ब्रिटेन की फंड कटौती का दुनिया भर में महिलाओं पर असर
२९ अप्रैल २०२१
ब्रिटेन ने संयुक्त राष्ट्र की एक संस्था को दी जाने वाली सालाना मदद में 85 प्रतिशत कटौती करने की घोषणा की है. यूएन संस्था का कहना है कि यह कटौती पूरी दुनिया में महिलाओं और लड़कियों के लिए विनाशकारी होगी.
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ब्रिटेन ने संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) से कहा है कि वह इस साल संस्था को जो 15.4 करोड़ पौंड की मदद राशि की जगह सिर्फ 3.2 करोड़ पौंड दे पाएगा. यह परिवार नियोजन कार्यक्रम के लिए दी जाने वाली धनराशि में 85 प्रतिशत की कटौती है. यूएनएफपीए संयुक्त राष्ट्र की यौन और प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी एजेंसी है. संस्था ने ब्रिटेन के फैसले को विनाशकारी बताया है. यूएन संस्था ने कहा है कि इस कटौती से दुनिया भर में करीब 2,50,000 और लोग मारे जाएंगे.
संयुक्त राष्ट्र संस्था ने एक बयान में कहा, "यह कटौती पूरी दुनिया में महिलाओं, लड़कियों और उनके परिवारों के लिए विनाशकारी होगी. ये जो 13 करोड़ पौंड रोक लिए गए हैं इनसे यूएनएफपीए सप्लाइज पार्टनरशिप लगभग 2,50,000 माताओं और बच्चों को मरने से, 1.4 करोड़ अनचाहे गर्भ और 43 लाख असुरक्षित गर्भपात को बचा सकती थी. संस्था ने यह माना कि "दान देने वाली कई सरकारें चुनौतीपूर्ण स्थिति का सामना कर रही हैं" लेकिन "लंबे समय से अपने साझेदार रहे एक देश के इस फैसले पर उसे बेहद खेद है."
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष ने यह भी कहा, "सच्चाई यह है कि जब वित्तीय मदद रुकती है तो महिलाएं और लड़कियों का नुकसान होता है, खासकर उनका जो गरीब हैं, दूर दराज के इलाकों में ऐसे समुदायों में रहती हैं जिनके पास बहुत कम सुविधाएं हैं और जो मानवीय संकटों में जी रही हैं." संस्था ने कहा है कि वह "सक्रिय रूप से नुकसान के असर को कम करने की रणनीति बना रही है."
ब्रिटेन का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए उसे अपने कानूनी तौर पर तय मदद के बजट को कम करने की जरूरत है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार महामारी से संबंधित आपात कदमों की वजह से देश को भारी कर्ज लेना पड़ा है और उसका सालाना उधार लेने का बजट दूसरे विश्व युद्ध के बाद से अपने सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है.
सीके/एमजे (एएफपी)
महिलाओं को क्यों नहीं है अपने ही शरीर पर अधिकार?
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि दुनिया में 50 प्रतिशत महिलाओं को अपने ही शरीर पर अधिकार नहीं है. महिलाएं ऐसा लंबे समय से महसूस करती रही हैं, लेकिन संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष ने इसे पहली बार उठाया है.
तस्वीर: Karim Sahib/AFP
अपने शरीर पर स्वायत्ता
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) की इस रिपोर्ट में पहली बार महिलाओं के अपने ही शरीर पर स्वायत्ता की कमी के विषय को संबोधित किया है गया. अध्ययन का शीर्षक है "मेरा शरीर मेरा अपना है" और इसमें 57 देशों में महिलाओं के हालात पर रोशनी डाली गई है.
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हर दूसरी महिला पर है प्रतिबंध
रिपोर्ट के अनुसार चाहे यौन संबंध हों, गर्भ-निरोध हो या स्वास्थ्य सेवाओं को हासिल करने का सवाल, इन 57 देशों में लगभग 50 प्रतिशत महिलाओं को कई तरह के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है.
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कोई और लेता है फैसले
रिपोर्ट के लिए इन देशों में महिलाओं पर लगे उन प्रतिबंधों का अध्ययन किया गया है जो महिलाओं को बिना किसी डर के अपने शरीर से संबंधित फैसले लेने से रोकते हैं. कई प्रतिबंधों का नतीजा यह भी होता है कि महिलाओं के शरीर से जुड़े फैसले कोई और ले लेता है.
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महिलाओं के खिलाफ हिंसा
रिपोर्ट में इन 57 देशों में महिलाओं पर अंकुश लगाने के लिए बलात्कार, जबरन वंध्यीकरण या स्टेरलाइजेशन, कौमार्य परीक्षण और जननांगों को अंगभंग करने जैसे हमलों के बारे में भी बताया गया है.
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व्यापक असर
यूएनएफपीए ने कहा है कि शरीर पर स्वायत्ता की इस कमी की वजह से महिलाओं और लड़कियों को गंभीर क्षति तो पहुंचती ही है, इससे आर्थिक उत्पादकता भी कम होती है और स्वास्थ्य प्रणाली और न्यायिक व्यवस्था का खर्च भी बढ़ता है.
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कानून भी नहीं देता साथ
रिपोर्ट में 20 ऐसे देशों के बारे में बताया गया है जहां ऐसे कानून हैं जिनकी मदद से कोई बालात्कारी पीड़िता से शादी करके कानूनन सजा से बच सकता है. रिपोर्ट में 43 ऐसे देशों के बारे में भी बताया गया है जहां शादीशुदा जोड़ों के बीच बलात्कार को लेकर भी कोई कानून नहीं है. इसके अलावा 30 से भी ज्यादा ऐसे देश हैं जहां महिलाओं के घर से बाहर आने जाने पर तरह-तरह के प्रतिबंध हैं.
तस्वीर: Michael McCoy/Reuters
सिर्फ आधे देशों में हैं सेक्स एजुकेशन
रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययन किए गए देशों में से सिर्फ 56 प्रतिशत देशों में व्यापक सेक्स एजुकेशन उपलब्ध कराने को लेकर कानून या नीतियां हैं. यूएनएफपीए की निदेशक नटालिया कनेम कहती हैं, "इसका सारांश यह है कि करोड़ों महिलाओं और लड़कियों का अपने ही शरीर पर हक नहीं है. उनकी जिंदगी दूसरों के अधीन है." - एएफपी