कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिए ब्रिटिश-स्वीडिश कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा बनाई जा रही वैक्सीन के परीक्षण में शामिल एक व्यक्ति की मौत हो गई है. हालांकि अधिकारियों ने कहा है कि इसके बावजूद परीक्षण चलता रहेगा.
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ब्राजील में इस वॉलंटियर की मौत की सूचना देश के स्वास्थ्य प्राधिकरण ने दी. एस्ट्राजेनेका ने घटना पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं दी. ट्रायल में कंपनी का साथ दे रहे ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा कि काफी सावधानी से आकलन करने के बाद वो इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि इस मौत के बावजूद "क्लीनिकल ट्रायल की सुरक्षा के बारे में कोई चिंताएं उभर कर नहीं आई हैं."
विश्वविद्यालय ने परीक्षण जारी रखने की योजना की भी पुष्टि की. मामले की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने रॉयटर्स को बताया कि अगर उस वॉलंटियर को कोविड-19 वैक्सीन दी गई होती तब तो परीक्षण स्थगित कर दिया जाता. इसका मतलब है कि मृतक उस कंट्रोल ग्रुप का हिस्सा था जिसे मेनिन्जाइटिस का इंजेक्शन दिया गया था.
ब्राजील में साओ पाउलो फेडरल विश्वद्यालय इस वैक्सीन के तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के समन्वय में मदद कर रहा है. उसने भी कहा कि एक स्वतंत्र समीक्षा समिति ने भी कहा है कि ट्रायल चलते रहना चाहिए. विश्वविद्यालय ने मृतक के ब्राजील के नागरिक होने की पुष्टि की लेकिन उसके बारे में और कोई व्यक्तिगत जानकारी नहीं दी.
विश्वविद्यालय ने एक बयान में कहा, "सब कुछ उम्मीद के अनुसार ही चल रहा है और हिस्सा लेने वाले किसी भी व्यक्ति के संबंध में वैक्सीन से जुड़ी कोई भी गंभीर समस्या अभी तक सामने नहीं आई है." 10,000 लोगों को इसमें शामिल करने की योजना थी, जिनमें से 8,000 को भर्ती कर लिया गया है. उन्हें ब्राजील के छह शहरों में पहली खुराक दे दी गई है. कइयों को तो दूसरी खुराक भी दे दी गई है.
मीडिया में आई खबरों में दावा किया गया कि मृतक 28 साल का पुरुष था, रियो दे जनेरो में रहता था और उसकी मृत्यु कोविड-19 से संबंधित परेशानियों की वजह से हुई. इस बीच एस्ट्राजेनेका के शेयर 1.8 प्रतिशत गिर गए. ब्राजील की सरकार की योजना है कि वो इस वैक्सीन को खरीद कर रियो दे जनेरो में एक बायोमेडिकल रिसर्च केंद्र फियोक्रूज में उसका उत्पादन करेगी.
इसके साथ साथ ही चीनी कंपनी सिनोवैक बायोटेक द्वारा बनाई जा रही एक और वैक्सीन का परीक्षण साओ पाउलो सरकार के रिसर्च केंद्र बुटांतां इंस्टीट्यूट में चल रहा है. लेकिन देश के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने बुधवार को कहा की केंद्र सरकार सिनोवैक वैक्सीन को नहीं खरीदेगी.
ब्राजील अमेरिका के बाद कोरोना वायरस महामारी से दूसरा सबसे बुरी तरह से प्रभावित देश है. ब्राजील में कोविड-19 से अभी तक 1,54,000 से भी ज्यादा लोग मारे गए हैं. संक्रमण के कुल मामलों में ब्राजील अमेरिका और भारत के बाद तीसरे नंबर पर है. वहां संक्रमण के 50 लाख से भी ज्यादा मामले सामने आए हैं.
लोगों की नजरें इस वक्त कोरोना वैक्सीन के ट्रायल पर टिकी हुईं हैं. कई देशों में इस वक्त कोरोना की वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है. रूस, अमेरिका, चीन और भारत में तेजी से काम हो रहा है. जानिए कहां-कहां वैक्सीन पर काम चल रहा है.
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वैक्सीन पर नजर
भारत में केंद्र सरकार हर एक व्यक्ति को कोरोना की वैक्सीन लगाने की तैयारी में जुटी हुई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन के मुताबिक जुलाई 2021 तक 20-25 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य है. इसके लिए वैक्सीन की 40-50 करोड़ डोज हासिल करने की योजना है.
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भारत में वैक्सीन की रेस
इस वक्त भारत में दो वैक्सीन पर काम चल रहा है. दोनों ही वैक्सीन क्लीनिकल ट्रायल के दूसरे चरण में हैं. एक वैक्सीन को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक बना रही है और दूसरी वैक्सीन पर जाइडस कैडिला काम कर रही है. अगर ट्रायल सही तरीके से चलता है तो अगले साल तक भारत में यह वैक्सीन उपलब्ध होगी.
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अमेरिका में वैक्सीन कब
चुनाव के प्रचार के दौरान डॉनल्ड ट्रंप कह चुके हैं कि नवंबर तक अमेरिका में वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी. हाल ही में उन्होंने कहा था कि अगले साल अप्रैल तक देश की पूरी आबादी के लिए पर्याप्त टीका उपलब्ध होगा. इस बीच अमेरिकी दवा कंपनी मॉडर्ना के टीके के फेज 1 के नतीजे सकारात्मक आए हैं. कंपनी अमेरिकी सरकार के साथ मिलकर टीका बना रही है.
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एस्ट्राजेनेका से उम्मीद ज्यादा !
एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी मिलकर कोरोना वायरस के टीके पर काम कर रही है. लेकिन पिछले दिनों ट्रायल में शामिल एक व्यक्ति बीमार हो गया था जिसके बाद परीक्षण को रोक दिया गया था. एक हफ्ते तक ट्रायल रोकने के बाद उसे दोबारा शुरू कर दिया गया था.
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जर्मन कंपनी का टीका
जर्मनी की बायोएनटेक ने न्यूयॉर्क स्थित फाइजर के साथ टीका बनाने को लेकर करार किया है. कंपनी एक ऐसी वैक्सीन पर काम कर रही है जिसमें दो खुराक दी जाएगी. कंपनियों ने कहा है कि अगर ट्रायल सफल रहा तो अक्टूबर के आखिरी तक सरकार से मंजूरी ली जा सकती है. कंपनी का कहना है कि अगर वैक्सीन सफल होती है तो अगले साल के अंत तक 1.3 अरब टीके तैयार हो जाएंगे.
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चीन की वैक्सीन कहां पहुंची
चीन के वुहान से ही कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैला और इसके बाद देश दावा करता आ रहा है कि वह भी तेज गति से कोरोना वायरस के टीके पर काम कर रहा है. चीन में सिनोवेक बायोटेक और सिनोफार्म की वैक्सीन पर तीसरे फेज का ट्रायल चल रहा है.
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रूस की स्पुतनिक-5 वैक्सीन
11 अगस्त को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने एलान कर सबको चौंका दिया कि रूस कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन बनाने वाला पहला देश बन गया है. वैक्सीन को स्पुतनिक-5 नाम दिया गया और तीसरे चरण के ट्रायल के बिना ही इसे मंजूरी मिल गई. विशेषज्ञों ने ऐसे कदम की आलोचना भी की.