1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
समाज

ब्राजील: जमीन बचाने के लिए सड़कों पर उतरे हजारों आदिवासी

अविनाश द्विवेदी
२७ अगस्त २०२१

भूमि अधिकार से जुड़े खास फैसले से पहले हजारों आदिवासियों ने ब्राजील की राजधानी ब्राजीलिया की सड़कों पर प्रदर्शन किया. खदान मालिक और बड़े कृषि-व्यापारी चाहते हैं कि आदिवासियों का जमीन पर संवैधानिक संरक्षण खत्म किया जाए.

BdTD Brasilien | Protest der Indigenen Bevölkerung in Brasilia
तस्वीर: Carl de Souza/AFP/Getty Images

भूमि अधिकार से जुड़े एक महत्वपूर्ण फैसले से पहले कोर्ट पर दबाव बनाने के लिए कई हजार आदिवासी ब्राजील की राजधानी ब्राजीलिया की सड़कों पर उतर आए.  ब्राजील के सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसे मामले की सुनवाई चल रही है, जिसमें आदिवासियों के उनकी जमीनों पर अधिकार खत्म होने का डर है. करीब 170 अलग-अलग आदिवासी समूह इस सुनवाई के खिलाफ साथ आए हैं. उन्होंने राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो के प्रशासन पर हर तरह से उत्पीड़न करने का आरोप भी लगाया.

विरोध प्रदर्शन में करीब 6 हजार लोग अपने धनुष और तीर के साथ शामिल हुए. उन्होंने पारंपरिक पोशाकें और मुकुट पहन रखे थे. इस विरोध प्रदर्शन का आयोजन करने वाले इसे देश के इतिहास का सबसे बड़ा प्रदर्शन बता रहे हैं.

क्या है पूरा मामला

यह मामला आदिवासियों की जमीन के संवैधानिक संरक्षण का है. कृषि-व्यापारियों ने तर्क दिया है कि सिर्फ उन आदिवासियों को संवैधानिक संरक्षण मिलना चाहिए, जो यह साबित कर सकें कि वे उस इलाके में 1988 में रह रहे थे. इसी साल ब्राजील के संविधान को स्वीकार किया गया था. यह एक कानूनी तर्क है, जिसे 'मार्को टेम्पोरल' कहते हैं.

जमीन के अधिकारों के लिए प्रदर्शनतस्वीर: Eraldo Peres/AP Photo/picture alliance

इस तर्क का विरोध करने वाले आदिवासियों ने प्रदर्शन के दौरान जो बैनर थाम रखा था, उस पर लिख था, 'मार्को टेम्पोरल नो'. आदिवासी समूहों का तर्क है कि संविधान में ऐसी किसी तारीख को निर्धारित नहीं किया गया है और आदिवासियों को कई बार अपनी पुश्तैनी जमीनों से बेदखल भी किया गया है, जिससे यह तर्क सही नहीं ठहरता.

आदिवासी या खेतिहर?

सांता कैटरीना की सरकार ने इबिरामा-ला क्लानो के आदिवासी इलाकों को खाली कराने के लिए नोटिस जारी कर दिया है. इन इलाकों में झोकलेंग आदिवासियों के अलावा गुआरानी और काईनगांग आदिवासी समुदाय के लोग भी रहते हैं. इस मामले में निचली अदालत की ओर से आदिवासियों के अधिकारों के खिलाफ फैसला दिया जा चुका है. ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो भी यह कहते रहे हैं कि संख्या में बहुत कम आदिवासी, बहुत ज्यादा जमीन पर रह रहे हैं और खेती के प्रसार को रोक रहे हैं.

पारंपरिक ड्रेस में प्रदर्शनतस्वीर: Adriano Machado/REUTERS

झोकलेंग समुदाय के लोगों को उनके शिकार के इलाकों से एक शताब्दी पहले यूरोपीय लोगों को बसाने के लिए निकाल दिया गया था. इनमें से ज्यादातर जर्मन थे, जो अपने देश में आर्थिक और राजनीतिक उठा-पटक के चलते निर्वासित होकर यहां पहुंचे थे. अगर इस मामले में झोकलेंग लोगों की जीत होती है तो 830 किसानों को उनके छोटे जोत से बेदखल होना पड़ेगा, जहां उनके परिवार दशकों से रहते आ रहे हैं.

बोल्सोनारो की धमकी

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में जो मामला है, वह दक्षिणी राज्य सांता कैटरीना के एक आरक्षण मामले से जुड़ा है लेकिन इस मामले में कोर्ट जो फैसला करेगा, उसका असर ऐसे ही 230 अन्य लंबित मामलों पर भी पड़ेगा, जिनके चलते फिलहाल अमेजन वर्षावन कटने से बचे हुए हैं.

राष्ट्रपति बोल्सोनारो जंगल को काट कृषि क्षेत्र को बढ़ाना चाहते हैंतस्वीर: Adriano Machado/REUTERS

बोल्सोनारो ने इसी हफ्ते एक इंटरव्यू में कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट साल 1988 को संरक्षण का आधार मानने के खिलाफ फैसला देता है तो 'अफरा-तफरी' मच जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि अगर ऐसा होता है तो तुरंत ही हमारे सामने ऐसे सैकड़ों और नए इलाकों के मामले आ जाएंगे, जो इस तरह का सीमांकन चाहते होंगे.

कितनी खास है जमीन?

व्यापारिक समूह इन जमीनों का इस्तेमाल खदानों और औद्योगिक खेती के लिए करना चाहते हैं. राष्ट्रपति बोल्सोनारो लंबे समय से अमेजन इलाके के आर्थिक उपयोग की बात कहते आ रहे हैं. 2018 के चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कहा था कि उनके शासन के दौरान इस इलाके की एक इंच जमीन भी संरक्षित नहीं रहेगी.

भविष्य की चिंतातस्वीर: Carl de Souza/AFP

पूर्वोत्तर राज्य बहिया के पटाक्सो आदिवासी समूह के 32 साल के प्रमुख स्यराटा पटाक्सो ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि सरकार आदिवासी लोगों को निशाना बना रही है. उन्होंने कहा, "आज पूरी मानवता अमेजन वर्षावनों को संरक्षित करने की मांग कर रही है. लेकिन सरकार दुनिया के फेफड़े, हमारे वर्षावनों को सोयाबीन के खेतों और सोने की खदानों में बदल देना चाहती है."

नतीजा जो भी हो, ब्राजील के भविष्य का फैसला करने वाले मामले पर वहां के लोगों की नहीं बल्कि पूरी दुनिया की नजरें लगी हुई हैं. एक ओर अमेजन वर्षा वनों के संरक्षण का सवाल है तो दूसरी ओर जंगलों में सदियों से रह रहे आदिवासियों के परंपरागत तरीके से जीने के अधिकारों का.

देखिए: पानी को तरसती धरती की पांचवीं बड़ी नदी 

पानी को तरसती धरती की पांचवीं बड़ी नदी

04:20

This browser does not support the video element.

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें