कैमरन ने मंगलवार को लिखे गए एक पत्र में भरोसा जताया कि ब्रिटेन के ईयू से बाहर होने को टाला जा सकेगा और इसके लिए सभी जरूरी समझौते हो सकते हैं. ब्रेग्जिट यानि ब्रिटेन के बाहर होने से सबंधित जनमत संग्रह 2017 तक कराया जाना है. हालांकि कैमरन ने इस संभावना से इनकार नहीं किया है कि अगर उनकी शर्तें नहीं मानी जाती हैं तो वे 28 देशों के ब्लॉक ईयू को छोड़ने का समर्थन करेंगे.
ईयू अध्यक्ष डोनाल्ड टुस्क को एक पत्र भेज कर कैमरन ने ब्रिटेन के वांछित सुधारों की एक सूची पेश की है. इसके बाद लंदन में कैमरन ने जनमत संग्रह के बारे में कहा, "ये हमारे देश के लिए एक बड़ा फैसला होगा -- शायद अपने पूरे जीवन में लिया गया सबसे बड़ा निर्णय." इस पत्र में जिन सुधारों का जिक्र है उनमें ईयू के कुछ देशों से ब्रिटेन पहुंचने वाले आप्रवासियों को पहले चार साल तक मिलने वाली सरकारी सुविधाओं में कटौती का प्रस्ताव शामिल है.
यूरोपीय संघ में एक से एक कानून हैं. फिर चाहे केले का आकार हो या शहद की तरलता, सब किताबों में लिखा हुआ है. जरा भी इधर उधर होने का मतलब है गड़बड़. देखें तस्वीरों में यूरोपीय संघ के अजीबोगरीब कानून.
केला कानून के मुताबिक, यूरोपीय संघ में आयात किए जाने वाले केले या उगाए जाने वाले केले कम से कम 14 सेंटीमीटर लंबे और 2.7 सेंटीमीटर मोटे होने चाहिए. फल कटा पिटा नहीं होना चाहिए और पूरा पका भी नहीं.
तस्वीर: Fotolia/Santiago Cornejoशायद कभी किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि शहद सुचालक होता है, यानी इससे करंट पार हो सकता है. लेकिन ईयू ने सोचा कहीं ब्रेकफास्ट के दौरान किसी को करंट न लग जाए. इसलिए तय कर दिया गया कि शहद की सुचालकता 0.8 माइक्रोसीमन्स प्रति सेंटीमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.
तस्वीर: Fotolia/Jag_czऊर्जा बचाने के लिए यूरोपीय संघ में पारंपरिक गोल बल्बों पर प्रतिबंध लगा दिया गया. लेकिन एलईडी लाइट जैसे दूसरे बल्बों को भी यूं ही कहीं नहीं फेंका जा सकता, क्योंकि उनमें जहरीला पारा होता है. मुश्किल भले ही हो पर कम से कम ये नए बल्ब पुराने वालों की तरह रोशनी तो देते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaजर्मनी का उत्तरी हिस्सा समंदर और रेत के लिए मशहूर है. ना तो यहां कोई पहाड़ हैं और इसीलिए ना ही कोई केबल कार. यहां सबसे ज्यादा ऊंचाई भी सिर्फ 168 मीटर ही है. पर फिर भी यहां यूरोपीय संघ का रोपवे कानून लागू होता है. कारण? शायद कभी कोई यहां रोपवे बनाना चाहे, तो उसे बनाने के नियम तो होना ही चाहिए ना.
तस्वीर: Fotolia/JM Fotografieप्लास्टिक पीले डब्बे में, पेपर नीले में, रिसाइकल नहीं किए जा सकने वाला कचरा भूरे डब्बे में. कम से कम जर्मनी में तो यही कानून है. लेकिन यूरोपीय संघ के दूसरे देशों में ये डब्बे दूसरे रंग के हैं, नीले की बजाए हरा, पीले की बजाए लाल. कहीं तो सारा कचरा एक साथ जाता है. इसके लिए भी कानून बनाना गलत नहीं होगा.
तस्वीर: Fotolia/grafikplusfotoयूरोपीय संघ के अलग अलग देशों में अलग अलग प्लग अडाप्टर चाहिए. क्योंकि ब्रिटेन, माल्टा, आयरलैंड और साइप्रस जैसे कई ईयू देश हैं जहां यूरोप्लग जाता ही नहीं. यहां मानक की जरूरत है ताकि एक ही प्लग सब जगह चल सके. अब ईयू हर कंपनी के मोबाइल फोन चार्जर एक जैसे बनाने पर कानून बनाने जा रहा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaरोम, पैरिस, लंदन, वॉरसा, जागरेब, स्टॉकहोम या बर्लिन सभी जगह ट्रैफिक लाइट पर दिखाई जाने वाली आकृति बिलकुल अलग अलग हैं. जर्मनी के एकीकरण के बाद 1990 में पूर्वी हिस्से का ये आम्पेलमेंशन लुप्त होने की कगार पर था. इसके लिए ईयू में कोई नियम नहीं है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaहर देश के पोस्ट बॉक्स भी अलग अलग हैं. यूरोपीय संघ में इनके लिए कोई नियम नहीं है. इसलिए हर देश का सांस्कृतिक इतिहास पोस्ट बॉक्स में दिखाई देता है.
कैमरन की इन शर्तों को यूरोपीय आयोग के प्रवक्ता ने "काफी मुश्किल" बताया है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल को लगता है कि कुछ मांगें "मुश्किल हैं, तो दूसरी कई कम मुश्किल" हैं. इसके बावजूद मैर्केल ने इस बात का भरोसा जताया कि ब्रिटेन के साथ समझौता हो सकता है.
ब्रिटिश पीएम ने अपने पत्र में कुल चार मांगे रखीं हैं. आप्रवासन नीति में बदलाव के अलावा वे ईयू के भीतर प्रतिस्पर्धा बढ़ाने, यूरोजोन और नॉन-यूरोजोन देशों के बीच और अधिक "निष्पक्षता" बरतने और संप्रभुता से जुड़े कुछ अन्य मुद्दों पर ध्यान देने की बात की है. तमाम यूरो स्केप्टिक नेताओं के अलावा अतिदक्षिणपंथी यूकिप के नेता निगेल फराज ने कैमरन की मांगों को नाकाफी बताया है.
तीन साल पहले कैमरन ने सबसे पहली बार ईयू में रहने या निकलने के सवाल पर ब्रिटेन में रेफरेंडम कराए जाने की बात कही थी. उनके पिछले कार्यकाल के दौरान ब्रसेल्स के साथ ब्रिटेन के रिश्ते तनावपूर्ण रहे. ब्रिटेन 1973 में यूरोपीय समुदाय के सदस्य के तौर पर साथ आया था लेकिन उसके बाद के सालों में अलग अलग प्रधानमंत्रियों ने उसे धीरे धीरे यूरोप के केंद्र से दूर करने का काम किया. कैमरन की ही कंजरवेटिव पार्टी की पूर्व प्रधानमंत्री मार्गरेट थैचर तो यूरोस्केप्टिक नेताओं की कतार में अग्रणी मानी जाती हैं. 2002 से लागू यूरो मुद्रा को ब्रिटेन ने आज तक नहीं अपनाया है.
मई में दुबारा चुने गए पीएम कैमरन के इन प्रस्तावों पर अगले हफ्ते यूरोपीय संघ के अध्यक्ष टुस्क अन्य सदस्य देशों के साथ विचार विमर्श की प्रक्रिया शुरु करेंगे. दिसंबर में ब्रसेल्स में होने वाली यूरोपीय सम्मेलन में ब्रिटेन की मांगों पर विस्तार से चर्चा होगी.
आरआर/एमजे (एएफपी,रॉयटर्स)