ब्रिटिश प्रधानमंत्री के रूप में टेरीजा मे की पहली विदेश यात्रा जर्मनी और फ्रांस है. यात्रा का मकसद ईयू के इन दो प्रभावशाली देशों के सामने ब्रेक्जिट पर ब्रिटेन का पक्ष रखना और आतंकवाद जैसे मुद्दे पर एकजुटना दिखाना है.
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दो शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं की प्रमुख जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरीजा मे की बर्लिन में पहली मुलाकात है. यूरोपीय देशों के बीच इतनी घनिष्ठता के बावजूद दोनों नेता पहले कभी नहीं मिले हैं. ब्रिटिश संसद को संबोधित करने के अगले ही दिन नई प्रधानमंत्री टेरीजा मे अपनी पहली विदेश यात्रा पर निकली हैं. बुधवार को बर्लिन में यूरोपीय संघ के एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली सदस्य के तौर पर जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के साथ ब्रेक्जिट के मुद्दे पर चर्चा काफी मायने रखती है.
एक हफ्ते पहले ही टेरीजा मे ने डेविड कैमरन की जगह कुर्सी संभाली है. कैमरन ने ब्रिटेन की जनता के 28 देशों के संगठन ईयू से बाहर निकलने के निर्णय के कारण पद से इस्तीफा दे दिया. कैमरन 40 साल से भी लंबे समय से यूरोपीय संघ के सदस्य रहे ब्रिटेन के ईयू में बने रहने के समर्थक थे.
टेरीजा मे की इस पहली विदेश यात्रा में जर्मनी के अलावा फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद के साथ मुलाकात की योजना भी शामिल है. ब्रिटेन ने फ्रांस के साथ मजबूत होते "व्यक्तिगत संबंधों से आने वाले महीनों में आपस में खुली और निसंकोच चर्चा" करने में मदद मिलने की उम्मीद जताई है. उनकी इस यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण संदेश ये होगा कि पहले की ही तरह ऐसे संकटों में ब्रिटेन बाकी यूरोपीय देशों के साथ ही खड़ा है.
क्या होगा ब्रेक्जिट के बाद
अगले दो सालों में ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से अपने एक्जिट यानि ब्रेक्जिट की प्रक्रिया पूरी करनी है. ब्रिटिश और यूरोपीय लोगों को कई तरह के नए तालमेल बिठाने होंगे, देखिए कुछ नमूने.
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महंगी होगी स्कॉच व्हिस्की?
जी नहीं, इसके उलट. विशेषज्ञों की मानें तो क्रैश हुई ब्रिटिश मुद्रा पाउंड के कमजोर बने रहने से ब्रिटेन के उत्पाद बाहर के बाजारों में फिलहाल कुछ वक्त के लिए सस्ते पड़ेंगे. यानि यही अच्छा समय है स्कॉच व्हिस्की, इंग्लिश वाइन गम्स और बाकी ब्रिटिश प्रोडक्ट्स का स्टॉक भरने के लिए. देर की तो दाम फिर से ऊपर जा सकते हैं.
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सस्ती होगी लंदन में शॉपिंग?
यूनाइटेड किंगडम में छुट्टियां बिताना सस्ता नहीं पड़ता. पाउंड के कमजोर होने से पर्यटकों को थोड़ी आसानी होगी. छुट्टी से लौटते वक्त कुछ ज्यादा यादगार चीजें खरीद कर ले जा सकेंगे. और अगर क्रिसमस के आसपास लंदन पहुंचे, तो डॉलर या यूरो के बदले और भी ज्यादा शॉपिंग कर सकेंगे. फोन कॉल्स महंगी होंगी, क्योंकि 2017 शुरु होते ही ईयू कॉलरों को मोबाइल रोमिंग चार्जेस में मिली छूट खत्म हो जाएगी.
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इरासमुस-मुंडुस स्कॉलरशिप से बाहर?
यूरोपीय कॉलेज छात्रों के लिए एक सेमेस्टर यूके में बिताने का अवसर होता था और इरासमुस-मुंडुस कार्यक्रम का एक बेहद लोकप्रिय आकर्षण था. इस स्कॉलरशिप के बारे में भी फिर से बातचीत करनी होगी. यूके में बैचलर, मास्टर्स या पीएचडी डिग्री लेने की इच्छा रखने वाले छात्रों को अभी से पैसे बचाने शुरु कर देने चाहिए. हो सकता है उन्हें ब्रिटिश छात्रों के बराबर नहीं बल्कि बाहरी छात्रों के बराबर फीस देनी पड़े.
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तैर कर पार होगा इंग्लिश चैनल?
जल्द ही ऐसे हर मुद्दे पर एक एक कर के समझौते करने होंगे. वीजा-मुक्त यात्रा का मामला हो या इंग्लिश चैनल में तैराकी. पानी में छंलाग लगाने से पहले यह पता कर लेना ठीक होगा कि इस बाबत क्या समझौता हुआ है. ईयू के देशों में यात्रा करने वाले ब्रिटिश लोगों को भी एयरपोर्टों पर ईयू के बाहर से आने वालों की लाइन में लगना होगा.
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क्या मैनयू से बाहर होंगे जर्मन खिलाड़ी श्वाइनस्टाइगर?
अब तक बास्टियान श्वाइनस्टाइगर, मेसुत ओएजिल और दूसरे कई यूरोपीय फुटबॉलर बड़े आराम से प्रीमियर लीगों में खेलते रहे हैं. ब्रेक्जिट के बाद इन पेशवर खिलाड़ियों को बाकी विदेशी कामगारों की ही तरह अतिरिक्त वर्क परमिट लेना पड़ेगा. श्वाइनी शायद इस मुसीबत से बच जाएं क्योंकि दो साल में वे 33 साल के हो जाएंगे और चाहें तो फिर रिटायरमेंट ले सकते हैं. हालांकि ये यूरोपीय चैंपियनशिप मुकाबलों में खेल सकेंगे.
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यूरोपीय संसद के ब्रिटिश सदस्यों का क्या?
कुल 73 सदस्यों वाली यूरोपीय संसद से फिलहाल किसी ब्रिटिश पासपोर्ट धारक को वापस भेजने की शुरुआत नहीं हुई है. वह जब तक रहेंगे, उनके सक्रिय रहने और वोट देने तक के अधिकार बने रहेंगे, केवल ब्रिटिश रेफरेंडम पर वोटिंग को छोड़ कर. इस पर ईयू के बाकी राज्यों को सहमति बनानी है.
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आजकल मे का सामना हर जगह इस सवाल से हो रहा है कि वे ईयू संधि का आर्टिकल 50 कब लागू करेंगी. इसकी घोषणा के बाद से दो साल की अवधि में ब्रिटेन के ईयू से बाहर निकलने की घड़ी का काउंटडाउन शुरु हो जाएगा. वे पहले कह चुकी हैं कि इस साल के अंत तक तो वे ऐसा नहीं करना चाहेंगी, लेकिन कई ईयू नेताओं का मानना है कि जब तक आर्टिकल 50 लागू नहीं होता, ब्रिटेन के साथ भविष्य के संबंधों को लेकर कोई सार्थक बातचीत नहीं की जा सकती और इसीलिए जल्द ही एक तारीख चुनने का दबाव भी है.
2017 के उत्तरार्ध में छह महीने के लिए यूके को ईयू की अध्यक्षता का मौका मिलता. लेकिन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कार्यालय ने यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष डोनल्ड टुस्क को सूचित कर दिया है कि वे इस जिम्मेदारी को नहीं उठाएंगे और उस दौरान संघ से बाहर निकलने से संबंधित विषयों पर काम करेंगे.
एक्जिटः टूटता संसार
1990 में पश्चिमी और पूर्वी जर्मनी का एकीकरण एक अद्भुत घटना थी क्योंकि उसके बाद दुनिया बस टूट ही रही है. सोवियत संघ टूटा. और भी कई देशों का जन्म हुआ. ब्रिटेन के ईयू से अलग होने के मौके पर ऐसे ही देशों की चर्चा.
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1990 - नामीबिया
21 मार्च 1990 को नामीबिया ने दक्षिण अफ्रीका से आजादी हासिल की और एक आजाद देश बन गया.
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1991 - यूगोस्लाविया
यूगोस्लाविया एक विशाल देश था. 1991 में यह टूटना शुरू हुआ. सबसे पहले 25 जून 1991 को क्रोएशिया और स्लोवेनिया बने और 1992 में बोस्निया हैर्जेगोविना अलग हुआ.
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1993 - चेकोस्लोवाकिया
1 जनवरी 1993 से चेकोस्लोवाकिया दो हिस्सों में बंट गया. एक हुआ चेक गणराज्य और दूसरा स्लोवाकिया कहलाता है.
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1993 - इरिट्रिया
इरिट्रियाई इलाके पर इथियोपिया का कब्जा था. एक जनमत संग्रह के बाद 1993 में इरिट्रिया एक अलग देश बन गया.
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2002 - ईस्ट तिमोर
ईस्ट तिमोर को 21वीं सदी का पहला आजाद देश होने का तमगा हासिल है. उसने इंडोनेशिया से अलग होकर अपना वजूद कायम किया.
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2006 - सर्बिया
यूगोस्लाविया से अलग होने के बाद सर्बिया और मोंटेनीग्रो ने संघ बना लिया था. 2006 में यह भी टूट गया. सर्बिया अलग देश बन गया.
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2008 - कोसोवो
2008 तक यह सर्बिया का एक प्रांत था लेकिन फरवरी 2008 में कोसोवो ने अपनी आजादी का ऐलान कर दिया.
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2011- साउथ सूडान
सूडान का एक हिस्सा अलग होकर साउथ सूडान हो गया. 2011 में हुए जनमत संग्रह के बाद 9 जुलाई 2011 को इसे अलग देश के तौर पर मान्यता मिली.