ब्रिक्स देशों के वर्चुअल शिखर सम्मलेन में मिलेंगे प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी. वैश्विक स्थिरता, साझा सुरक्षा और इनोवेटिव विकास की थीम के तहत हो रहे 12वें ब्रिक्स शिखर सम्मलेन की मेजबानी रूस कर रहा है.
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विदेश मंत्रालय ने बताया कि सम्मेलन में कई विषयों पर चर्चा होगी, जिनमें ब्रिक्स देशों में सहयोग, बहुपक्षीय व्यवस्था में सुधार, कोविड-19 महामारी की रोकथाम, आतंकवाद का मुकाबला करने में सहयोग, व्यापार, स्वास्थ्य, ऊर्जा और आम लोगों के बीच रिश्ते शामिल हैं.
सम्मलेन पर विशेष रूप से इसलिए भी ध्यान रहेगा क्योंकि भारत और चीन के बीच लद्दाख में महीनों से जारी सैन्य गतिरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ दूसरी बार वर्चुअल मुलाकात होगी. इससे पहले पिछले सप्ताह ही शंघाई सहयोग संगठन की एक वर्चुअल बैठक में मोदी और शी की मुलाकात हुई थी.
उस बैठक में मोदी ने चीन की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि संगठन के सभी देशों को एक दूसरे की संप्रभुता और अखंडता का आदर करना चाहिए. दोनों देशों की सेनाओं के बीच लद्दाख की गलवान घाटी में मुठभेड़ हुए पांच महीने बीत चुके हैं लेकिन उसके बाद सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं ने हजारों सैनिकों और सैन्य उपकरण की जो तैनाती कर दी थी वो वैसी की वैसी है.
भारत के लिए ये चिंता का विषय है क्योंकि सर्दियां शुरू हो गई हैं और अगर गतिरोध चलता ही रहा तो उस बर्फीले इलाके में सर्दियों का पूरा मौसम काटना भारतीय सेना के जवानों के लिए अत्यंत कठिन हो जाएगा. उम्मीद की जा रही है कि बैठकों के इस सिलसिले से दोनों देशों के बीच राजनीतिक स्तर पर सहयोग बढ़ेगा और दोनों सैन्य गतिरोध को अंत करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे.
जहां तक ब्रिक्स का सवाल है, भारत एक बार फिर समूह की अध्यक्षता ग्रहण करने जा रहा है और उसके बाद वो 2021 में होने वाले शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा. भारत इसके पहले भी 2012 और 2016 में ब्रिक्स के अध्यक्ष की भूमिका में रह चुका है.
चीन के सरकारी अखबार 'ग्लोबल टाइम्स' के सर्वे से पता चला है कि चीनी लोगों को भारत की सैन्य या आर्थिक कार्रवाई से कितना डर लगता है. देखिए चीन के दस बड़े शहरों के लगभग 2,000 लोगों की सोच के आधार पर क्या सामने आया.
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क्या चीन पर आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा निर्भर है भारत?
सर्वे में शामिल लगभग आधे लोगों को लगता है कि भारत की चीन पर बहुत अधिक आर्थिक निर्भरता है. वहीं 27 फीसदी को लगता है कि ऐसा नहीं है.
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क्या भारतीय सेना चीन के लिए खतरा पैदा कर सकती है?
एक तिहाई से भी कम लोगों को लगता है कि भारतीय सेना चीन के लिए खतरा बन सकती है. वहीं 57 फीसदी से भी अधिक का मानना है कि कोई खतरा नहीं.
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क्या जरूरत से ज्यादा चीन-विरोधी भावनाएं फैली हैं?
लगभग 71 फीसदी चीनी लोगों का मानना है कि भारत में फिलहाल चीन को लेकर कुछ ज्यादा ही विरोध है. वहीं 15 फीसदी ऐसे हैं जिन्हें यह ठीक लगता है.
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चीनी उत्पादों के बहिष्कार वाले अभियान को कैसे देखते हैं?
35 फीसदी से अधिक चीनी इस पर बहुत गुस्सा हुए. वहीं लगभग 30 फीसदी को लगा कि भारत इसे लेकर गंभीर नहीं है और इसे नजरअंदाज कर देना चाहिए.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. Maqbool
चीन और भारत के संबंधों में सबसे बड़ी रुकावट क्या है?
30 फीसदी का मानना है कि ऐसा देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर है. वहीं लगभग एक चौथाई का मानना है कि भारत अमेरिका के असर में आकर ऐसा कर रहा है.
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अगर फिर से भारत के साथ सीमा विवाद छिड़े तो?
लगभग 90 फीसदी लोग आत्मरक्षा में चीनी सेना की भारत के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का समर्थन करते हैं. 7 फीसदी से भी कम लोग बलप्रयोग के खिलाफ हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Z. Zhengju
भविष्य में किस तरफ जा सकते हैं चीन-भारत संबंध?
25 फीसदी को लगता है कि कभी अच्छे तो कभी बुरे दौर आएंगे. वहीं 25 फीसदी का मानना है कि लंबे समय में सुधार दिखेगा. 20 फीसदी को जल्दी सुधार की उम्मीद नहीं है.