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ब्रिक्स देशों का अलग बैंक बनेगा

२९ मार्च २०१२

भारत सहित विकासशील देशों के ग्रुप ब्रिक्स की बैठक में अलग बैंक के बारे में बातचीत. कुल तीन अरब की जनसंख्या का यह ग्रुप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक मामलों में आवाज बुलंद करना चाहता है लेकिन सदस्य देशों के मतभेद जारी.

(From 9th L) India's Prime Minister Manmohan Singh, Chinese President Hu Jintao, Brazil's President Dilma Rousseff, India's President Pratibha Patil, Russian President Dmitry Medvedev, South Africa's President Jacob Zuma and India's Vice President Mohammad Hamid Ansari pose with artists during a cultural programme and banquet hosted by Patil at the presidential palace in New Delhi March 28, 2012. Hu, Medvedev, Rousseff and Zuma are scheduled to attend the BRICS (Brazil, Russia, India, China and South Africa) Summit in India on March 29. REUTERS/Presidential Palace/Handout (INDIA - Tags: POLITICS) FOR EDITORIAL USE ONLY. NOT FOR SALE FOR MARKETING OR ADVERTISING CAMPAIGNS
ब्रिक्स देशों की बैठकतस्वीर: Reuters

राजनीतिक स्तर पर एक दूसरे से बिलकुल अलग ब्रिक्स देश कोशिश कर रहे हैं कि उसकी आर्थिक ताकत को मिला कर एक साझा कूटनीतिक शक्ति बन जाए. ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका नई दिल्ली में चल रही शिखर बैठक में हिस्सा ले रहे हैं. इस गुट में कोई भी पश्चिमी देश शामिल नहीं है और यह अपने प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश में है.

सबसे बड़ा एजेंडा है ग्रुप की पहली संस्था बनाना, जिसे ब्रिक्स बैंक का नाम दिया जा रहा है. यह विकासशील देशों में विकास प्रोजेक्ट और ढांचागत विकास के लिए धन देगी.

हालांकि यह अभी योजना के ही स्तर पर है. ग्रुप के सदस्य देश वर्ल्ड बैंक और एशिया विकास बैंक की टक्कर में अपना बैंक खड़ा करना चाहते हैं. ब्राजील के व्यापार मंत्री फर्नांडो पिमेन्टल ने बुधवार शाम कहा, व्यावसायिक मौके बढ़ाने के लिए यह एक मजबूत वित्तीय साधन हो सकता है.

नई दिल्ली के आलीशान होटल में शुरू हुई शिखर वार्ता से पहले काफी प्रदर्शन हुए खास कर चीन के विरोध में निर्वासन में रह रहे तिब्बतियों के. 27 साल के एक तिब्बती ने खुद को आग लगा ली, जिसके एक दिन बाद उसकी मौत हो गई. भारत में करीब 80 हजार तिब्बती निर्वासन में रहते हैं. भारत और चीन के रिश्तों में खटपट होते रहने का यह भी एक कारण है.

रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव (बाएं) चीन के राष्ट्रपति हू जिनताओतस्वीर: Reuters

आलोचकों के मुताबिक भारत और चीन के बीच की टक्कर ब्रिक्स ब्लॉक के लिए एक मुश्किल है. साथ ही सदस्यों बीच मतभेद और उनके आर्थिक और राजनीतिक अंतर भी.

हालांकि दोनों देशों के बीच व्यापार तेजी से बढ़ रहा है लेकिन यह दुनिया के व्यापार का बहुत छोटा हिस्सा है. ब्लॉक कई मुद्दों पर एकमत नहीं हो पा रहा है. इस मतभेद का सबसे ताजा उदाहरण है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के अध्यक्ष के चुनाव पर मतभेद. ब्रिटेन के थिंक टैंक रॉयल यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूट के वॉल्टर लुडविग कहते हैं, "पिछले दशक में तेज आर्थिक विकास और वैश्विक स्तर पर आर्थिक संस्थाओं में ज्यादा दखल की चाहत के अलावा इस ग्रुप के सदस्यों में बहुत ही कम साझी बातें हैं."

दुनिया में तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाओं भारत, ब्राजील, चीन और रूस को एक अमेरिकी आर्थिक विश्लेषक जिम ओ नील ने 2001 में ब्रिक नाम दिया. इस ग्रुप की पहली शिखर बैठक 2009 में हुई और 2010 में दक्षिण अफ्रीका के इसमें शामिल होने के बाद इसे ब्रिक्स नाम मिला. हालांकि दक्षिण अफ्रीका आर्थिक से ज्यादा राजनीतिक मामलों में साझीदार है.

भारत के वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि ग्रुप एक नया वैश्विक ढांचा बनाने का लक्ष्य रखते हैं.

रिपोर्टः एएफपी/डीपीए/आभा एम

संपादनः ए जमाल

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