ब्रिक्स में रूस की चुप्पी पाकिस्तान की कामयाबी है?
बीनिश जावेद
१९ अक्टूबर २०१६
भारत में उड़ी हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में पाकिस्तान पर अलग थलग पड़ने का खतरा मंडरा रहा था. लेकिन कई जानकारों का मानना है कि गोवा में हुए ब्रिक्स सम्मेलन ने पाकिस्तान को राहत दी है.
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ब्रिक्स सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के पड़ोस में "दहशतगर्दी का गढ़” मौजूद है. तेजी से तरक्की करने वाली पांच अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं के इस सम्मेलन में मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि ब्रिक्स को दुनिया भर में आतंकवादियों से संपर्क रखने वाले देश के खिलाफ एकजुट हो जाना चाहिए. फिर भी, ब्रिक्स के साझा घोषणापत्र में पाकिस्तान का कोई जिक्र नहीं है.
भारतीय पत्रकार उमाशंकर ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "भारत को मालूम है कि ब्रिक्स देशों के अपने अलग हित हैं, लेकिन भारत ने अपने हिसाब से पाकिस्तान को घेरने की कोशिश की.” वह कहते हैं कि ब्रिक्स बेशक एक आर्थिक समूह है लेकिन भारत ने इस समिट में यह बताने की कोशिश की है कि आर्थिक तरक्की के लिए जरूरी है कि माहौल आतंकवाद से मुक्त हो.
देखिए दुनिया में कौन बेचता है सबसे ज्यादा हथियार
हथियारों का सबसे बड़ा निर्यातक कौन
स्टॉकहोम इंटरनेशल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने अपनी 2016 रिपोर्ट में बताया है कि साल 2011-15 के बीच वैश्विक हथियार व्यापार में 2006-10 के मुकाबले 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई. देखिए सबसे बड़े निर्यातक देश कौन हैं.
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1. अमेरिका
दुनिया के 58 देश हथियारों का निर्यात करते हैं जिनमें सबसे आगे है अमेरिका. यूएसए 96 देशों को हथियार भेजता है, जिनमें सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात उसके सबसे बड़े खरीदार हैं. 2015 के अंत में ही अमेरिका ने एफ-35 विमानों की बिक्री के एक बड़े ठेके पर हस्ताक्षर किए.
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2. रूस
दुनिया भर के हथियारों के कुल व्यापार में एक चौथाई हिस्सेदारी रूस की है. भारत, चीन और वियतनाम इसके सबसे बड़े खरीदार हैं. भारत के तो 70 फीसदी हथियार रूस से ही आते हैं. इसके अलावा अपने लड़ाकू विमानों, टैंकों, परमाणु पनडुब्बियों और राइफलों को रूस ने यूक्रेन समेत दुनिया के 50 देशों में भेजा.
पिछले सालों में चीन हथियारों के मामले में ज्यादा आत्मनिर्भर हुआ है और आयात कम कर निर्यात को बढ़ाया है. चीन ने पिछले साल 37 देशों को हथियारों की आपूर्ति की, जिनमें पाकिस्तान (35%), बांग्लादेश (20%) और म्यांमार (16%) इसके सबसे बड़े ग्राहक रहे. 2006-10 और 2011-15 के बीच चीनी हथियारों के निर्यात में 88 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई.
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4. फ्रांस
हालांकि फ्रेंच हथियारों के निर्यात में 2010 के बाद से 9.8% की कमी आई है, फिर भी वह दुनिया में चौथे नंबर का आर्म्स एक्सपोर्टर बना हुआ है. यूरोप में उससे बाद आने वाले जर्मनी से निर्यात कम हुआ है. हाल ही मिले कुछ बड़े ठेकों के कारण फ्रांस के अगले साल भी निर्यातकों के टॉप 5 में शामिल रहने का अनुमान है.
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5. जर्मनी
प्रमुख जर्मन हथियारों के निर्यात में वर्ष 2011-15 के बीच 51 फीसदी की कमी आई. इन सालों में जर्मनी ने अपने खास हथियार 57 देशों को भेजे. इन्हें आयात करने वालों में 29 प्रतिशत तो अन्य यूरोपीय देश ही थे. इसके बाद एशिया, अमेरिका, ओशिनिया को 23 प्रतिशत जबकि इतना ही मध्य पूर्व को बेचा गया. अमेरिका, इजरायल और ग्रीस जर्मन हथियारों के सबसे बड़े उपभोक्ता हैं.
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6. ब्रिटेन
अगर सऊदी अरब (46%), भारत (11%) और इंडोनेशिया (8.7%) जैसे बाजार ना हों तो ब्रिटिश हथियार उद्योग दिवालिया हो जाएगा. साल 2006–10 और 2011–15 के बीच ब्रिटेन से हथियारों का निर्यात करीब 26 प्रतिशत बढ़ा. यूरोप में इसके बाद स्पेन और इटली का स्थान आता है.
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उमा शंकर ने कहा, "गोवा के घोषणापत्र में जैश ए मोहम्मद, लश्कर ए तैयबा और सीमा पार आतंकवाद का जिक्र नहीं है. इन सब बातों से लगता है कि भारत जिस तरह से घोषणापत्र बनवाना चाहता था वो इसमें कामयाब नहीं हुआ.” सम्मेलन के दौरान भारत के पुराने दोस्त रहे रूस का समर्थन भी उसे नहीं मिला. इसके अलावा भारत की आपत्तियों के बावजूद हाल में ही रूस की सेना ने पाकिस्तानी सेना के साथ साझा सैन्य अभ्यास किया है.
सोमवार को चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा गया कि चीन हर तरह के आतंकवाद के खिलाफ है और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को आतंकवाद खत्म करने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाना चाहिए. चीन ने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ जंग में बहुत कुर्बानियां दी हैं और दुनिया को इनका सम्मान करना चाहिए.
देखिए चीन और रूस के नेताओं के अलावा और कौन हैं दुनिया के ताकवर शख्स
दुनिया के सबसे ताकतवर शख्स
फोर्ब्स पत्रिका ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दुनिया के सबसे ताकतवर लोगों की सूची में 9वें स्थान पर रखा है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लगातार तीसरे साल पहले स्थान पर बने हुए हैं.
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ताकतवर पुतिन
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन लगातार तीसरे साल शीर्ष पर बने हुए हैं. पहले वैश्विक स्तर पर तमाम विरोधों के बावजूद उन्होंने जिस तरह क्रीमिया का अधिग्रहण किया. हाल ही में सीरिया में हवाई हमले कर एक बार फिर वे वर्तमान गंभीर संकट में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं.
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जर्मन चांसलर
जर्मनी यूरोप की राजनीति और आर्थिक पटल पर अहम स्थान रखता है और अर्थव्यवस्था के मामले में यूरोप में सबसे अधिक शक्तिशाली है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल इस साल सूची में 5वें स्थान से उठकर तीसरे स्थान पर आ गई हैं. सीरियाई शरणार्थियों की मदद के लिए मैर्केल के उदार और साहसी कदम के कारण उनकी छवि और भी ताकतवर नेता की बनी है.
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तीसरे नंबर पर ओबामा
फोर्ब्स की ताकतवर 72 लोगों की सूची में तीसरे नंबर पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा हैं. फोर्ब्स के मुताबिक दूसरे टर्म के अंतिम चरण में आ चुके ओबामा की लोकप्रियता पहले के मुकाबले कुछ कम हुई है.
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चौथे नंबर पर पोप फ्रांसिस
ऐसा नहीं है कि शक्तिशाली लोगों की सूची में सिर्फ देशों के राष्ट्राध्यक्ष शामिल हों. इसी सूची में कैथोलिक गिरजे के प्रमुख पोप फ्रांसिस भी हैं. पोप रूढ़िवादी कैथोलिक ईसाइयों की पुरानी छवि को बदलने के काम में जुटे हुए हैं.
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शी जिनपिंग
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग फोर्ब्स की सूची में पांचवे नंबर पर हैं. सत्तारूढ़ जिनपिंग माओ झे डोंग के बाद सबसे ताकतवर चीनी नेता बनकर उभरे हैं. वे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं.
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छठवें नंबर पर बिल गेट्स
माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स इस सूची में सातवें से छठी पायदान पर आ गए हैं. अमेरिका के सबसे अमीर शख्स गेट्स अपने अरबों डॉलर का इस्तेमाल दुनिया भर के प्रमुख सामाजिक परिवर्तन के लिए कर रहे हैं.
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ऊपर उठे नरेंद्र मोदी
इस साल 9वें स्थान पर विराजमान भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 की सूची में 15वें स्थान पर थे. मई 2014 में हुए आम चुनाव में बहुमत से जीतकर सत्ता में आने वाले बीजेपी नेता मोदी के बारे में फोर्ब्स का कहना है कि पीएम मोदी को अपनी पार्टी के सुधार एजेंडा को आगे बढ़ाने और "झगड़ालू विपक्ष" पर नियंत्रण करने पर ध्यान देना चाहिए.
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पाकिस्तानी पत्रकार ओवैस तौहीद चीन के इस बयान को पाकिस्तान की कूटनीतिक कामयाबी मानते हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "ब्रिक्स सम्मेलन से पहले भारत में जो बातें चल रही थीं, सम्मेलन के दौरान भारत वो हासिल नहीं कर पाया.”
पाकिस्तान के एक पूर्व राजनयिक अली सरवर नकवी भी गोवा ब्रिक्स सम्मेलन को पाकिस्तान के हक में बताते हैं. उनका कहना है, "ब्रिक्स में भारत ने पाकिस्तान की गैर मौजूदगी में उसे जमकर बुरा भला कहा लेकिन वो चीन और रूस जैसी बड़ी ताकतों को पाकिस्तान के खिलाफ बोलने के लिए मजबूर नहीं कर पाया.” नकवी कहते हैं कि दुनिया में आतंकवाद के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान पाकिस्तान में चल रहा और चीन ने अपने बयान में पाकिस्तान की भूमिका को सराहा है.
पाकिस्तानी पत्रकार तौहीद कहते हैं कि पाकिस्तान में भी बहस चल रही है कि नॉन स्टेट एक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई की जाए जो एक सकारात्मक बात है, लेकिन भारत की तरफ पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग थलग करना किसी के हित में नहीं है. उन्होंने कहा, "इस समय भारत और पाकिस्तान के बीच सभी दरवाजे बंद हैं. कूटनीतिक और सांस्कृतिक तौर पर दोनों देशों के रिश्ते बिल्कुल थम गए हैं. ये न सिर्फ दोनों देशों का बल्कि इस पूरे क्षेत्र का बहुत बड़ा नुकसान है.”