बॉलीवुड अभिनेत्री करीना कपूर खान एक बार फिर सिल्वर स्क्रीन पर आइटम नंबर का तड़का लगाती नजर आ सकती हैं. करण जौहर की आने वाली फिल्म ब्रदर्स में दिखेंगी.
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करीना कपूर ने 2012 में आई सुपरहिट फिल्म दबंग 2 में आइटम नंबर 'फेविकॉल से' किया था जो दर्शकों को बेहद पसंद आया. करीना फिर आइटम नंबर करती नजर आ सकती हैं. जाने माने फिल्मकार करण जौहर ब्रदर्स नाम की फिल्म बना रहे हैं. फिल्म में अक्षय कुमार, सिद्धार्थ मल्होत्रा और जैकलीन फर्नांडीस की मुख्य भूमिका है. चर्चा है कि इस फिल्म में करीना एक बार फिर आइटम नंबर करती नजर आएंगी. करीना इन दिनों सलमान खान के साथ फिल्म बजरंगी भाईजान में काम कर रही हैं.
मॉडल, अभिनेत्री, गायिका और अब निर्माता के अवतार में आईं प्रियंका चोपड़ा
'देसी गर्ल' प्रियंका चोपड़ा का कहना है कि वह अभी निर्माता बनने का आनंद ले रही हैं. प्रियंका चोपड़ा फिल्म मैडमजी से निर्माता बनने जा रही हैं. फिल्म का निर्देशन मधुर भंडारकर कर रहे हैं. प्रियंका मैडमजी के निर्माण कार्य में व्यस्त हैं और उनका कहना है कि वह एक निर्माता के रूप में निर्णय लेने का पूरा आनंद उठा रही हैं.
प्रियंका के मुताबिक, "मैडमजी एक काल्पनिक कहानी है. यह एक आइटम गर्ल की कहानी है जिसे राजनीति की दुनिया में आने को मजबूर कर दिया जाता है. मैडम जी महिला सशक्तिकरण पर आधारित है. मैं एक निर्माता के रूप में ऑफिस जाने का और निर्णय लेने का आनंद ले रही हूं."
नई जिम्मेदारी को लेकर प्रियंका काफी उत्साहित हैं और कहती हैं, "मैं अपने सेट पर ऐसे बहुत सारे सहायक निर्देशकों से मिली हूं जिनके पास कुछ अच्छी पटकथाएं हैं लेकिन उन्हें अवसर नहीं मिल पाता. मेरे पास एक बड़ी बजट की फिल्म बनाने की क्षमता नहीं है लेकिन मैं कुछ शानदार प्रतिभाओं के साथ छोटे बजट की फिल्मों का निर्माण करूंगी."
एए/आरआर (वार्ता)
पेशे जो अब धुंधले पड़ गए हैं
तस्वीर: DW
पोस्टर पेंटर
फिल्मों के शौकीन भारत देश में, पता नहीं कब हाथों से पेंट किए जाने वाले फिल्मी पोस्टरों की जगह प्रिंटिंग प्रेस से निकले चिकने पोस्टरों ने ले ली. छपाई से निकले पोस्टर ज्यादा असली जरूर लगते हैं लेकिन उनमें वे भाव नहीं दिखते जिनसे पोस्टर बनाते समय कलाकार खुद गुजरता है.
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ब्रास बैंड
एक समय था जब भारत में इनके बगैर कोई भी बारात फीकी मानी जाती थी. आधुनिक दौर में इनकी जगह डीजे वालों ने ली है. अब ना सिर्फ यह कला दम तोड़ रही है बल्कि बैंड कलाकार भी रोजी रोटी के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
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मिट्टी के कलाकार
बिन दीपक दीवाली कैसी? लेकिन अब वह समय नहीं रहा. चीन से आ रही बिजली से चलने वाली सस्ती बत्तियों के बाजार में आने से लोग दिए के झंझट से दूर रहना ही पसंद करते हैं. बदल रही पसंद और आदतों ने मिट्टी के कलाकारों के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं.
तस्वीर: Reuters
मेलों के जादूगर
मेलों की रौनक में उन कलाकारों का बेसब्री से इंतजार रहता था जो कभी मौत के कुएं में मोटरसाइकिल उतार देते थे तो कभी रस्सी पर यूं चलते थे जैसे कालीन पर चल रहे हों. विकास की तेज दौड़ में ना रहे वे मेले, ना उन मेलों के कलाकार और ना ही इन्हें सराह कर देखने वाले.
तस्वीर: Getty Images/H. Magerstaedt
रिक्शा
रिक्शे की सवारी करना भारत में कोई बड़ी बात नहीं. एक समय में हाथ से खींचे जाने वाले ये रिक्शे बहुत आम थे. बाद में देश के कई हिस्सों में इनकी जगह सीट वाले रिक्शों ने ले ली. कोलकाता के कई इलाकों में आज भी ये रिक्शे दिखाई दे जाते हैं.
तस्वीर: DW/S. Bandopadhayay
रफूगर
अक्सर नया कपड़ा कहीं अटक जाने से फट जाता है. उसे बाहर पहनना बंद करना पड़ता है. लेकिन रफूगर के होते इस बात की फिक्र नहीं. वह फटे हुए हिस्से को कुछ यूं रफू कर देते हैं कि बगैर छुए पता नहीं किया जा सकता कि वह कभी फटा भी था. लेकिन रफूगर भी अब बहुत कम ही दिखाई देते हैं.
तस्वीर: DW
धोबी
कपड़े धोने की सेमीऑटोमेटिक मशीन से ऑटोमेटिक मशीनों का दौर आने में ज्यादा समय नहीं लगा. और फिर जब मशीन में कपड़ा डालने के बाद उसे सूख जाने पर ही बाहर निकालना हो, तो फिर धोबी का क्या काम? अब इन कपड़े धोने वाले पेशेवर लोगों के पास भी काम की कमी होती जा है.
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रंगरेज
एक समय में दुपट्टा रंगने का काम रंगरेज ही किया करते थे. लेकिन इन दिनों बाजार में हर रंग और शेड के दुपट्टे ब्रांडेड दुकानों पर पहले से रंगे हुए मिलते हैं. ब्रांडेड कपड़ों की रंगाई का काम फैक्ट्रियों में तो जारी है लेकिन गली नुक्कड़ पर बैठे रंगरेज अपनी दुकानें समेटने को मजबूर हैं.