिन अब ऐसे में उसे मई में होने वाले यूरोपीय संघ के चुनावों में हिस्सा लेना होगा.
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"वोट लीव" बस दौरे के लॉन्च के समय उन्होंने अपने पुराने आरोपों को दोहराया कि यूरोपीय संघ केले के आकार पर नियम बना रहा था. और यह कि ब्रिटेन यूरोपीय संघ को हर हफ्ते 35 करोड़ पाउंड भेज रहा है. यह सच नहीं था. असली आंकड़ा 13.7 करोड़ पाउंड था.
ब्रिटेन के प्रसिद्ध लाल डबल डेकर बस के सामने खड़ा होकर अप्रमाणिक आंकड़े पेश करना एक बात है. मंच पर खड़ा होकर स्मोक्ड हेरिंग मछली को दिखाना इसे दूसरे स्तर पर ले जाता है. पिछले हफ्ते कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व की प्रतिस्पर्धा के अंतिम पड़ाव पर, उन्होंने प्लास्टिक में लिपटी स्मोक्ड मछली दिखाई जो आइल ऑफ मैन द्वीप के मछली उद्यमी ने भेजी थी.
जॉनसन ने दावा किया कि यूरोपीय संघ के नियम स्मोक्ड मछली सप्लायरों को अपने उत्पादों को डिलीवरी के समय बर्फ में ठंडा रखने को कहते हैं, जिससे लागत बढ़ जाती है. यह सच नहीं है. ईयू के नियमों में ताजा मछली की बात है, स्मोक्ड मछली की नहीं. दरअसल, यूके की फूड स्टैंडर्ड एजेंसी का कहना है कि फूड मैन्युफैक्चरर्स को खाना ऐसे ट्रांसपोर्ट करना होगा कि वह खाने लायक हों . इसके लिए "कूल बैग" की आवश्यकता हो सकती है. वैसे, क्या मैंने यहां उल्लेख किया कि आइल ऑफ मैन यूरोपीय संघ का हिस्सा नहीं है?
एक पल के लिए सफेद झूठों को भूल जाएं, फिर भी हमें उनके मसखरे जैसे व्यवहार पर चिंतित होना चाहिए. मैं मानता हूं कि मैं सनकी अंग्रेजियत के अनोखेपन से पक्षपात करता हूं. लेकिन यह वही व्यक्ति है जिसका मसखरापन, माफ कीजिए, गौरव देश का अगला प्रधानमंत्री होना है.
हम पहले ही एक दुर्घटना के गवाह बन चुके हैं जब वे विदेश मंत्री के रूप में सक्रिय थे. क्या आप सोच सकते हैं कि खाड़ी में जब्त किए गए यूके के झंडे वाले टैंकर पर वह यूके और ईरान के बीच मौजूदा विवाद को कैसे संभालेंगे? मैं तो यह सोचकर ही कांप जाता हूं.
मैं और भी बातें कर सकता हूं, लेकिन मेरी अक्लमंदी चूक गई है.ब्रिटेन अब ऐसे दलदल में फंस गया है जहां से कुछ भी कर के उसे बाहर नहीं निकाला जा सकता. पिछले तीन वर्षों में जो दरारें उभरी हैं, न केवल कंजर्वेटिव पार्टी के भीतर, बल्कि पूरे राजनीतिक तंत्र और समाज में, उन्होंने ब्रिटेन को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय मंच पर गहरा नुकसान पहुंचाया है. प्रधानमंत्री के रूप में बोरिस जॉनसन के साथ देश को रसातल का इंतजार है.
डीडब्ल्यू के रॉबर्ट मज ब्रिटिश मूल के पत्रकार हैं जो जर्मनी में रहते हैं और उन्होंने ब्रेक्जिट के घटनाक्रम को बड़े ही तल्लीनता से देखा है .
कभी यूके, कभी ग्रेट ब्रिटेन तो कभी इंग्लैंड, आखिर ये चक्कर क्या है. चलिए इस समझते हैं ताकि आगे ये कंफ्यूजन न रहे.
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यूनाइटेड किंगडम (यूके)
असल में इसका पूरा नाम यूनाइटेड किंगडम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन एंड नॉदर्न आयरलैंड है. यूके में इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, उत्तरी आयरलैंड और वेल्स आते हैं. इन चारों के समूह को ही यूके कहा जाता है.
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ग्रेट ब्रिटेन
इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स के संघ को ग्रेट ब्रिटेन कहा जाता है. तीनों अलग अलग प्रांत हैं. तीनों प्रांतों की अपनी संसद है लेकिन विदेश नीति और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर फैसला ग्रेट ब्रिटेन की संघीय संसद करती है. तस्वीर में बायीं तरफ इंग्लैंड का झंडा है, दायीं तरफ स्कॉटलैंड का. बीच में ग्रेट ब्रिटेन का झंडा है.
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ब्रिटेन
यह नाम रोमन काल में इस्तेमाल हुए शब्द ब्रिटानिया से आया है. ब्रिटेन इंग्लैंड और वेल्स को मिलाकर बनता है. हालांकि अब सिर्फ ब्रिटेन शब्द का इस्तेमाल कम होता है. यूरो 2016 में इंग्लैंड बनाम वेल्स का मैच.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Rain
इंग्लैंड
इंग्लैंड एक देश है. जिसकी राजधानी लंदन है. स्काटलैंड और वेल्स की तरह इंग्लैंड की अपनी फुटबॉल और क्रिकेट टीम हैं. इन टीमों में दूसरे प्रांतों के खिलाड़ी शामिल नहीं होते हैं.
तस्वीर: Reuters/J.-P. Pelissier
राजधानियां
उत्तरी आयरलैंड की राजधानी बेलफास्ट है. स्कॉटलैंड की राजधानी एडिनबरा है और वेल्स की राजधानी कार्डिफ है.
भाषा
अंग्रेजी भाषा होने के बावजूद इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, उत्तरी आयरलैंड और वेल्स में लहजे का फर्क है. आम तौर पर मजाक में लोग एक दूसरे इलाके के लहजे का मजाक भी उड़ाते हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa
खासियत
स्कॉटलैंड के लोगों को अपनी विश्वप्रसिद्ध स्कॉच पर गर्व है. बैगपाइपर का संगीत स्कॉटलैंड की पहचान है. वहीं आयरलैंड के लोग आयरिश व्हिस्की और बियर का गुणगान करते हैं. इंग्लैंड मछली और चिप्स के लिए मशहूर है.
तस्वीर: Getty Images
मतभेद
राजस्व के आवंटन के अलावा ग्रेट ब्रिटेन (इंग्लैंड, वेल्स और स्कॉटलैंड) के प्रांतों के बीच विदेश नीति को लेकर भी मतभेद रहते हैं. यूरोपीय संघ की सदस्यता को लेकर मतभेद सामने भी आ चुके हैं. अगर ग्रेट ब्रिटेन यूरोपीय संघ से निकला तो स्कॉटलैंड स्वतंत्र देश बनने का एलान कर चुका है.
तस्वीर: Andy Buchanan/AFP/Getty Images
ईयू से मतभेद
यूरोपीय संघ के आलोचकों का कहना है कि ईयू की सदस्यता से ब्रिटेन को आर्थिक और सामाजिक क्षति पहुंची है. तटीय इलाकों में रहने वाले मछुआरे करीब करीब बर्बाद हो चुके हैं. बड़ी संख्या में पोलैंड से आए प्रवासियों का मुद्दा भी समय समय पर उठता रहा है.
तस्वीर: Reuters/T. Melville
राजनैतिक खींचतान
यूरोपीय संघ की नीतियां सदस्य देशों को लागू करनी पड़ती हैं. चाहे वह बजट का वित्तीय घाटा हो, शरणार्थियों का मुद्दा हो या फिर मार्केट रेग्युलेशन. ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरन इसे राजनीतिक हस्तक्षेप करार दे चुके हैं.